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..ताकि मंगल में न हो अमंगल

इसे विडंबना ही कहेंगे कि उल्लास के इस त्योहार पर आतिशबाजी चलाने में लापरवाही बरतने के कारण देश में सैकड़ों लोगों की जानें चली जाती हैं और हजारों लोग घायल हो जाते हैं, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर आप सब लापरवाही से आतिशबाजी छुड़ाने से होने वाले दुष्परिणामों से बचकर दीपाव

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 10:28 AM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 10:28 AM (IST)
..ताकि मंगल में न हो अमंगल

इसे विडंबना ही कहेंगे कि उल्लास के इस त्योहार पर आतिशबाजी चलाने में लापरवाही बरतने के कारण देश में सैकड़ों लोगों की जानें चली जाती हैं और हजारों लोग घायल हो जाते हैं, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर आप सब लापरवाही से आतिशबाजी छुड़ाने से होने वाले दुष्परिणामों से बचकर दीपावली का भरपूर आनंद ले सकते हैं..

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-12 वर्षीय रुचि को आतिशबाजी चलाने में अन्य बच्चों की तरह बहुत मजा आता है। पिछले साल दीवाली पर वह रॉकेट दाग रही थी, तब उसके चचेरे भाई नितिन ने रुचि से कहा कि इसके ऊपर एक छोटा-सा डिब्बा रख दो। रुचि ने वही किया। नतीजा यह हुआ कि डिब्बे के वजन के कारण राकेट जमीन पर ही दग गया। नतीजतन, रुचि का दाहिना हाथ जल गया। कई दिनों तक वह स्कूल नहीं गयी। इलाज के बाद आज भी उसके हाथ में जलने के निशान देखे जा सकते हैं।

-श्रीमती कृतिका और नवीन राय दंपत्ति को आतिशबाजी में बम और धमाकेदार आइटम अच्छे नहीं लगते। यह युगल शगुन के लिए फुलझड़ियां चलाते हैं। बीते साल फुलझड़ी के साथ डांस करते समय एक चिंगारी नवीन की आंख में चली गयी थी। इस कारण उनकी कार्निया को नुकसान पहुंचा। त्योहार के रंग बदरंग हो गया। जैसे-तैसे उन्हें आई हॉस्पिटल ले जाया गया। बहरहाल अब उन्हें चश्मा लगाना पड़ रहा है।

उपर्युक्त दोनों उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि है बच्चे हों या वयस्क इन सभी को आतिशबाजी बहुत सावधानी के साथ चलानी चाहिए, अन्यथा त्योहार का दिन बेरंग हो सकता है।

इन बातों पर करें अमल

-पटाखों और अन्य आतिशबाजी को खुले इलाके में चलाना चाहिए।

-फुस्स पटाखे को दोबारा आग न लगाएं। भले ही उसका पलीता पूरा न जला हो, किंतु वह फिर भी फट सकता है। कुछ मिनट तक इंतजार करें और फिर उस पर पानी डाल दें।

बंद जगह में पटाखे न चलाएं

-फुस्स पटाखे को दोबारा आग न लगाएं।

-बच्चों को हमेशा निगरानी में रखें।

-पटाखे जेब में न रखें। यह स्थिति नुकसानदेह साबित हो सकती है।

-धातु या शीशे की किसी चीज में पटाखे न जलाएं।

-लेबल पर लिखे दिशा-निर्देशों को पढे़ं। ये बहुत कठिन नहीं होते, किंतु आप हैरान होंगे कि अक्सर लोग इन दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज कर देते हैं।

-ज्वलनशील चीजों/जगहों से काफी दूर पटाखे चलाएं। जैसे भवन, पेड़, और सूखी घास आदि।

-नल से लगी पाइप या बाल्टी के जरिए पानी को पास ही रखें ताकि पटाखे छूटने के बाद उन्हें पानी में भिगाया जा सके।

-पटाखों और राकेट आदि के ऊपर कोई डिब्बा या वस्तु न रखें।

-फुलझड़ी आदि रोशनी करने वाले पटाखों को अपने से एक हाथ दूर रखें और अपना चेहरा परे कर लें।

-फुलझड़ी को बच्चों से सुरक्षित दूरी पर रखें। फुलझड़ी आदि चिंगारी फेंकने वाले पटाखों का सिरा कुछ देर तक गर्म रहता है और यह बच्चों की त्वचा, कपड़ों या पास पड़े ज्वलनशील पदाथरें को जला सकता है। इसलिए जली हुई फुलझड़ी पर पानी डाल दें।

-अनार कभी भी हाथ में पकड़ कर नहीं चलाने चाहिए क्योंकि ये फट सकते हैं और दीवाली पर जलने की होने की वाली ज्यादातर घटनाएं इन्हीं से संबंधित हैं।

जलने का प्राथमिक उपचार

-जले हुए स्थान से तुरंत कपड़ा हटाएं।

-जली हुई जगह पर शीतल जल डालें

-यदि जला हुआ स्थान छोटा है, तो उस पर ढिलाई के साथ स्टेराइल पैड या पट्टी लगाएं।

-जलने पर पानी डालने के बाद स्वच्छ तौलिए से ढक लें। अगर पीड़ित व्यक्ति को राहत नहीं मिल रहीं है तो डाक्टर के पास जाएं।

-जले हुए भाग पर कोई भी पदार्थ डॉक्टर के परामर्श के बिना न लगाएं। लें शीघ्र चिकित्सकीय मदद जलने की कुछ विशेष स्थितियों में शीघ्र ही चिकित्सकीय मदद लेने की जरूरत पड़ती है।

-जब जलन का आकार बड़ा हो। शरीर के 10 प्रतिशत भाग से ज्यादा आकार वाले किसी भी जलने के हादसे पर चिकित्सकीय मदद लें।

-आग, बिजली की तार, सॉकेट और रसायन से जलने पर।

-चेहरे, सिर, हाथ और जोड़ों की सतह या प्रननांग में बर्न होने पर।

-जब जलने वाले भाग पर सूजन, पस पड़ना और लालिमा बढ़ने जैसे लक्षण प्रकट हों या फिर घाव के समीप त्वचा पर लाल निशान पड़ जाएं।

(विवेक शुक्ला, विशेषज्ञों से बातचीत पर आधारित)


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