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मोटापे का वार, घुटने ना करें बेकार

मोटापे का दुष्प्रभाव आपके घुटनों को नुकसान पहुंचा कर उनमें दर्द की समस्या भी पैदा कर सकता है। घुटनों में जुड़ने वाली हड्डियां कार्टिलेज से घिरी होती हैं, जो जांघ की हड्डियाें, पिंडली की हड्डियों और नी कैप के लिए एक चिकनी और फिसलने की सतह प्रदान करती हैं। इस कारण चलने के दौर

By Edited By: Published: Tue, 26 Nov 2013 11:47 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2013 11:47 AM (IST)
मोटापे का वार, घुटने ना करें बेकार

मोटापे का दुष्प्रभाव आपके घुटनों को नुकसान पहुंचा कर उनमें दर्द की समस्या भी पैदा कर सकता है। घुटनों में जुड़ने वाली हड्डियां कार्टिलेज से घिरी होती हैं, जो जांघ की हड्डियाें, पिंडली की हड्डियों और नी कैप के लिए एक चिकनी और फिसलने की सतह प्रदान करती हैं। इस कारण चलने के दौरान जोड़ों के अंदर घुटने में जुड़ने वाली हड्डियां आसानी से मूव करती हैं। लेकिन अगर आपका वजन सामान्य से अधिक होगा, तो आपके कार्टिलेज पर अधिक भार पड़ेगा। इससे घुटने की ऑस्टियोअर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।

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दुष्प्रभाव

शरीर में अधिक वसा(फैट) होने की स्थिति में लैपटिन नामक हार्मोन के स्राव का खतरा भी बढ़ जाता है, जिससे ऑस्टियोअर्थराइटिस के होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा शरीर में मौजूद वसा ऐसे पदार्थ स्रावित करती है, जो शरीर में सूजन के अलावा अनेक हानिकारक तत्व (फ्रीरेडिकल्स) पैदा करते हैं।

मोटापे से ग्रस्त लोगों में रक्त संचरण (ब्लड सर्कुलेशन) की भी समस्या होती है। इस कारण कार्टिलेज में भी रक्त की कम आपूर्ति होती है। मोटापे के कारण विकारग्रस्त घुटनों की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए कम्प्यूटर असिस्टेड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी काफी कारगर साबित हुई है।

जानकारियां

-मोटापे से ग्रस्त या अधिक वजन वाले जिन लोगों ने खान-पान पर नियंत्रण रखकर और व्यायाम कर अपना वजन कम लिया है, तो उनके घुटने के दर्द की पीड़ा कम होकर करीब आधा रह जाती है। वजन कम करना घुटनों को स्वस्थ रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

-यदि आपको कोई पुरानी स्वास्थ्य समस्या है या आपको पहले से ही घुटने में दर्द की समस्या है, तो आप डॉक्टर से उन शारीरिक गतिविधियों व व्यायाम के बारे में बात करें जो आपके लिए सुरक्षित हो सकती हैं।

-अधिक वजन वाले लोगों के लिए अच्छे व्यायाम के अंतर्गत पैदल चलना भी फायदेमंद हैं। जब आप वॉकिंग शुरू करें, तो इससे पहले घर में ही कुछ मिनट की वॉकिंग या साईक्लिंग आदि कर लें।

-अधिक सक्रिय रहें। अपनी दिनचर्या में अधिक शारीरिक गतिविधियों को शामिल करें।

(डॉ. अनिल रहेजा वरिष्ठ अस्थि व जोड़ रोग विशेषज्ञ)

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