स्वभाविक है नाइट ईटिंग सिंड्रोम
ऐसे लोग जो रात में खाने के लिए उठते हैं वे इसके लिए अपने जीन को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। एक नए अनुसंधान से इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया है कि 'नाइट ईटिंग सिंड्रोम' उस समय हो सकता है जब जीन के चलते खाने के पैटर्न के साथ नींद का दोषपूर्ण तालमेल बैठता है।
लंदन। ऐसे लोग जो रात में खाने के लिए उठते हैं वे इसके लिए अपने जीन को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। एक नए अनुसंधान से इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया है कि 'नाइट ईटिंग सिंड्रोम' उस समय हो सकता है जब जीन के चलते खाने के पैटर्न के साथ नींद का दोषपूर्ण तालमेल बैठता है। इससे खाने का समय बदल जाता है, जो अधिक खाने और वजन बढ़ने से जु़ड़ा हुआ है। हालांकि यह बात अलग है कि करीब एक से दो फीसद लोग इससे जूझते हैं। मगर जो जूझते हैं उन्हें इससे अच्छी-खासी परेशानी जरूर होती है। इस बीमारी के प्रमुख लक्षण होते हैं। रात में सोने के दौरान उठ जाना और बगैर कुछ खाए सो नहीं पाना। ऐसी स्थिति में व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा खाने की कोशिश करता है, उसे बिना खाए कुछ भी अच्छा नहीं लगता। नतीजा यह होता है कि वह खाने की अति करने में भी कोई संकोच नहीं करता।
मगर ऐसी स्थिति में जरूरी है स्वनियंत्रण। जिसके बगैर इस बीमारी पर काबू पाना आसान नहीं है। यह न सिर्फ आपके वजन में बढ़ोतरी करेगा बल्कि नींद से लेकर संपूर्ण स्वास्थ्य पर भी इसका सीधा असर दिखाई देता है। यह अध्ययन सेल रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है।