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ब्रेन ट्यूमर से जीत जाएगी जिंदगी

ब्रेन ट्यूमर डे के अवसर पर हम आपकों बता रहे हैं कि मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब समय रहते इस मर्ज का समुचित इलाज कैसे संभव है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 07 Jun 2016 01:02 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jun 2016 01:39 PM (IST)

मस्तिष्क में या इसके किसी भाग में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि को मस्तिष्क ट्यूमर (ब्रेन ट्यूमर) कहते हैं। कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि मस्तिष्क में एक गांठ के रूप में बन जाती हैं। कल ब्रेन ट्यूमर डे है। हम आपकों बतातें हैं कि मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब समय रहते इस मर्ज का समुचित इलाज कैसे संभव है।

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ब्रेन ट्यूमर के कई प्रकार हैं। जो ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में ही उत्पन्न होते हैं, उन्हें प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं।मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, नोएडा में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ.सोनिया लाल गुप्ता के मुताबिक जो ट्यूमर शरीर के अन्य भागों में शुरू होकर मस्तिष्क तक भी फैल जाते हैं, उन्हें मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर रहित होते हैं, जिन्हें बिनाइन कहा जाता है और कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर ग्रस्त होते हैं, जिन्हें मैलिग्नेंट कहा जाता है। अलग-अलग प्रकार के ब्रेन ट्यूमर की वृद्धि की रफ्तार अलग-अलग होती है। प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर अनेक तरह के होते हैं।

ग्लीओमा: ये ट्यूमर मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी से शुरू होते हैं।
एकास्टिक न्यूरोमा: ये कैंसर रहित (बिनाइन) ट्यूमर हैं, जो शारीरिक संतुलन और सुनने की शक्ति को संचालित करने वाली तंत्रिका (नर्व) पर विकसित होते हैं।

पिट्यूटरी एडेनोमा: ये ज्यादातर बिनाइन ट्यूमर होते हैं और इनमें से ज्यादातर मस्तिष्क के आधार पर स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि में विकसित होते हैं। ये पिट्यूटरी हार्मोन को प्रभावित कर सकते हैं औरइसका प्रभाव पूरे शरीर पर होता है।

मेडुलोब्लास्टोमा: ये बच्चों में होने वाले सबसे सामान्य किस्म के कैंसरजन्य ब्रेन ट्यूमर हैं। वयस्कों को भी ये ट्यूमर हो सकते हैं।

जर्म सेल ट्यूमर: ऐसे ट्यूमर बचपन से ही विकसित होते हैं।

मस्तिष्क के अलावा: ऐसे कैंसर मस्तिष्क के अलावा शरीर के अन्य भागों पर शुरू होते हैं, लेकिन बाद में मस्तिष्क को अपनी चपेट में ले लेते हैं।

समझें लक्षणों को

  • सिरदर्द का बार-बार होना।
  • किसी कारण के बिना उल्टी होना।
  • दृष्टि संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। जैसे धुंधला दिखना, दोहरी दृष्टि होना या किनारे की दृष्टि- पेरीफेरल (परिधीय) दृष्टि में क्षति होना।
  • एक हाथ या एक पैर में संवेदनशीलता
  • या गतिशीलता में धीरे-धीरे कमी आना।
  • शारीरिक संतुलन बनाये रखने में कठिनाई।
  • बोलने में दिक्कत।
  • रोजमर्रा के मामलों में भ्रम की स्थिति।
  • व्यक्तित्व या व्यवहार में परिवर्तन।
  • गश खाना, खासकर उन लोगों को जिन्हें पहले ऐसी समस्या नहीं थी।
  • सुनने में दिक्कत।
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जोखिम वाले कारण:

उम्र: ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ती उम्र से संबंधित है। उम्रदराज लोगों में ब्रेन ट्यूमर अधिक होते हैं। हालांकि कुछ किस्म के ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकते हैं।

रेडिएशन से संपर्क: कुछ प्रकार के विकिरण(रेडिएशन) के संपर्क में आने वाले लोगों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है।

पारिवारिक इतिहास: कुछ किस्म के ब्रेन ट्यूमर ऐसे लोगों में होते हैं, जिनके परिवार में ब्रेन ट्यूमर या जेनेटिक बीमारियों का इतिहास रहा हो।

जानें इलाज के बारे में:

ब्रेन ट्यूमर का उपचार ट्यूमर के प्रकार, आकार और स्थान पर निर्भर करता है।जैसे...

सर्जरी: अगर ब्रेन ट्यूमर ऐसे स्थान पर है, जहां तक ऑपरेशन के लिए सुलभता से पहुंचा जा सकता है, तब न्यूरो सर्जन ब्रेन ट्यूमर के यथासंभव अधिक से अधिक हिस्से को हटाने की कोशिश करते हैं।

रेडिएशन थेरेपी: इस चिकित्सा विधि में ट्यूमर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए एक्स-रे या प्रोटॉन जैसी उच्च ऊर्जा किरणों का इस्तेमाल किया जाता है। विकिरण चिकित्सा बाहर रखी एक मशीन (एक्सटर्नल बीम रेडिएशन) से दी जा सकती है। एक्सटर्नल बीम रेडिएशन आपके मस्तिष्क के सिर्फ उन क्षेत्रों पर फोकस करता है, जहां पर ट्यूमर स्थित है या इसे आपके पूरे मस्तिष्क पर फोकस किया जा सकता है।

साइबर नाइफ: ब्रेन ट्यूमर के इलाज में विकिरण(रेडिएशन) देने के लिए रेडियो सर्जरी के अंतर्गत साइबर नाइफ जैसी कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। रेडियो सर्जरी में आम तौर पर पीड़ित व्यक्ति उसी दिन घर जा सकता है।

कीमोथेरेपी: कीमोथेरेपी के तहत ट्यूमर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है।
टारगेटेड ड्रग ट्रीटमेंट: यह ट्रीटमेंट कैंसर कोशिकाओं के अंदर मौजूद विशिष्ट असामान्यताओं पर केंद्रित होता है। टारगेटेड ड्रग ट्रीटमेंट इन असामान्यताओं को रोककर सिर्फ कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं का ही इलाज करता है। कैंसरग्रस्त भाग के निकट के अन्य स्वस्थ भागों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता।

उपचार के बाद पुनर्वास: ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित व्यक्ति के इलाज के बाद उसे फिजिकल थेरेपी दी जाती है। फिजियो थेरेपी मांसपेशियों की ताकत को दोबारा हासिल करने में मदद कर सकती है। इसके अलावा यदि आपको बोलने में कठिनाई होती हो, तो स्पीच थेरेपी से आपको मदद मिल सकती है।

डायग्नोसिस: इसके अंतर्गत एमआरआई, कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन और पेट स्कैन शामिल हैं। शरीर के अन्य भागों में कैंसर का पता लगाने के लिए भी परीक्षण कराए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर फेफड़े के कैंसर का पता लगाने के लिये सीने का सीटी स्कैन। वहीं बायोप्सी परीक्षण भी कराया जाता है। सुई (नीडल) का इस्तेमाल करके भी बायोप्सी की जा सकती है। बायोप्सी से लिए गये नमूने का परीक्षण माइक्रोस्कोप के जरिये किया जाता है ताकि यह पता चल सके कि यह कैंसरजन्य है या कैंसररहित। यह जानकारी डायग्नोसिस और रोग के इलाज के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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