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एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाएं अब इस नई सर्जरी से ले सकेंगी राहत की सांस

एंडोमेट्रियोसिस की इस नई सर्जरी से अब एंडोमेट्रियोसिस से ग्रस्त महिलाओं को बेहतर राहत मिल रही है। आइए जानते हैं, इस सर्जरी की खूबियों के बारे में ...

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 11:56 AM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 12:41 PM (IST)
एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाएं अब इस नई सर्जरी से ले सकेंगी राहत की सांस
एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाएं अब इस नई सर्जरी से ले सकेंगी राहत की सांस

एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो महिला के प्रजनन अंगों को प्रभावित करती है। यह रोग गर्भाशय के अंदर
सामान्य रूप से लाइनिंग बनाने वाले टिश्यूज-एंडोमेट्रियम के गर्भाशय के बाहर बढ़ने के कारण उत्पन्न होता है।

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ऐसे पहचानें
- माहवारी का कष्टदायक होना। शारीरिक संपर्क के दौरान या बाद में दर्द। रक्तस्राव और क्रॉनिक पैल्विक दर्द।
- एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिला लगातार थकावट महसूस कर सकती है। वह शौच के समय असुविधा महसूस
कर सकती है।

इनफर्टिलिटी के कारण
एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में बांझपन (इनफर्टिलिटी) का एक प्रमुख कारण है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एंडोमेट्रियोसिस कभी-कभी, फैलोपियन ट्यूब या अंडाशय (ओवरी) को भी नुकसान पहुंचा सकता है।एंडोमेट्रियोसिस के कारण प्रजनन से संबंधित समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

जांच और परंपरागत उपचार
अल्ट्रासाउंड और एमआरआई जांच से एंडोमेट्रियोसिस का पता चलता है। जिन महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस के उपरोक्त लक्षण पाए जाते हैं, उनमें अल्ट्रासाउंड और एमआरआई करने के बाद लैप्रोस्कोपी(दूरबीन विधि) द्वारा
इलाज किया जाता है। परंपरागत रूप से एंडोमेट्रियोसिस का इलाज ओपन सर्जरी या फिर लैप्रोस्कोपी से किया जाता है। इलाज की इस प्रक्रिया के तहत कई बार सिस्ट को निकालने के दौरान सर्जन की चूक से काफी मात्रा में सामान्य ओवरी टिश्यूज भी हटा दिए जाते हैं जिससे ओवरी की कार्यक्षमता और बच्चे पैदा करने की क्षमता प्रभावित होती है।

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आधुनिक इलाज बेहतर
हम कॉर्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) लेजर से एंडोमेट्रियोसिस का इलाज शुरू कर चुके हैं। इलाज की इस आधुनिक प्रक्रिया के अंतर्गत सिस्ट में मौजूद रक्त को निकाल दिया जाता है और सिस्ट वाल का इलाज इसे निकालने की बजाय लेजर से किया जाता है। इस विधि का बड़ा लाभ यह है कि यह ओवरी(अंडाशय) को होने वाले अनावश्यक नुकसान से बचाती है। चूंकि इसे लैप्रोस्कोपी से अंजाम दिया जाता है। इसलिए इसमें एक दिन ही अस्पताल में रहने की आवश्यकता होती है, रक्त का कम नुकसान होता है और दर्द नहीं होता है या अत्यंत कम दर्द होता है। चंद दिनों बाद महिला अपनी दिनचर्या पर वापस लौट आती है। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस इलाज से महिलाओं में गर्भधारण करने की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं।

(डॉ. निकिता त्रेहन, स्त्री रोग विशेषज्ञ और लैप्रोस्कोपिक सर्जन, सनराइज अस्पताल, दिल्ली )

-जेएनएन


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