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रयूमैटॉइड अर्थराइटिस:जब खुद का दुश्मन बने शरीर

रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) को कई विकारों से ग्रस्त कर देता है स्पाइनल र् र्यूमैटॉइड अर्थराइटिस। रोग गंभीर है लेकिन जीन थेरेपी और अन्य आधुनिक इलाज से इस मर्ज को काबू में लाया जा सकता है...

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 01 Nov 2016 12:12 PM (IST)Updated: Tue, 01 Nov 2016 12:36 PM (IST)
रयूमैटॉइड अर्थराइटिस:जब खुद का दुश्मन बने शरीर

स्पाइनल रयूमैटॉइड अर्थराइटिस ऐसी बीमारी है, जिसमें हमारे शरीर का रोग-प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) हमें बचाने के बजाय हमारे शरीर पर ही आक्रमण करने लग जाता है। इस रोग में शरीर का रोग-प्रतिरोधक तंत्र हमारे शरीर के खिलाफ उसमें बनने वाले प्रोटीन, हड्डियों में स्थित कणों, जोड़ों, इंटरवर्टिब्रल डिस्क (आई. वी. डी) और रीढ़ की मांसपेशियों को खत्म करने लग जाता है। इसके परिणामस्वरूप हमारे जोड़ खराब होने लग जाते हैं, जिससे रीढ़ में विकार आ जाता है, जिसे हम स्पॉन्डिलाइटिस कहते हैं।

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लक्षण

- जोड़ों में सूजन, अकडऩ या लालिमा होना।

- थकावट महसूस करना।

- तेज बुखार होना।

- यह रोग कम आयु में प्रारंभ हो जाता है, जिससे जल्दी ही रीढ़ की हड्डी में विकार और सूजन बढ़ जाती है। अंतत: रीढ़ की हड्डी का स्पॉन्डिलाइटिस हो जाता है।

रोग का दुष्प्रभाव

स्पाइनल रयूमैटॉइड अर्थराइटिस के कारण आने वाले अधिकतम बदलावों को पलटा नहीं जा सकता। इसके परिणामस्वरूप रीढ़ की हड्डी हमेशा के लिए कार्य करना बंद कर देती है या फिर इसमें अकडऩ रह जाती है। ज्यादातर यह माना जाता है कि यह बीमारी लाइलाज है और इसके साथ ताउम्र रहना पड़ेगा। यह रोग कम उम्र खासतौर पर किशोरावस्था में शुरू हो सकता है।

रोगी की गंभीरता को देखा जाए, तो इसका प्रभाव न सिर्फ रोगी के शरीर पर परंतु पीडि़त व्यक्ति के मस्तिष्क 58 और सामाजिक और आर्थिक स्थितियों पर भी पड़ता है।

आमतौर पर इस बीमारी का परंपरागत इलाज न केवल महंगा है, परंतु इसे पूर्ण रूप से ठीक करने में कारगर भी नहीं है। केवल यह इलाज कुछ समय के लिए अस्थाई तौर पर रोग के लक्षणों में आराम पहुंचाता है।

स्पाइनल रयूमैटॉइड अर्थराइटिस

के कई प्रकार हैं। इनमें कुछ महिलाओं तो कुछ पुरुषों में अधिक पाए जाते हैं। रयूमैटॉइड अर्थराइटिस में सबसे ज्यादा पायी जाने वाली बीमारी (जो रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाती है) रीटर्स सिंड्रोम है। यह बीमारी ज्यादातर पुरुषों में पायी जाती है, खासतौर पर किशोर इसकी पकड़ में ज्यादा आते हैं। परंपरागत इलाज परंपरागत इलाज के अंतर्गत रयूमैटॉइड अर्थराइटिस में शुरुआती तौर पर तेज एंटी-इनफ्लेमेटरी दवाएं दी

जाती हैं। दवा का प्रभाव बढ़ाने के लिए एंजाइम्स (ओरल फॉर्म टैब्लेट या कैप्सूल के रूप में ) भी

दिए जाते हैं। इसके अलावा डॉक्टर 'पल्स थेरेपी-भी कुछ समय के लिए देते हंै। इसमें स्टेरॉइड्स

दिए जाते हैं। इलाज के दौरान डॉक्टर डिजीज मॉडीफाइंग ड्रग्स भी देते हैं। ये उपचार स्थायी रूप से बीमारी को ठीक नहीं करते, बस रोगी के लक्षणों में अल्पकालिक राहत प्रदान करते हैं।

डॉ.सुदीप जैन

स्पाइन सर्जन, नई दिल्ली

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