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जानिए क्या है ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया ?

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) नामक रोग में सोते समय अक्सर सांस लेने की प्रक्रिया कुछ पलों के लिए रुक जाती है और इसके बाद यह फिर शुरू हो जाती है। लक्षण -इतनी जोर से खर्राटे लेना कि अन्य लोगों की नींद में खलल पड़े। -सोते हुए बीच-बीच में अचानक सांस नहीं आना, जिससे अक्

By Edited By: Published: Tue, 20 May 2014 12:36 PM (IST)Updated: Tue, 20 May 2014 12:36 PM (IST)
जानिए क्या है ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया ?

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) नामक रोग में सोते समय अक्सर सांस लेने की प्रक्रिया कुछ पलों के लिए रुक जाती है और इसके बाद यह फिर शुरू हो जाती है।

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लक्षण

-इतनी जोर से खर्राटे लेना कि अन्य लोगों की नींद में खलल पड़े।

-सोते हुए बीच-बीच में अचानक सांस नहीं आना, जिससे अक्सर पीड़ित व्यक्ति नींद से उठ जाता है।

-सोते समय बीच-बीच में सांस रुकना।

-दिन भर सुस्ती छाई रहना, जिससे व्यक्ति काम के दौरान, टेलीविजन देखते हुए या वाहन चलाते हुए सो सकता है।

किन लोगों को है जोखिम

-मोटापे से ग्रस्त लोगों को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया होनी की आशंकाएं ज्यादा होती हैं।

-गर्दन के मोटा होने से सांस मार्ग छोटा हो सकता है और यह स्थिति मोटापे का संकेत हो सकती है। पुरुषों के लिए गर्दन की माप 17 इंच और महिलाओं के लिए 16 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे अधिक होने पर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया का जोखिम बढ़ जाता है।

-ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया होने की संभावना उन लोगों में दोगुनी हो जाती है, जिन्हें रात में अक्सर नाक बंद होने की समस्या रहती है।

जटिलताएं

इलाज न होने पर ओएसए से कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं..

कार्डियो-वैस्क्युलर समस्याएं

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया के दौरान रक्त के ऑक्सीजन स्तर में अचानक कमी आना, ब्लड प्रेशर बढ़ना और कार्डियो-वैस्क्युलर सिस्टम पर दबाव बढ़ना सरीखी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। इस रोग से ग्रस्त कई लोगों में उच्च रक्तचाप की समस्या होती है, जिससे हृदय संबंधी रोग होने की आशंका बढ़ जाती है। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया जितना गंभीर होगा, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, दिल का दौरा पड़ना, हृदय की धड़कन रुक जाना और स्ट्रोक होने का जोखिम उतना ही बढ़ जाता है।

दूसरों की नींद पूरी नहीं होना: तेज खर्राटों के कारण आपके आसपास के लोगों को भी सही तरीके से आराम नहीं मिल पाता। इसका असर आपके संबंधों पर भी पड़ने लगता है।

जांच: स्लीप स्टडी या पॉलीसोम्नोग्राफी की जाती है। इसके अंतर्गत पल्स ऑक्सीमेट्री (ऑक्सीजन), मस्तिष्क की तरंगें (ईईजी), दिल की धड़कन (ईकेजी), सीने और आंखों की स्थिति का अध्ययन किया जाता है।

आधुनिक जांच प्रक्रिया: आधुनिक तकनीक की मदद से आप इस रोग से संबंधित परीक्षणों को अपने घर में करा सकते हैं ताकि आपको अस्पताल में रात बिताने की जरूरत न पड़े। घड़ी की तरह दिखने वाली इस डिवाइस को आपकी उंगलियों के पौरों और बाजुओं पर लगा दिया जाता है, जिससे आपकी सोने की स्थितियों और आंखों की हरकतों पर नजर रखी जा सके।

इलाज

-निरंतर हवा का सकारात्मक दबाव बने रहना (सीपीएपी): यह एक छोटा पोर्टेबल मैकेनिकल डिवाइस है। इस डिवाइस में एक पंखा लगा होता है, जो नींद के दौरान लगातार हवा देकर आपके सांस मार्ग को खुला रखता है।

-कुछ ऐसे प्लास्टिक डिवाइस होते हैं, जिन्हें मुंह में पहना जाता है। दिखने में ये ऑर्थोडॉन्टिक रिटेनर्स या स्पोर्ट माउथ गा‌र्ड्स की ही तरह होते हैं। ये ओरल डिवाइस सांस मार्ग को चिपकने से रोकते हैं।

-सर्जिकल इलाज के अंतर्गत नाक, तालू, जीभ, जबड़ा, गर्दन और कई अन्य जगहों की समस्याओं को दूर किया जाता है। सबसे लोकप्रिय सर्जरी लेजर प्रक्रिया है, जो खर्राटे भरने और सोते वक्त सांस की समस्या को दूर करने में सक्षम हैं।

(डॉ.एल.एम.पाराशर ,सीनियर ईएनटी विशेषज्ञ, नई दिल्ली)


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