अब जीईआरडी से घबराने की जरूरत नहीं
जीईआरडी यानी गैस्ट्रो इसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज को आम तौर पर हार्ट बर्न भी कहा जाता है। पाचन तंत्र संबंधी यह सामान्य समस्या है। इस रोग में पेट के एसिडिक कन्टेंट (अम्लीय तत्व) भोजन नलिका (इसोफैगस या फूड पाइप) में वापस बहने लगते हैं। भोजन नलिका की भीतरी पर्त एसिड यानी अम्ल क
जीईआरडी यानी गैस्ट्रो इसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज को आम तौर पर हार्ट बर्न भी कहा जाता है। पाचन तंत्र संबंधी यह सामान्य समस्या है। इस रोग में पेट के एसिडिक कन्टेंट (अम्लीय तत्व) भोजन नलिका (इसोफैगस या फूड पाइप) में वापस बहने लगते हैं। भोजन नलिका की भीतरी पर्त एसिड यानी अम्ल को बर्दाश्त करने के लिए नहीं बनी है। इसलिए भोजन नलिका में अम्ल की मौजूदगी उसकी भीतरी पर्त में जख्म (अल्सर) पैदा कर देती है। इस स्थिति को ही हार्ट बर्न कहते हैं।
लक्षण
-सीने में जलन का अनुभव होना।
-रोगी को खंट्टे डकारें आना। खासकर ज्यादा खाने के बाद।
-ब्रॉन्काइटिस जैसे लक्षण। जैसे सांस लेने में तकलीफ।
-आवाज में परिवर्तन।
-सीने में एंजाइना जैसा दर्द होना।
रोकथाम-ज्यादातर लोग दवाओं और जीवन-शैली में सकारात्मक बदलाव कर जीईआरडी की समस्या से निपट सकते हैं। ज्यादा भोजन करने, चाय,कॉफी और शराब से परहेज करें। धूम्रपान की लत और जरूरत से ज्यादा वजन बढ़ना आदि ऐसे कारण हैं,जो जीईआरडी की समस्या को बढ़ा देते हैं। इसी तरह कुछ अन्य बातों पर अमल करें..
-अधिक मात्रा में खाने से परहेज करें। विशेषकर रात को।
-रात के भोजन और सोने के बीच 2-3 घंटों का अंतर रखें।
-वजन संतुलित व नियंत्रित रखें।
-तले और वसायुक्त खाद्य पदार्थ न खाएं।
-खाने-पीने की चीजों में सिरके का इस्तेमाल न करें।
-शीतल पेय न पिएं, तो अच्छा है।
जटिलताएं-लंबे समय तक जीईआरडी की समस्या के बने रहने और उसका इलाज न कराने से भोजन नलिका में सूजन हो सकती है। इस स्थिति को इसोफेजाइटिस कहते हैं। लंबे वक्त तक इसोफेजाइटिस के बने रहने पर यह स्थिति भोजन नली में कैंसर-पूर्व की अवस्था में बदल सकती है। यदि दवाओं से जीईआरडी काबू में नहीं आता या फिर इलाज के बाद यह रोग फिर उभर आता है, तो सर्जरी करना ही एकमात्र विकल्प है। गंभीर और बार-बार होने वाले जीईआरडी के लिए लैप्रोस्कोपिक एंटी रिफ्लक्स सर्जरी बेहतर उपचार है।
(डॉ.दीप गोयल सीनियर गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिट
बीएलके हॉस्पिटल, नई दिल्ली)