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सेलुलर एंटी एजिंग थेरेपी

युवा सरीखा महसूस कर सकते हैं के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक शक्ति कम होने ही लगती है। इसी के साथ शरीर पर नजर आने लगते हैं बढ़ती उम्र के निशान। क्या है कोई उपचार जो धीमी कर सके यह कुदरती प्रक्रिया...

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2016 03:08 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2016 03:15 PM (IST)

कई बार आप काम करके लौटते हैं, तो अपने आप को बेहद थका हुआ पाते हैं। ऐसा महसूस होता है

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कि शरीर में वह ताकत और ऊर्जा नहीं रही, जो युवावस्था में थी। साथ ही आपकी मानसिक व बौद्धिक क्षमता और त्वचा की चमक व कसाव भी कम होती जाती है। वास्तव में ये शरीर में उम्र के बढऩे के साथ साथ होने वाले परिर्वतन हैं, जिन्हें एजिंग प्रोसेस कहते हैं, जो शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करते हैं। एजिंग प्रक्रिया के लक्षण

- जल्दी थक जाना या पूरे शरीर में थकावट महसूस करना।

- चिड़चिड़ापन व जोड़ों में दर्द रहना।

- हृदय, किडनी और फेफड़ों की कार्य-क्षमता में कमी आना।

- त्वचा पर झुर्रियां पडऩा। कार्यक्षमता में कमी आना।

क्या है एजिंग

वास्तव में मानव शरीर अरबों कोशिकाओं (सेल्स) से निर्मित होता है। साथ ही, इसमें टिश्यू रीजनरेशन (पुनर्निर्माण)की असीम क्षमता भी होती है, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में लगने वाली चोटें, बीमारियां और मानसिक तनाव जैसे आघात इन सेल्स को नष्ट करते रहते हैं। जब

शरीर इन नष्ट हुई कोशिकाओं का पूरी तरह से पुनर्निर्माण नहीं कर पाता है, तब एजिंग प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

वास्तव में यह एजिंग प्रक्रिया कोशिकाओं में मौजूद टेलोमियर नामक डीएनए कैप के छोटे होने से होती है, जिसका प्रतिकूल असर सबसे ज्यादा त्वचा और फेफड़ों की कोशिकाओं पर पड़ता है।

उपलब्ध इलाज

- नियमित व्यायाम करना और संतुलित आहार लेना।

- मानसिक तनाव को स्वयं पर हावी न होने देना।

- डाइबिटीज सरीखे रोगों का समुचित इलाज।

- मोटापे से बचना।

स्टेम सेल्स की एंटी एजिंग में भूमिका: चूंकि शरीर में टिश्यू के पुनर्निर्माण के लिए नई रक्त नलिकाओं और कोशिकाओं की आवश्यकता होती है।

इसलिए स्टेम सेल थेरेपी द्वारा यह कार्य

बखूबी होता है। एंटी एजिंग में प्लेटलेट रिच

प्लाज्मा (पीआरपी) और वसा से प्राप्त

स्टेम सेल्स को प्रभावी पाया गया है।

क्या जांच कराएं

सेलुलर एंटीएजिंग थेरेपी से पहले संपूर्ण

शरीर की जांच फिजीशियन द्वारा होनी

चाहिए। इसके अलावा डाइबिटीज,

किडनी रोग, हृदय रोग व फेफड़ों की

क्षमता से संबंधित जांचें जरूरी हैं।

मुख्य प्रभाव

सेलुलर एंटी एजिंग थेरेपी के मुख्य प्रभाव इस प्रकार हैं...

- शारीरिक क्षमता का बढऩा।

- खुशनुमा मिजाज।

- डाइबिटीज, हृदय रोग और गुर्दा रोग में सुधार।

- पारिवारिक जीवन में दिलचस्पी।

- अर्थराइटिस से बचाव या जोड़ों के दर्द में कमी।

- बौद्धिक क्षमता का बढऩा।

- त्वचा में चमक और कसाव आना।

प्रक्रिया सेलुलर एंटी एजिंग थेरेपी के अंर्तगत मरीज को चार से छह स्टेम सेल्स के सेशन दिए जाते हैं। ये सेशन दो से चार हफ्ते के अंतराल पर उपयुक्त रहते हैं। यह थेरेपी एक दिन अस्पताल में भर्ती रहकर या फिर डे केयर में भी दी जा

सकती है। स्टेम सेल्स को आवश्यकतानुसार रक्त, जोड़ या त्वचा में प्रत्यारोपित किया जाता है।

टीम वर्क की जरूरत चूंकि सेलुलर एंटी एजिंग थेरेपी का प्रभाव त्वचा ही नहीं बल्कि पूरे शरीर पर पड़ता है। इसलिए इसे स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सर्जन के साथ-साथ फिजीशियन और कॉस्मेटिक सर्जन की संयुक्त टीम के जरिये ही किया जाना चाहिए ताकि मरीजों को बेहतर लाभ मिल सके।

इनके लिए उपयुक्त है एंटी एजिंग थेरेपी- समय से पहले वृद्ध होने वाले लोग।

- डाइबिटीज, किडनी और हृदय रोग से ग्रस्त रोगी।

- वृद्धावस्था के प्रभावों से पीडि़त लोग।

- कार्य के बोझ और मानसिक तनाव से ग्रस्त लोग।

डॉ.बी.एस. राजपूत

स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांट सर्जन

क्रिटी केयर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, जुहू, मुंबई


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