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टाइफाइड से लापरवाही पड़ेगी भारी

बरसात के मौसम में टाइफाइड के मामले बढ़ जाते हैं। इसका कारण यह है कि बरसात में पेयजल के संक्रमित व प्रदूषित होने की आशंकाएं काफी बढ़ जाती हैं। टाइफाइड सल्मोनेला नामक एक बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। यह बैक्टीरिया प्रदूषित पेय व खाद्य पदार्र्थो के सेवन से आंतों में जाकर वहां

By Edited By: Published: Tue, 13 Aug 2013 12:04 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2013 12:04 PM (IST)
टाइफाइड से लापरवाही पड़ेगी भारी

बरसात के मौसम में टाइफाइड के मामले बढ़ जाते हैं। इसका कारण यह है कि बरसात में पेयजल के संक्रमित व प्रदूषित होने की आशंकाएं काफी बढ़ जाती हैं।

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टाइफाइड सल्मोनेला नामक एक बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। यह बैक्टीरिया प्रदूषित पेय व खाद्य पदार्र्थो के सेवन से आंतों में जाकर वहां से रक्त में पहुंच जाता है।

लक्षण

-बुखार शुरू में हल्का, पर धीरे-धीरे तेज होता जाता है।

-भूख कम लगना और उल्टियां आना।

-सिर-दर्द और बदन-दर्द।

-सूखी खांसी आना और पेट में दर्द।

-कब्ज या दस्त होना।

-कभी-कभी शौच में खून का आना।

-रोग की गंभीर स्थिति में बेहोशी भी आ सकती है।

जटिलताएं

-समय पर इलाज न होने पर कुछ रोगियों की आंतों में खून का रिसाव होने लगता है।

-आंतों में परफोरेशन (आंतों का फटना)।

-दिमागी बुखार (मेनिनजाइटिस) और न्यूमोनिया के होने का खतरा।

इलाज

टाइफाइड के इलाज के लिए कई कारगर एन्टीबॉयटिक्स उपलब्ध हैं, पर एन्टाबायोटिक लेते समयं इन बातों का ध्यान रखें..

-डाक्टर की सलाह के बगैर दवाएं न लें। डॉक्टर के परामर्श से ब्लड टेस्ट के बाद ही दवा शुरू करें।

-एंटीबॉयटिक को सही मात्रा और सही समय पर लें और दवा का पूरा कोर्स करें। दवा को बीच में न छोड़ें।

-निधारित डोज में दवा न लेना और उचित वक्त पर दवा न लेना या बार-बार एंटीबॉयोटिक्स बदलने से यह रोग 'बैक्टीरिया रेजिस्टेंट' हो सकता है।

-बुखार में पेरासीटामोल का इस्तेमान करें।

-पानी और अन्य तरल पदार्र्थो का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।

बचाव

साबुन और बहते पानी में हाथों को अच्छी तरह से धोने से टाइफाइड समेत अनेक संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है। खाने से पहले और शौच के बाद हाथ जरूर साफ करें। इसी तरह बाजार में रखे खुले और कटे हुए खाद्य पदार्र्थो और फलों को न खाएं।

टाइफाइड की बीमारी से बचाव के लिए टीका(वैक्सीन) उपलब्ध है। टीका हर 2 साल बाद दोबारा लगवाना पड़ता है।

ध्यान दें

टाइफाइड का पता स्लाइड विडाल टेस्ट या टाइफीडॉट टेस्ट से लगता है। इन जांचों के रिजल्ट कभी-कभी फाल्स पॉजीटिव या फाल्स निगेटिव हो सकते हैं। इसका मतलब है कि बीमारी न होने पर भी यह टेस्ट कभी-कभी पॉजीटिवल आ सकता है या बीमारी होने पर भी निगेटिव हो सकता है। इसलिए बीमारी का इलाज और टेस्ट डॉक्टर की सलाह से करवाएं।

डॉ.सुशीला कटारिया फिजीशियन

मेदांत दि मेडिसिटी, गुड़गांव

sushila.kataria@medanta.org

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