प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया तो बढ़ सकते हैं कैंसर के मामले
डॉक्टरों कहना है कि यदि प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाए नहीं किए गए तो इसके धुएं के चलते फेफड़े के कैंसर के मामले चार से पांच सालों में बढ़ सकते हैं
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रदूषण बढ़ने के चलते तत्कालिक रूप से सांस और हृदय के मरीजों की तकलीफें बढ़ गई है। अस्पतालों में 30 से 35 फीसद तक मरीज भी बढ़ गए हैं। पर इस प्रदूषण का स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक असर ज्यादा घातक पड़ने की आशंका है। डॉक्टरों कहना है कि यदि प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाए नहीं किए गए तो इसके धुएं के चलते फेफड़े के कैंसर के मामले चार से पांच सालों में बढ़ सकते हैं। ऐसे में प्रदूषण लोगों के लिए ज्यादा घातक साबित होगा।
गंगाराम अस्पताल के सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. बॉबी बलहोत्र ने कहा कि कुछ देर बाहर रहने पर सांस लेने में दम घुटने लगता है और आंखों में जलन होने लगती है। हवा में कैंसर फैलाने वाली जहरीली गैसें और तत्व बढ़ गए हैं। इसका कारण पराली जलाना भी हो सकता है। पर असल कारण दिल्ली में हर साल वाहनों की बढ़ती तादाद, कूड़े का निस्तारण न हो पाना, कूड़े जलाना आदि है। यदि उन चीजों को नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले समय में भी प्रदूषण बढ़ेगा। इससे कैंसर के मामले बढ़ेंगे। मौजूदा समय में पिछले कुछ दिनों से ओपीडी में सांस लेने में परेशानी और सीने में दर्द की शिकायत लेकर अधिक मरीज पहुंच रहे हैं।
गंगाराम अस्पताल की सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मी सामा ने कहा कि ओपीडी में 30 से 35 फीसद सांस व अस्थमा के मरीज बढ़ गए हैं। पुराने मरीजों के अलावा नए मरीज भी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एके राय ने कहा कि प्रदूषण का बच्चों पर ज्यादा असर देखा जा रहा है। खांसी व सांस की बीमारियों से बच्चे प्रभावित हो रहे हैं।
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