इंसुलिन से न घबराए
इंसुलिन के संदर्भ में लोगों में कई गलत धारणाएं व्याप्त हैं, जिनका तथ्यों की रोशनी में निराकरण करना जरूरी है...
इंसुलिन के संदर्भ में लोगों में कई गलत धारणाएं व्याप्त हैं, जिनका तथ्यों की रोशनी में निराकरण
करना जरूरी है...
इंसुलिन एक प्राकृतिक हार्मोन है, जो हमारे शरीर में अग्नाशय (पैन्क्रियाज) में बनता है। मधुमेह
(डाइबिटीज) से प्रभावित लोगों में या तो इंसुलिन की कमी होती है, या फिर इंसुलिन रेजिस्टेन्स (शरीर
इंसुलिन का इस्तेमाल नही कर पाता) होता है। इस कारणवश रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) शरीर की
कोशिकाओं में इस्तेमाल नहीं हो पाती और यह रक्त में ही रह जाती है।
दूर करें गलत धारणाएं
मधुमेह की चिकित्सा में इंसुलिन बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली है। अगर इंसुलिन सही समय
पर दी जाए, तो यह मधुमेह से होने वाली जटिल समस्याओं से बचाव करने में सहायक होती है।
मधुमेह से ग्रस्त एक तिहाई लोग आज भी इंसुलिन लेने में संकोच करते हैं। इंसुलिन
को लेकर कई गलत धारणाएं व्याप्त हैं, जिनका तथ्यों की रोशनी में
निराकरण करना जरूरी है।
टाइप- 2 मधुमेह एक ऐसा रोग है
जिसमें अग्नाशय के बीटा
सेल्स (जिनसे इंसुलिन बनती है) धीरे-धीरे नष्ट होते हैं। इसलिए इंसुलिन की कमी की वजह से टाइप-2
मधुमेह के मरीज को इंसुलिन की आवश्यकता पड़ सकती है। टाइप-2 मधुमेह में दवाई, व्यायाम, खान-
पान का ध्यान रखने के बाद भी इंसुलिन की आवश्यकता हो सकती है।
इंसुलिन को कई बार आखिरी पड़ाव समझा जाता है, यह एक गलत धारणा है। मधुमेह की जटिल समस्याओं
से बचाव के लिए और रक्त शर्करा पर नियंत्रण पाने के लिए इंसुलिन दवाओं से कहीं ज्यादा लाभकारी सिद्ध
होती है। इंसुलिन लगाने का मतलब यह नहींकि आप की बीमारी गंभीर हो गई है। आमतौर पर इंसुलिन इसलिए
लगाई जाती है कि बीमारी गंभीर न हो।
इंसुलिन पेन का उपयोग
बहुत लोगों को सुई या इंजेक्शन के नाम से ही डर लगता है, परंतु अब इंसुलिन लगाने के लिए सुई की
जगह इंसुलिन पेन का उपयोग किया जा सकता है। इंसुलिन पेन इस्तेमाल करने से दर्द न के बराबर होता
है और यह इस्तेमाल करना आसान भी होता है। कई लोग यह धारणा भी रखते हैं कि एक बार
इंसुलिन लग जाने से इंसुलिन की आदत हो जाती है। टाइप-2 मधुमेह में कई बार किसी अन्य रोग की सर्जरी
करने पर या किसी बीमारी में इंसुलिन देना पड़ता है और धीरे-धीरे इसे बाद में हटा दिया जाता है। कभी
कभी रक्त शर्करा के बढ़ जाने पर इंसुलिन का उपयोग अनिवार्य हो जाता है, लेकिन रक्त शर्करा के नियंत्रण
में आने के पश्चात इंसुलिन बंद कर दी जाती है। याद रखें कि इंसुलिन डॉक्टर की सलाह से शुरू करें या
छोड़ें। इस बारे में अपने डॉक्टर की सलाह मानें। रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखना जरूरी है, फिर चाहे वह
दवाई से हो या इंसुलिन से। इंसुलिन से कभी न घबराएं।
डॉ.अंबरीश मित्तल सीनियर इंडोक्राइनोेलॉजिस्ट
मेदांता दि मेडिसिटी, गुड़गांव