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क्रोध को करें नियंत्रित

एक ऐसा भाव है जो हम सभी के मन में बहुत बार आता है। यदि आपको अपने क्रोध को नियंत्रित करना आता है तो आप हमेशा और हर स्थिति में प्रसन्न रह सकती हैं...

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 04 Apr 2015 10:37 AM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2015 02:16 PM (IST)

एक ऐसा भाव है जो हम सभी के मन में बहुत बार आता है। यदि आपको अपने क्रोध को नियंत्रित करना आता है तो आप हमेशा और हर स्थिति में प्रसन्न रह सकती हैं...

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कई बार हमारे आपके मन में क्रोध-आक्रोश पनपने लगता है। जब इस क्रोध-आक्रोश की सही अभिव्यक्ति नहीं हो पाती है, तब कुछ लोग अपने शरीर पर खीज निकालते हैं तो कुछ दूसरों पर। मनोचिकित्सकों का कहना है कि मन की अंदरूनी पीड़ा और कुंठा से उपजे क्रोध को काबू करना जरूरी है। क्रोध को नियंत्रित करने के लिए यह जरूरी है कि आप इसके बुनियादी कारणों को समझें।

- उन कारणों को रेखांकित करने का प्रयास करें, जिनके चलते आप भावनात्मक व मानसिक रूप से पीडि़त हैं।

- उन बातों की ओर भी ध्यान दें, जिनके चलते आपका दुख बढ़ जाता है।

- मनोभावों और उनके पैदा होने के मूल कारणों को समझने का प्रयास करें।

- क्रोध को बाहर निकालने का आपका जो भी तरीका हो, पर इस संदर्भ में यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि आपको न तो खुद को पीडि़त करना है और न ही दूसरे को कष्ट पहुंचाना है। क्रोध आने पर मुटिठयां भींचें, पर इनका प्रयोग न करें। यदि आप आस्तिक हैं तो अपने आराध्य को याद करें। इससे आपके क्रोध के ठंडे बस्ते में जाने की संभावना बढ़ जाती है।

- भावनात्मक दुखों को भुलाने के लिए किसी भी तरह के मादक पदार्थ का सहारा न लें। याद रखें ऐसे पदार्थ एक तरह का छलावा हैं। इनका सेवन दुख दूर करने के बजाय स्वास्थ्य बिगड़ता है।

यह है समाधान

- सकारात्मक सोच के जरिए आप अपने क्रोध और आक्रोश को नियंत्रित कर सकती हैं। सबसे पहले आप अपने नकारात्मक व्यवहार को अलविदा कह दें। ऐसा करने के लिए आपको दृढ़ संकल्प शक्ति का परिचय देना होगा।

- अपने प्रति ईमानदार रहें। सच से जी न चुराएं।

- यदि आप आस्तिक हैं तो अपने आराध्य को याद करें। इससे आपके क्रोध की अग्नि शांत होने की संभावना बढ़ जाती है।

- अपनी भावनाओं को समझने का प्रयास करें। किसी समय विशेष में आपकी अनुभूतियां क्या हैं, किस तरह के भाव आ रहे हैं? इनका परीक्षण करें। आप किन बातों से भयभीत हैं? उन कारणों को व्यवाहारिक व सकारात्मक दृष्टि से समझने का प्रयास करें। मनोचिकित्सकों के अनुसार परेशान शख्स के अधिकांश भय काल्पनिक होते हैं। यदि आप उन भयों से रूबरू होने का प्रयास करती हैं तो काफी हद तक आपका भय जाता रहता है।

- उन कारणों पर भी ध्यान देने का प्रयास करें, जिनसे आप प्रसन्न होती हैं। इसी तरह जिन बातों से आप दुखी होती हैं, उन कारणों को भी समझने का प्रयास करें।

- जिन बातों से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है, उन बातों को रेखांकित कर उन पर अमल करें।

- किसी बात को लेकर यदि आप असमंजस में पड़ गयी हैं तो इस स्थिति में अपने अंतर्मन की पुकार सुनें।

- सकारात्मक व रचनात्मक सोच रखने वाले लोगों के बीच रहें। ऐसे लोगों के संपर्क में रहने से आपके मन में भी सकारात्मक भाव पनपेंगे।

- जरूरत पडऩे पर दूसरों को सहयोग दें। जब आप किसी शख्स की मदद करती हैं तो इससे आपको भी अहसास होता है कि आपका भी महत्व है।

- अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। संतुलित पोषक आहार ग्रहण करें। समय पर सोएं और जागें। नियमित रूप से व्यायाम करें। सेहत अच्छी रहने से आप हरेक कार्य को आत्मविश्वास के साथ कर सकती हैं।

- जिन कार्यों में आपकी दिलचस्पी है, उन्हें अंजाम दें। व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालकर अपने शौक के लिए भी वक्त निकालना सीखें।

- फुर्सत के लम्हों में सुरुचिपूर्ण या व्यक्तित्व विकास संबंधी पुस्तकें पढ़ें।

- किसी कार्य को सोचने-विचारने के बाद शुरू करें। अपने मन में संकल्प लें कि अमुक कार्य को पूरा करके ही पूर्ण संतुष्ट होंगी।

- क्रोध में आने के बाद किसी को न तो फोन करें और न ही किसी को मैसेज भेजें। कारण, इस दौरान आपकी नकारात्मक भावनाएं दिमाग पर हावी होती हैं। ऐसे में आप अच्छे शब्दों के बारे में सोच ही नहीं सकतीं हैं।

- क्रोध में आने के बाद किसी भी प्रकार की बहस करने से बचें, क्योंकि क्रोध के दौरान बहस करने से आपके सामने कुछ ऐसी बातें आ सकती हैं, जिनके कारण आप हिंसक व्यवहार भी कर सकती हैं।

निहारिका


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