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बीमारियों के समाधान

हार्ट वाल्व में डिफेक्ट बताया गया है। मैं ऑपरेशन नहीं कराना चाहता हूं। क्या वाल्व की खराबी ऑपरेशन के बगैर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी से दूर हो सकती है? परविंदर हांडा, नई दिल्ली जब भी हार्ट वाल्व में खराबी (डिफेक्ट) बताया जाता है, तब इकोकार्डियोग्राफी कराना जरूरी होता है। तभ्

By Edited By: Published: Tue, 26 Aug 2014 11:32 AM (IST)Updated: Tue, 26 Aug 2014 11:32 AM (IST)
बीमारियों के समाधान

हार्ट वाल्व में डिफेक्ट बताया गया है। मैं ऑपरेशन नहीं कराना चाहता हूं। क्या वाल्व की खराबी ऑपरेशन के बगैर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी से दूर हो सकती है?

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परविंदर हांडा, नई दिल्ली

जब भी हार्ट वाल्व में खराबी (डिफेक्ट) बताया जाता है, तब इकोकार्डियोग्राफी कराना जरूरी होता है। तभी हमें पता चलता है कि किस वाल्व में डिफेक्ट है या फिर खराब वाल्व में लीकेज या सिकुड़न है या फिर दोनों ही स्थितियां मौजूद हैं। जैसे जब माइट्रल वाल्व में डिफेक्ट होता है, तब उसमें सिकुड़न(स्टेनोसिस) होने पर ऑपरेशन के बगैर वाल्व को खोला जा सकता है। अगर इस वाल्व में ज्यादा लीकेज है, तो वाल्व बदलना पड़ता है। अगर एओर्टिक वाल्व में डिफेक्ट होता है, तो ऑपरेशन के बगैर भी वाल्व बदला जा सकता है, लेकिन ऐसा करने से पहले मरीज को ईको, ई.सी.जी., और चेस्ट एक्सरे समेत कुछ जाचें कराना जरूरी है।

मेरी दो कोरोनरी आर्टरीज ब्लॉक्ड हैं। इस स्थिति में एंजियोप्लास्टी बेहतर रहेगी या फिर ओपन हार्ट सर्जरी?

रचना सिंह, नैनीताल

अगर दो धमनियां (आर्टरीज) में अवरुद्ध (ब्लॉक्ड) है, तो आमतौर पर हम बिना सर्जरी के स्टेंट का इस्तेमाल करके ब्लॉकेज (अवरोध) को हटा देते हैं, लेकिन हर केस दूसरे से अलग होता और पूरी तरह फैसला करने से पहले मरीज की उम्र और आर्थिक हालत के पहलुओं पर भी गौर किया जाता है। एंजियोग्राफी भी करायी जाती है। कई बार जब ब्लॉकेज लंबे होते हैं और पूरी तरह बंद होते हैं, तो फिर इस हालत मंें बाईपास सर्जरी भी करनी पड़ सकती है।

बच्चे की उम्र 6 साल है। उसके दिल में पैदाइशी छेद है। मैं ऑपरेशन नहीं करवाना चाहता। कृप्या सुझाव दें।

प्रताप झा, पटना

सबसे पहले हमें इकोकार्डियोग्राफी से पता लगाना होता है कि छेद किस किस्म का है (पीडीेए, एएसडी और वीएसडी) और कितना उसका साइज है। यह सब विभिन्न पहलुओं को जानने के बाद ज्यादातर बच्चों में हम ऑपरेशन के बगैर छेद को बंद करते हैं। इसके पहले मरीज को ईको, ई.सी.जी और चेस्ट एक्सरे समेत जाचें करानी पड़ती हैं।

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