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सर्वाइकल डिस्क डिजीज रोगियों के लिए आई ये राहत भरी खबर

सर्वाइकल डिस्क से पीड़ित लोगों के लिए सर्वाइकल डिस्क प्रत्यारोपण उम्मीद का उजाला बन चुका है...

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 11:47 AM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 12:23 PM (IST)
सर्वाइकल डिस्क डिजीज रोगियों के लिए आई ये राहत भरी खबर
सर्वाइकल डिस्क डिजीज रोगियों के लिए आई ये राहत भरी खबर

सौरभ एक सफल मार्केटिंग मैनेजर हैं, परंतु कुछ दिनों से वह गर्दन के दर्द, कंधे, बांहों और हाथों में दर्द, झुनझुनी, सुन्नपन और चक्कर आने से परेशान थे। वह काम पर नहीं जा पा रहा थे। वह मेरे पास आए। एमआरआई परीक्षण कराने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि सौरभ के गर्दन की चार और पांच नंबर की वर्टिब्रा के बीच की डिस्क का क्षरण हो चुका है। इस कारण डिस्क स्पाइनल कैनाल में हर्निया की तरह बाहर निकलकर स्पाइनल कॉर्ड और दाहिनी ओर की नस को पचास प्रतिशत से ज्यादा दबा रही है। पूछने पर पता चला कि वह मोटा तकिया लगाते हैं और लेटकर टेलीविजन देखते हैं। पलंग पर बैठकर गर्दन झुकाकर कंप्यूटर पर काम करते हैं। मोटर साइकिल चलाते समय गर्दन और कंधे के बीच सेलफोन दबाकर बातें करते हैं।

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पिछले दो महीनों से काम पर न जा सकने के कारण वह अपने कॅरियर, परिवार और भविष्य के प्रति बहुत चिंतित थे। सौरभ ने मेडिकल ट्रीटमेंट और फिजियोथेरेपी करायी, परंतु कोई फायदा नहीं हुआ। तब एक अन्य ऑर्थोस्पाइन सर्जन ने उन्हें डिस्क फ्यूजन की सलाह दी और इसकी सीमित उपयोगिता जैसे गर्दन के उस प्रभावित भाग में गति का न होना और कुछ अर्से बाद फ्यूज्ड डिस्क के ऊपर- नीचे स्थित डिस्क में गठिया के होने की आशंकाएं बतायी थीं। अंतत: सौरभ बेहतर इलाज की तलाश में फिर मेरे पास आए। मैंने उन्हें सर्वाइकल डिस्क रिप्लेसमेंट ऑपरेशन की पूर्ण जानकारी दी, जिसमें डिस्क फ्यूजन द्वारा होने वाली समस्याएं नहीं थीं। अंत में सौरभ ने सर्वाइकल डिस्क रिप्लेसमेंट ऑपरेशन कराया। ऑपरेशन के अगले दिन उनकी खुशी की सीमा नहीं थी, क्योंकि उनका दर्द पूरी तरह से गायब हो चुका था और उन्हें गर्दन घुमाने में कोई दिक्कत नहीं थी। एक महीने बाद वह वापस काम पर जाने लगे।

मर्ज के बारे में जानें
गर्दन की रीढ़ की हड्डी में सात वर्टिब्रा होती हैं। इनके बीच सर्वाइकल डिस्क दो वर्टिब्रा को जोड़ने का कार्य करती है। इस कारण हम अपनी गर्दन को हर तरफ घुमा-चला सकते हैं। लगातार बार-बार बहुत अधिक असामान्य दबाव पड़ने पर डिस्क का क्षरण होने लगता है और डिस्क के मध्य में स्थित जेली जैसा मुलायम भाग उसके बाहरी कवच से हर्निया की भांति बाहर निकल आता है। इस कारण स्पाइनल कॉर्ड और समीप की तंत्रिका पर दबाव पड़ने लगता है। इसी वजह से व्यक्ति में गर्दन दर्द, कंधों और बांहों में दर्द, हाथों में कमजोरी, चक्कर आना और गर्दन घुमाने में दर्द व तनाव होना सरीखी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।

समस्या का समाधान
एक्सरे, सी. टी. स्कैन व एमआरआई द्वारा खराब डिस्क की वास्तविक स्थिति और दब रहे स्पाइनल कॉर्ड और नसों की सही जानकारी मिल जाती है। पीड़ित व्यक्ति को पहले दवाओं, अल्ट्रासाउंड थेरेपी और फिजियोथेरेपी आदि द्वारा ठीक करने की कोशिश की जाती है, लेकिन यदि इससे पीड़ित व्यक्ति को राहत नहीं मिलती, तब सर्वाइकल डिस्क प्रत्यारोपण (रिप्लेसमेंट) ही सफल और कारगर इलाज है। कृत्रिम सर्वाइकल डिस्क को गर्दन की वर्टिब्रा के बीच खराब हो चुकी डिस्क के स्थान पर स्क्रू के बगैर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। आम तौर पर यह प्रत्यारोपण छोटे चीरे द्वारा किया जाता है। प्रत्यारोपण के बाद गर्दन आगे झुकाने में यह डिस्क बंद होकर वर्टिब्रा को आगे की ओर मुड़ने देती है और गर्दन को पीछे ले जाने पर यह स्वयं ही आगे की ओर फैल कर वर्टिब्रा को पीछे जाने में मदद करती है। कृत्रिम सर्वाइकल डिस्क ऊपर या नीचे की डिस्क पर भी कोई दुष्प्रभाव नहीं डालती। इस सर्जरी के बाद रीढ़ की वर्टिब्रा प्राकृतिक डिस्क की तरह शॉक एब्जॉर्बर का काम करती है।

-डॉ.आर. के. सिंह ज्वाइंट रिप्लेसमेंट व स्पाइन सर्जन

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