प्रकृति है बच्चों की सबसे बड़ी रक्षक
बच्चों की तमाम मौसमी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करने में प्रकृति कई तरह से मदद करती है। प्राकृतिक तरीकों को अपनाकर आप न सिर्फ अपने बच्चों की सेहत ठीक कर सकते हैं, बल्कि उन्हें अंदरूनी ताकत भी दे सकते हैं...
बच्चों की तमाम मौसमी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करने में प्रकृति कई तरह से मदद करती है। प्राकृतिक तरीकों को अपनाकर आप न सिर्फ अपने बच्चों की सेहत ठीक कर सकते हैं, बल्कि उन्हें अंदरूनी ताकत भी दे सकते हैं...
बच्चे तो नाजुक होते ही हैं। उन्हें बेहतर देख-भाल की जरूरत हमेशा रहती है, लेकिन इस मौसम में उन्हें कई विशेष सावधानियों की जरूरत होती है। छोटे बच्चों को इस मौसम में सर्दी-जुकाम के अलावा कब्ज, दमा और साइनस जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं।
खान-पान पर विशेष ध्यान
इसलिए इस मौसम में बच्चों के खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस मौसम में ठंड
की वजह से अक्सर बच्चे पानी नहीं पीना चाहते। परिवार के लोगों को चाहिए कि वे
उनके लिए पानी गर्म कर किसी थर्मस में रखें और थोड़े-थोड़े समय पर उसे सामान्य पानी
में मिला कर देते रहें। भले ही ठंड का मौसम हो, लेकिन बच्चों को रोजाना कम से कम एक
से डेढ़ लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। इसी तरह बच्चे इस मौसम में तली-भुनी
हुई चीजें और मसालेदार चीजें ज्यादा खाना चाहते हैं। इन सब चीजों से बच्चों की आंत में
समस्या हो सकती है। अगर उसे नियमित तौर पर फाइबर वाली खुराक नहीं मिल रही है, तो
उसे कब्ज की शिकायत हो सकती है। कब्ज शरीर के लिए कई बीमारियों की जड़ है।
सब्जियों और फलों में फाइबर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। इसलिए पकी हुई सब्जी
के अलावा स्टीम की हुई सब्जियां और फलों का सलाद बच्चों को पर्याप्त मात्रा में दें।
मांसाहारी खाने और दूध से शरीर को फाइबर नहीं मिल पाता। इसी तरह ठंड की वजह से
बच्चे चाय, काफी आदि गर्म पेय ज्यादा पीना चाहते हैं और फास्ट फूड्स पर भी उनका जोर
होता है, लेकिन उन्हें इन चीजों से दूर रखना चाहिए। इसी तरह चावल के पुलाव या
बिरयानी आदि खिलाने की बजाय बच्चों को गेहूं की चपाती दें। आटे में अगर चोकर
शामिल कर लें तो बेहतर होगा। अगर चावल खाना जरूरी ही लगे, तो फ्राइ किए हुए चावल
की बजाय सिर्फ उबले हुए चावल खाने के लिए दें।
कब्ज है चिंता का कारण
खाने में नमक और तेल को भी कम शामिल करें। अगर इन बातों का ध्यान रखेंगे, तो बच्चे
को सर्दी में कब्ज होने की आशंका कम हो जायगी। अगर बच्चे को कब्ज हो गया हो, तो
रात को पानी में त्रिफला भिगो दें और सुबह उसे अच्छी तरह फेंट लें। बच्चों को यह पानी
देने से भी राहत मिलेगी या फिर तीन लीटर पानी में आधा से एक टेबलस्पून जीरा डालकर
उबाल लें फिर उस पानी को पी लें। इससे भूख भी बढ़ेगी। चाहें तो इसे उबालते हुए
तुलसी के पत्ते भी डाल सकते हैं।
खांसी-जुकाम दूर करें
अगर बच्चे को खांसी-जुकाम हो गया है, तो एक गिलास पानी में तीन लौंग, एक अदरक क ा टुकड़ा और इलाइची के कुछ दाने के साथ एक टेबलस्पून शहद डाल दें। इसे उबालकर ठंडाकर दिन में तीन से चार बार दें। अगर गले में खराश हो गई हो, तो गर्म पानी में थोड़ा नमक डाल कर गरारे करवाएं।
हॉट फुट बाथ
बच्चों को हॉट फुट बाथ से भी प्राकृतिक तौर पर बहुत लाभ मिलेगा। यह प्रक्रिया शुरू करने से पहले बच्चे को एक गिलास गुनगुना पानी पिला दें। इसके बाद एक बाल्टी में सह सकने लायक गर्म पानी को आधा भर लें।
पानी का तापमान उतना ही होना चाहिए, जिसे बच्चा आसानी से सह सके। फिर उसके शरीर को ठंड से बचाने के लिए कंबल आदि से अच्छे से ढक दें। बच्चे के सिर पर सामान्य ठंडे पानी में भिगोई रूमाल रख दें ताकि गर्मी सिर तक नहीं पहुंचे। धीरे-धीरे बाल्टी में अधिक गर्म पानी मिलाकर उसका तापमान बढ़ा सकते हैं। मगर यह बहुत
अधिक गर्म नहीं हो, इसका हमेशा ध्यान रखें। पानी का अधिकतम तापमान 44 डिग्री तक ही होना चाहिए। दस से 15 मिनट तक यह प्रक्रिया जारी रखें।
बच्चे के पैर गर्म पानी में लाल हो गए होंगे। इसके बाद सामान्य तापमान के पानी से उसे धो दें और अच्छी तरह पोंछ दें। रात को सोने से पहले या सुबह उठते ही यह प्रक्रिया करने से बच्चों को काफी लाभ मिलेगा, लेकिन यह घर में कमरे के अंदर करें ताकि ज्यादा हवा नहीं लगे। इससे बच्चे को अच्छी नींद भी आएगी। इसी तरह की
प्रक्रिया बांहों के साथ भी कर सकते हैं। यह ध्यान रखना जरूरी है कि जो बचाव के उपाय या इलाज के उपाय आप बच्चों के लिए कर रहे हैं, उन्हें जरूरत पड़ने पर खुद भी अपनाएं। बच्चे उदाहरण से ही सीखते हैं।
नियमित रूप से योग और प्राणायाम करने से भी बच्चे रोगमुक्त रहते हैं। योग और प्राणायाम को पूरे परिवार की दिनचर्या में शामिल करें।
डॉ. रुकमनी नायर
प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ