एनएएफएलडी एक आधुनिक इलाज यह भी
यह सच है कि शराब पीने से लिवर से संबंधित रोगों के होने का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाता है, लेकिन शराब न पीने के बावजूद लोग नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) से ग्रस्त हो सकते हैं। अब बैरियाट्रिक सर्जरी के जरिये इस रोग को नियंत्रण में लाया जा
यह सच है कि शराब पीने से लिवर से संबंधित रोगों के होने का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाता है, लेकिन शराब न पीने के बावजूद लोग नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) से ग्रस्त हो सकते हैं। अब बैरियाट्रिक सर्जरी के जरिये इस रोग को नियंत्रण में लाया जा सकता है...
मोटापा और मधुमेह (डाइबिटीज) से ग्रस्त रोगियों में नॉन अल्कोहलिक फैटी
लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) से ग्रस्त होने का खतरा अन्य लोगों की तुलना में
कहीं ज्यादा होता है। यही नहीं,लिवर में वसा या फैट जमा होने के कारण भविष्य में डाइबिटीज
होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
क्या है एनएएफएलडी
वस्तुत: एनएएफएलडी नामक शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो बहुत कम शराब पीते हैं या बिल्कुल नहीं लेते। इसके बावजूद उनके लिवर में फैट जमा हो जाता है, जिसका संबंध मोटापा, इंसुलिन रेजिस्टेंस व हाई कॉलेस्ट्रॉल आदि से होता है।
लक्षण
एनएएफएलडी में शराब पीने वालों के मुकाबले लक्षण बहुत कम या प्रकट होते ही नहीं हैं। मरीज सिर्फ थकान, पेट के ऊपरी हिस्से में हल्की तकलीफ और कुछ मामलों में पीलिया के लक्षण प्रकट होते हैं। जांच प्रक्रिया रक्त की जांच,अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, सीटी स्कैन, लिवर की बायोप्सी और लिवर स्कैन।
उपचार
फैटी लिवर का सबसे ज्यादा खतरा मोटापे और डायबिटीज से ग्रस्त लोगों मेंहोता है। इसलिए डाइबिटीज होने या वजन बढऩे पर समय-समय पर मरीजों को लिवर फंक्शन टेस्ट कराते रहना चाहिए। जैसे ही लिवर में वसा या फैट के लक्षण प्रकट हो, तो सतर्क हो जाना चाहिए। शीघ्र डॉक्टर से मिलना चाहिए। खानपान व जीवनशैली को नियंत्रित करना चाहिए। नियमित व्यायाम और प्राणायाम आदि भी आपके उपचार में मददगार सिद्ध होते हैं।
बैरियाट्रिक सर्जरी से केवल वजन ही कम नहीं होता बल्कि यह नॉन अल्कोहलिक फैटी
लिवर डिजीज में भी सुधार कर सकती है।
बैरियाट्रिक सर्जरी की प्रक्रिया मोटापे से संबंधित स्थितियों में सुधार लाने से जुड़ी है। यदि
जीवन-शैली में सकारात्मक परिवर्तन ( जैसे खानपान में संयम बरतना और व्यायाम करना
आदि) करने और दवाएं लेने के बाद भी लंबे समय तक वजन को नियंत्रित करने में सफलता
प्राप्त नहीं होती, तो उस स्थिति में बैरियाट्रिक सर्जरी इलाज का एक प्रभावी विकल्प है।
उपलब्ध प्रमाणों से पता चलता है कि नॉन फैटी लिवर से ग्रस्त रोगियों में बैरियाट्रिक सर्जरी से
स्टीएटॉसिस नामक समस्या, लिवर में सूजन, और फाइब्रोसिस (किसी शारीरिक अंग
का सिकुड़ जाना) के ग्रेड में कमी की जा सकती है।
डॉ.आशीष भनोत बैरियाट्रिक सर्जन
दिल्ली