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दिल के साथ खेलना अच्छा नहीं

कुछ सजगताएं न बरतने पर गर्मियों का मौसम वृद्धों और हृदय रोगियों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसलिए उन्हें इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अत्यधिक गर्मी के कारण उनमें दिल का दौरा पडऩे के जोखिम बढ़ जाते हैं...

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2015 02:25 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2015 02:40 PM (IST)
दिल के साथ खेलना अच्छा नहीं

कुछ सजगताएं न बरतने पर गर्मियों का मौसम वृद्धों और हृदय रोगियों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसलिए उन्हें इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अत्यधिक गर्मी के कारण उनमें दिल का दौरा पडऩे के जोखिम बढ़ जाते हैं...

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हृदय रोगियों को धूप में अधिक समय तक रहने और अधिक श्रम करने से बचना चाहिए। इस मौसम में अधिक शारीरिक गतिविधियां स्वस्थ लोगों में भी थकावट या हीट स्ट्रोक (लू) के लक्षण पैदा कर सकती हैं।

मानव शरीर आम तौर पर लगभग 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट के तापमान को बनाए रखता है। तापमान के थोड़ा भी अधिक बढऩे पर पसीना पैदाकर और रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसेल्स) को डाइलेट (चौड़ा) कर शरीर स्वयं को ठंडा करने की कोशिश करता है, लेकिन जब पसीना शरीर को ठंडा नहीं कर पाता है, और रक्त वाहिका के आकार के बड़े हो जाने के कारण दिल की धड़कन तेज हो जाती है और रक्तचाप कम हो जाता है, तब हृदय रोगियों के लिए समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

यह स्थिति हृदय की कार्यप्रणाली पर बहुत तनावपूर्ण असर पैदा कर सकती है। कमजोर दिल वाले लोग अपने शरीर को ठंडा रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त को पंप करने में असमर्थ होते हैं। इसलिए वे रक्तचाप को भी सामान्य रखने में असमर्थ होते हैं। इस कारण उनके शरीर का

तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है।

दौरा पडऩे का जोखिम

दिल का दौरा पडऩे की संभावना तब और बढ़ जाती है, जब कुछ दिनों तक लगातार धूप तेज होती है और तेज गर्मी होती है।

इसका कारण संभवत: यह है कि शरीर की चयापचय प्रणाली (मेटाबॉलिज्म) को शरीर को 37 डिग्री सेल्सियस (98.6 डिग्री फॉरेनहाइट) के अपने सामान्य तापमान को बनाये रखने के लिए कठिन मेहनत करनी पड़ती है, जिससे दिल पर दबाव पड़ता है।

चेतावनी भरे लक्षण

गर्मी के कारण होने वाले अन्य प्रकोपों के

शुरुआती चेतावनी भरे लक्षणों की अनदेखी

करना नुकसानदेह हो सकता है। इन चेतावनी भरे लक्षणों में सिर दर्द, बहुत अधिक पसीना आना, त्वचा का ठंडा और नमी युक्त होना, ठंड लगना और चक्कर आना प्रमुख हैं। इसके अलावा मितली, उल्टी, कमजोरी, थकान, नाड़ी का तेज

चलना, मांसपेशियों में ऐंठन और सांस का

तेज चलना भी अन्य प्रमुख लक्षण हैं। यदि आप इन चेतावनी भरे लक्षणों को शुरुआती दौर में ही पहचान लेते हैं, ठंडे वातावरण में आराम करते हैं और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करते हैं तो आपकी स्थिति में सुधार हो सकता है, अन्यथा आपके लक्षण गंभीर हो सकते हैं और आपको चिकित्सकीय मदद की जरूरत पड़ सकती है।

हीट स्ट्रोक या लू लगने के शुरुआती चेतावनीपूर्ण लक्षणों में गर्म और सूखी त्वचा का होना, नाड़ी का तेज चलना, पसीने का नहीं निकलना, भ्रम व चेतनाशून्य होना आदि को शुमार किया जाता है। इसके अलावा तेज बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में

परेशानी, मतली, उल्टी होना आदि को शामिल किया जाता है। गर्मी के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए, हृदय रोगियों को निम्न सुझावों पर अमल करना चाहिए ...

- अत्यधिक गर्मी के कारण अगर आप बेचैनी या स्वयं को असहज महसूस करते हों, तब अपना ब्लड प्रेशर चेक करें या कराएं। अगर ब्लडप्रेशर हाई है, तो डॉक्टर के परामर्श से दवा लें।

- तेज धूप या गर्मी में बाहर जाने से बचें। दोपहर में घर के अंदर वातानुकूलित वातावरण में रहने की कोशिश करें।

- यदि दोपहर के दौरान बाहर जाना जरूरी हो, तो पैदल चलते समय छाते का इस्तेमाल करें और छांव में खड़े हों। अन्यथा गर्मी के मौसम में सुबह या शाम में ही घर या दफ्तर से बाहर निकलें।

- यदि मनोरंजन के लिए घर से बाहर जाना चाहते हों, तो शॉपिंग सेंटर, पुस्तकालय या सिनेमाघर जैसे वातानुकूलित या शांत स्थानों पर जाएं।

- यदि आपका घर वातानुकूलित नहीं है तो

दोपहर के समय घर की धूप वाली दिशा में खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें और उन पर मोटे पर्दे लगाकर रखें। यदि जरूरी न हो, तो कमरे में लाइट भी न जलाएं।

- धूप में निकलने से पहले सिर को ढक

लें, धूप से बचने के लिए धूप के चश्में का

इस्तेमाल करें।

- अधिक गर्मी महसूस होने पर ठंडे पानी से नहाएं या स्पंज करें।

- गर्मियों में हल्के रंग के ढीले कपड़े पहनें।

- आउटडोर गतिविधियों में भाग न लें।

- बार-बार पानी और अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें। चाय-कॉफी और शराब के

सेवन से बचें।

- घर से बाहर निकलते वक्त सेल फोन को अपने साथ रखें। किसी गर्म जगह में अधिक गर्मी महसूस होने या शरीर में किसी तरह की तकलीफ महसूस होने पर अपने परिवार के सदस्यों/दोस्तों/रिश्तेदारों को फोन करें।


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