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लाइलाज नहीं रहा हड्डी का कैंसर, ऐसेे हो सकता है इसका उपचार

बोन कैंसर का सामान्य लक्षण हड्डियों मे दर्द होना है। वक्त के साथ दर्द में इजाफा होने लगता है।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Wed, 01 Feb 2017 12:24 PM (IST)Updated: Wed, 01 Feb 2017 12:42 PM (IST)
लाइलाज नहीं रहा हड्डी का कैंसर, ऐसेे हो सकता है इसका उपचार

जब कैंसर की कोशिकाएं हड्डियों के अंदर फैल जाती हैं, तो उसे हड्डियों (बोन्स) का कैंसर कहते है। बोन कैंसर किसी भी हड्डी के अंदर हो सकता है, लेकिन खासकर बोन कैंसर हाथों और पैरों की हड्डियों में ज्यादा होता है।
ये हैं लक्षण
- बोन कैंसर का सामान्य लक्षण हड्डियों मे दर्द होना है। वक्त के साथ दर्द में इजाफा होने लगता है।
- शरीर के पीड़ित भाग में सूजन।
- कैंसर होने पर हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं और जरा-सा आघात लगने पर इनके बार-बार फ्रैक्चर होने का जोखिम बढ़ जाता है।
- बोन कैंसर की वजह से शरीर में भी बहुत दर्द होता है। खासकर कमर में।

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क्यों होता है
अभी तक बोन कैंसर के कारणों का पता नहीं चल सका है, लेकिन कई बार इसे आनुवांशिक कारणों से जोड़कर देखा जाता है।


प्रकार
बोन कैंसर कई प्रकार के होते हैं। जैसे बिनाइन बोन कैंसर। इस कैंसर के अंतर्गत बिनाइन ट्यूमर सिर्फ क्षतिग्रस्त हड्डियों में फैलता है और अन्य टिश्यू को नुकसान नहीं पहुंचता है। इसी तरह मैलिग्नेंट बोन कैंसर शरीर के अन्य अंगों मे फैलता है। जैसे फेफड़े और लिवर में। वहीं मेटास्टेटिक बोन कैंसर में किसी दूसरे अंग का कैंसर खून की नली द्वारा बहते हुए हड्डी में फंस जाता है और वहीं बढ़ने लगता है। फेफड़े, स्तन और प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों को मेटास्टेटिक बोन कैंसर होने के खतरा सबसे ज्यादा होता है।

जानें उपचार के बारे में
सर्जरी के जरिये बोन कैंसर का इलाज किया जाता है। सर्जरी करने से पहले कैंसर ट्यूमर के आकार को देखना बहुत जरूरी है, जिसके लिए सीटी स्कैन, पेट सीटी स्कैन और बोन स्कैन की जरूरत होती है।
बिनाइन बोन कैंसर की सर्जरी में ट्यूमर कोशिकाओं को निकाल कर बोन सीमेंट या हड्डी का चूरा भर दिया जाता है और जरूरत के अनुसार प्लेट से फिक्स भी किया जाता है। मैलिग्नेंट बोन कैंसर की सर्जरी करते समय ट्यूमर को पूरी तरह से बाहर निकल दिया जाता है और जितने भी टिश्यूज उसके आसपास थे, उन्हें भी निकाल दिया जाता है। यही नहीं, रोगी की कैंसर से क्षतिग्रस्त हुई हड्डी को कैंसर मुक्त करके दोबारा शरीर में लगा देने वाली अत्याधुनिक तकनीक अब उपलब्ध है। कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी या दोनों की मदद से बोन कैंसर का इलाज पीड़ित भाग को काटे बगैर संभव हो चुका है।

डॉ. स्‍वरूप पटेल, आर्थोपेडिक -ऑनकोलॉजिस्ट
एपेक्स हॉस्पिटल, वाराणसीी


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