वास्तविकता के आइने में जोड़ प्रत्यारोपण
जोड़ों में आए विकारों का अंतिम तौर पर इलाज जोड़ प्रत्यारोपण है। यह आधुनिक, कारगर और सुरक्षित तरीका है, पर ऐसे प्रत्यारोपण के संदर्भ में लोगों में व्याप्त कुछ भ्रांतियों का निराकरण जरूरी है...
जोड़ों में आए विकारों का अंतिम तौर पर इलाज जोड़ प्रत्यारोपण है। यह आधुनिक, कारगर और सुरक्षित तरीका है, पर ऐसे प्रत्यारोपण के संदर्भ में लोगों में व्याप्त कुछ भ्रांतियों का निराकरण जरूरी है...
भ्रांति: कृत्रिम जोड़ कुदरती जोड़ों की तरह कार्य नहीं करते।
तथ्य: जोड़ प्रत्यारोपण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के कारण कृत्रिम जोड़ों की संरचना और हर रोगी के ज्वाइंट के अनुकूल कृत्रिम जोड़ प्रत्यारोपण की आधुनिक तकनीक ने उपरोक्त भ्रांति को
गलत साबित कर दिया है। अब आधुनिक
कृत्रिम जोड़, कुदरती जोड़ की तरह कार्य
करते हैं।
भ्रांति: मैं युवा हूं। एक दुर्घटनावश मेरे कूल्हे विकारग्रस्त हो गए हैं। मैंने सुना है कि कम उम्र में जोड़ों का प्रत्यारोपण नहीं किया सकता?
तथ्य: जोड़ प्रत्यारोपण का उम्र से संबंध नहीं है, बल्कि यह पीडि़त व्यक्ति की जरूरत से संबंधित है। प्रत्येक मरीज की उम्र और उसकी पीड़ा की स्थिति के अनुसार विभिन्न प्रकार के इंप्लांट्स और तकनीकें उपलब्ध हैं, जिनका हर मरीज
की जरूरत के अनुसार प्रयोग किया जाता है।
भ्रांति: जोड़ प्रत्यारोपण बहुत महंगा है। इससे बेहतर है कि दवाओं और फिजियोथेरेपी से ही काम चलाया जाए।
तथ्य: यह धारणा पूरी तरह से बेबुनियाद है। अगर आप जोड़ प्रत्यारोपण पर होने वाले खर्चे की तुलना निरंतर इस्तेमाल करने वाले पेन किलर्स, तरह-तरह की विभिन्न पद्धतियों के मरहम, शारीरिक परेशानियों के कारण दैनिक रोजमर्रा केजीवन की दिक्कतों पर होने वाले खर्च से करें, तो जोड़ प्रत्यारोपण किफायती और कारगर इलाज है।
भ्रांति: जोड़ प्रत्यारोपण करवाने के बाद पुन: जोड़ प्रत्यारोपण करवाना पड़ता है, क्योंकि कृत्रिम जोड़ों की उम्र ज्यादा नहीं होती और एक बार फिर जोड़ प्रत्यारोपण का ऑपरेशन करवाना पड़ता है।
तथ्य: इस तरह की धारणा बिल्कुल गलत है। आमतौर से जोड़ प्रत्यारोपण की अवधि लगभग 20 से 30 साल तक होती है। जोड़ प्रत्यारोपण के बाद कोई भी व्यक्ति अपनी सामान्य दिनचर्या पर वापस आ सकता है।
डॉ. राघवेंद्र जायसवाल
अस्थि व जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ