घर की खिड़कियां खुली रखने पर हो सकते हैं बीमार
फोर्टिस अस्पताल के नेत्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. नीतू शर्मा ने कहा कि प्रदूषण बढ़ने के चलते पार्टिकुलेट मैटर वातावरण में बढ़ गए हैं। इस वजह से वातावरण में धूल कण के अंश भी है। वातावरण में प्रदूषण अधिक होने पर घर के कमरों में भी प्रदूषण बढ़ सकता है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी में प्रदूषण बढ़ने से अस्पतालों में सांस के मरीज तो बढ़ ही गए हैं। प्रदूषण भी इस कदर बढ़ गया है कि आंखों में भी जलन महसूस होने लगी है। डॉक्टर कहते हैं कि प्रदूषण बढ़ने के चलते वातावरण में मौजूद धूल कण और कार्बन के कण आंखों में प्रवेश कर कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं। प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभाव के मद्देनजर इन दिनों घर की खिड़कियों को बंद करके ही रखें। खिड़कियों को खुला रखना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
फोर्टिस अस्पताल के नेत्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. नीतू शर्मा ने कहा कि प्रदूषण बढ़ने के चलते पार्टिकुलेट मैटर वातावरण में बढ़ गए हैं। इस वजह से वातावरण में धूल कण के अंश भी है। वातावरण में प्रदूषण अधिक होने पर घर के कमरों में भी प्रदूषण बढ़ सकता है। इससे आंखों में भी परेशानी हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण बढ़ने से आंखों में जलन होने लगती है। इसके अलावा आंखे लाल हो जाती हैं। जो लोग आंखों में कांटेक्ट लेंस लगाते हैं वे आंखों को रगड़े नहीं। बल्कि आंखें बंद कर के पानी के छींटे मारें। इससे आंखों को आराम मिलता है। उन्होंने कहा कि आंखों को रगड़ने से कॉर्निया प्रभावित हो सकती है। दिन में बार-बार आंखों पर पानी के छींटे मारने से भी आंखें ड्राई हो सकती हैं। इसलिए आंखों पर बार-बार पानी के छींटे न मारें। प्रदूषण से आंखों को बचाने के लिए चश्मे का इस्तेमाल करें।
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