लिवर को मिले लंबी उम्र
लिवर को हेल्दी रखने के क्रम में वाइरस इंफेक्शन के प्रकारों की जानकारी के साथ ही उनसे बचाव के उपायों पर जोर दे रही हैं मेदांता द मेडिसिटी की सीनियर फिजीशियन डॉ.सुशीला कटारियाब
वाइरस इंफेक्शन से होती है लिवर से संबंधित बीमारी हेपेटाइटिस। हालांकि इसका इलाज मुमकिन है, पर सही जानकारी व थोड़ी सी सूझबूझ से आप स्वयं को रख सकते हैं हेपेटाइटिस की गिरफ्त से दूर। लिवर को हेल्दी रखने के क्रम में वाइरस इंफेक्शन के प्रकारों की जानकारी के साथ ही उनसे बचाव के उपायों पर जोर दे रही हैं मेदांता द मेडिसिटी की सीनियर फिजीशियन डॉ.सुशीला कटारियाब
जब लिवर में कोई संक्रमण, सूजन या किसी तरह का विकार पैदा हो जाता है, तो उस संक्रमण (इंफेक्शन) या विकार से संबंधित लक्षणों को हेपेटाइटिसया आम भाषा में पीलिया (जॉन्डिस) कहते हैं।
बिलरुबिन का प्रभाव
पीलिया यह एक बीमारी न होकर सिर्फ कुछ लक्षणों को सामने लाता है। लक्षणों के अंतर्गत आंखों के सफेद वाले हिस्से में पीलापन आ जाता है। पीलिया के लक्षण शरीर में इतना बदलाव ला देते हैं कि पीडि़त व्यक्ति की आंखों और त्वचा का रंग भी बदल जाता है। शरीर में इस पीलेपन को लाने वाले पदार्थ को बिलरुबिन कहते हैं और यह लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल्स) के टूटने से बनता है।
कारण
- लिवर में वाइरस इंफेक्शन। जैसे हेपेटाइटिस ए.,बी.,सी.,डी. और ई.।
- शरीर में रक्त कोशिकाओं का जल्दी टूटना।
- शराब के कारण लिवर क्षतिग्रस्त होना।
- कुछ दवाओं और विषैले पदार्थों के प्रभाव के कारण।
- शरीर में ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस और 'एस एल ई- नामक रोगों के कारण।
- पित्त नली (बाइल डक्ट) के रास्ते में पथरी या ट्यूमर का होना।
वैसे तो सैंकड़ों तरह के वाइरस लिवर को संक्रमित कर सकते हैं, पर इसमें पांच वाइरस सबसे महत्वपूर्ण हैं...
हेपेटाइटिस ए यह दूषित खाद्य और पेय पदार्र्थों के ग्रहण करने से होता है। गर्मी और बरसात के दिनों में इस बीमारी का प्रकोप बढ़ जाता है। बीमार व्यक्ति के मल-मूत्र से वाइरस निकलता है और अगर उसका विसर्जन ठीक से न हो, तो वह पेयजल को भी दूषित करता है।
हेपेटाइटिस बी
यह हेपेटाइटिस बी नामक वाइरस से होता है। यह खून या उससे तैयार प्लाज्मा या प्लेटलेट चढ़ाने से दूषित निडिल से या प्रभावित या संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित सेक्स करने से फैलता है। यह इंफेक्शन कई मामलों में क्रॉनिक (लंबे वक्त तक जारी रहता है) हो जाता है और लिवर को क्षति पहुंचाता रहता है। ऐसी स्थिति में आगे चलकर लिवर कैन्सर, लिवर सिरोसिस और लिवर फेल्योर का खतरा रहता है।
हेपेटाइटिस सी
यह इंफेक्शन हेपेटाइटिस बी की तरह ही फैलता है। ज्यादातर मामलों में संक्रमित खून चढ़ाने और दूषित निडिल से यह लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है।
हेपेटाइटिस डी
यह हेपटाइटिस डी नामक वाइरस से होता है। हेपेटाइटिस डी उन्हीं लोगों को होता है, जिन्हें पहले हेपेटाइटिस बी हो चुका होता है। यह भी हेपेटाइटिस बी और सी की तरह ही फैलता है और इन्हीं दोनों इंफेक्शंस की तरह क्रॉनिक हो सकता है।
हेपेटाइटिस ई
यह हेपटाइटिस ई नामक वाइरस से होता है। यह हेपटाइटिस ए की तरह दूषित पानी और दूषित खाद्य पदार्र्थों को ग्रहण करने से फैलता है। ज्यादातर मामलों में सही देखभाल से यह ठीक हो जाता है। यह बीमारी गंभीर होकर लिवर फेल्योर की समस्या भी पैदा कर सकती है। हेपेटाइटिस ई क्रॉनिक इंफेक्शन में तब्दील नहीं होता।
तथ्यों के आइने में भ्रांति: पीलिया के मरीज को पीले फल और हल्दी न दें।
तथ्य: यह गलत धारणा है और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। पीलिया में मरीज को सभी प्रकार के फल और हल्दी दे सकते हैं। भ्रांति: कुछ लोग यह भी मानते हैं कि किसी तालाब के पानी से नहाने से पीलिया ठीक हो जाता है।
तथ्य: यह धारणा भी गलत है। हेपेटाइटिस ए और ई अधिकतर समय के साथ ठीक हो जाते हैं।
भ्रांति: रोगी को बिल्कुल भी तेलयुक्त खाद्य पदार्थ न दें।
तथ्य: रोगी को सामान्य खाना दें पर अधिक तैलीय, तला हुआ खाना न दें। घर में तैयार
चावल, चपाती, सब्जी और दाल रोगी को दे सकते हैं।
लक्षण
वाइरस से होने वाले सभी प्रकार के हेपेटाइटिस के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं...
- आंखों का रंग पीला होना।
- पेशाब का रंग पीला होना।
- बुखार आना।
- जी मिचलाना या उल्टी होना।
- भूख कम लगना।
- पेट में दर्द होना और पेट का फूल जाना।
गंभीर लक्षण
- शरीर से रक्तस्राव होना।
- बेहोश होना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- पेशाब कम आना।
जानें जटिलताओं को : हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई में एक्यूट लिवर फेल्योर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। हेपेटाइटिस बी. सी. और डी में लिवर सिरोसिस होना और कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। तो ये हैं, क्लीनिकल परीक्षण: लिवर की स्थिति और वाइरस के टाइप या प्रकार को जानने के लिए रक्त परीक्षण कराए जाते हैं। इसी तरह जरूरत पडऩे पर अल्ट्रासाउंड, एमआरआई और एंडोस्कोपी जांचें होती हैं।
समझें समाधान: हेपेटाइटिस ए और ई में लक्षणों के अनुसार इलाज किया जाता है। हेपेटाइटिस बी और सी के लिए कुछ विशिष्ट दवाएं जाती हैं, जो अपने डॉक्टर की सलाह से लें। पीलिया के लक्षणों के सामने आने पर
आप डाक्टर से परामर्श लें।
बेहतर है बचाव
- सबसे अच्छा बचाव है टीकाकरण या वैक्सीनेशन। हेपेटाइटिस ए और बी का टीकाकरण बच्चे और वयस्क दोनों ही करवा सकते हैं।
- खाने को ढककर रखें।
- पेयजल का खास ख्याल रखें। पानी साफ हो। बेहतर हो कि पानी को उबाल कर ठंडा कर लें।
- गली व कूचों में मिलने वाले स्ट्रीट फूड्स का इस्तेमाल न करें।
- शरीर से रक्तस्राव होना।
- कोई भी खाद्य पदार्थ खाने से पहले जीवाणुनाशक साबुन से हाथ धोएं।
बात गन्ने के रस की
रोगी को गन्ने का रस देने में कोई परेशानी नहीं है, पर गली-कूचों में या गलियों में मिलने वाले रस में
साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता।