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ग्लूकोमा लापरवाही है घातक

देश में अंधेपन का एक प्रमुख कारण ग्लूकोमा नामक रोग है, किंतु मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण समय रहते इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है...

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2015 03:03 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2015 03:10 PM (IST)
ग्लूकोमा लापरवाही है घातक

देश में अंधेपन का एक प्रमुख कारण ग्लूकोमा नामक रोग है, किंतु मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण समय रहते इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है...

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ग्लूकोमा या काला मोतिया में ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती है। गौरतलब है कि ऑप्टिक नर्व आंखों से विजन या दृश्य को मस्तिष्क तक पहुंचाती है। आम तौर पर यह बीमारी आंखों में पड़ने वाले उच्च दबाव के कारण होती है, लेकिन दबाव के बगैर आंख की रक्त वाहिनी में विकार के कारण भी सामान्य दबाव की स्थिति में भी यह रोग हो सकता है। 90 फीसदी लोगों को इस रोग का पता तब चलता है, जब वे आंखों का चेकअॅप कराने जाते हैं, लेकिन तब तक 50 फीसदी दृष्टि क्षीण हो चुकी होती है। इस लिए इस बीमारी को साइलेंट थीफ कहा जाता है। इस बीमारी के प्रति सजग रहना जरूरी है।

समय रहते कैसे पता करें

वे सभी लोग जिनकी उम्र 40 साल से अधिक है, उन्हें प्रतिवर्ष आई प्रेशर और ऑप्टिक नर्व की स्थिति का पता करने के लिए चेकअॅप कराना चाहिए। जो लोग मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, और थायराइड संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हैं, उन्हें ग्लूकोमा होने का जोखिम बढ़ जाता है। यहीं नहीं जिनके चश्मे का नंबर बहुत ज्यादा माइनस है या फिर जिनके परिवार का कोई सदस्य ग्लूकोमा से ग्रस्त है, उनमें भी इस रोग के होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा जो लोग किसी न किसी रूप में किसी बीमारी के लिए स्टेरॉयड्स का सेवन कर रहे हैं, या जिनकी आंखों में चोट लग चुकी है या फिर जिन लोगों की ‘आई बाल’ की सर्जरी हुई है, उन्हें भी ग्लूकोमा से सजग रहना चाहिए। इसी तरह मधुमेह के जिन मरीजों में संक्रमण, सूजन या फिर अन्य प्रकार की जटिलताएं पैदा हो गयी हों, तो ऐसे लोगों के डॉक्टरों को आई प्रेशर का सटीक तरीके से चेक अप करना चाहिए।

जांचें

आई प्रेशर की रिकार्र्डिंग, फील्ड चार्र्टिंग, कॉर्नियल थिकनेस रिकार्ड, रेटिना की तस्वीर और नर्व फाइबर की स्थिति के विश्लेषण से ग्लूकोमा का पता लगाया जाता है। ये परीक्षण समय -समय पर कराए जाते हैं। अगर दवाओं से राहत मिल रही है, तो भी ये परीक्षण कराए जाते हैं।

इलाज

पहले विभिन्न प्रकार की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। अगर इनसे राहत नहीं मिलती, तो फिर सर्जरी की जाती है। ग्लूकोमा से पीड़ित मरीजों को एक बार में बहुत ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए। इसी तरह वजन उठाने वाली कसरतों से भी उन्हें बचना चाहिए। ऐसे लोगों को ऐसे आसनों से भी बचना चाहिए,जिनमें सांस को कुछ देर तक रोका जाता है। तेज चाल से टहलना, जॉगिग करना और दौड़ना लाभप्रद है। अगर समय-समय पर आप ग्लूकोमा विशेषज्ञ से जांच कराकर दवाएं लेते हैं, तो ऐसा करने से ग्लूकोमा से होने वाले अंधेपन को रोका जा सकता है और साथ ही पीड़ित व्यक्ति सामन्य जिंदगी बसर कर सकता है।

ग्लूकोमा के प्रकार

ग्लूकोमा के तीन प्रमुख प्रकार है...

1. ओपेन एंगल ग्लूकोमा: रात में देखने में दिक्कत होती है और इसके अलावा अन्य कोई लक्षण प्रकट नहीं होते। निकट दृष्टि के चश्मे के लेंस में तेजी से बदलाव और शाम के समय सिर में दर्द होना।

2. क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा

इस प्रकार के ग्लूकोमा में सिरदर्द, आंखों में लालिमा, नजर का गिरते जाना और रोशनी के इर्दगिर्द सतरंगी गोले जैसा दिखता है।

3. सेकंडरी ग्लूकोमा

सामान्य तौर पर ग्लूकोमा का यह प्रकार आंख में चोट लगने के बाद कोई समस्या पैदा होने, आईबाल की सर्जरी होने और आंखों में स्टेरॉयड का इस्तेमाल करने से हो सकता है। आंखों में सूजन व संक्रमण होने या ट्यूमर होने से भी यह रोग संभव है।

डॉ.हर्ष कुमार वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ, सेंटर फॉर साइट

नई दिल्ली


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