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बॉयोलॉजिकल इमेज गाइडेड रेडियो थेरेपी कैंसर पीडि़त न हों निराश

यह रेडियोथेरेपी उन कैंसर ग्रस्त मरीजों के लिए उम्मीद का उजाला बनकर सामने आयी है, जिनके कैंसरस ट्यूमर को ऑपरेशन के जरिए नहीं निकाला जा सकता...

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2015 01:03 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2015 01:07 PM (IST)

यह रेडियोथेरेपी उन कैंसर ग्रस्त मरीजों के लिए उम्मीद का उजाला बनकर सामने आयी है, जिनके

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कैंसरस ट्यूमर को ऑपरेशन के जरिए नहीं निकाला जा सकता...

बॉयोलॉजिकल इमेज गाइडेड रेडियो थेरेपी कैंसर के उपचार की एक आधुनिक विधि है। इस विधि में रोग की गंभीरता और शरीर की जैविक (बॉयोलॉजिकल) आवश्यकता के अनुसार रेडिएशन देकर चिकित्सा की जाती है।

रेडियो थेरेपी के अंतर्गत रेडियो किरणें शरीर के

उचित भाग में कैंसर की कोशिकाओं से संपर्क

स्थापित करती हैं। इससे कैंसर कोशिकाएं स्थायी

रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। ऐसा इसलिए,

क्योंकि उनमें स्वस्थ कोशिकाओं की तरह

रेडिएशन सहन करने की क्षमता नहीं होती।

यदि रेडियोथेरेपी की कुल मात्रा को एक लंबी

अवधि के दौरान दिया जाए, तो सामान्य

कोशिकाओं में रेडिएशन का असर कम से कम

और कैंसर कोशिकाओं में ज्यादा से ज्यादा होता

है। इसलिए यह उपचार कई हफ्तों तक दिया जाता

है। इस थेरेपी में लगने वाला समय प्रतिदिन कुल

चार मिनट से लेकर बीस मिनट तक होता है।

थेरेपी की विशेषताएंं

कैंसर के मरीजों के लिए बॉयोलॉजिकल इमेज

गाइडेड रेडियोथेरेपी तकनीक उपयोगी साबित हो

रही है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस तकनीक में न

तो कैंसर का ट्यूमर निकालने के लिए कोई

ऑपरेशन करना पड़ता है और न ही परंपरागत

थेरेपी की तरह इसमें लंबा समय लगता है। इस

तकनीक से इलाज में कोई चीरा भी नहीं लगाया

जाता। यह तकनीक उन मरीजों के लिए अत्यंत

लाभदायक है, जिनका कैंसरग्रस्त ट्यूमर ऑपरेशन से नहीं निकाला जा सकता। बॉयोलॉजिकल इमेज गाइडेड रेडियो थेरेपी

तकनीक में एनेस्थीसिया का भी उपयोग नहीं किया जाता। कैंसर की गंभीरता का पूरी तरह अध्ययन करने के बाद मरीज के कैंसर ग्रस्त अंग का त्रि-आयामी चित्र लेकर ट्रीटमेन्ट प्लानिंग की जाती है। ट्रीटमेन्ट प्लानिंग में ही रेडियेशन की मात्रा, तीव्रता और समय का निर्धारण किया जाता है।

बॉयोलॉजिकल इमेज गाइडेड रेडियोथेरेपी

तकनीक में एक रेडिएशन डिलीवरी डिवाइस होता

है जिसे लीनियर एक्सीलेटर या लीनेक कहा जाता

है। लीनेक को एक लचीली रोबोटयुक्त भुजा पर

लगाया जाता है। इलाज के दौरान एक्सरे ट्यूमर

की तस्वीर लेता रहता है, शुरुआती सीटी स्कैन से

उसे मिला कर ट्यूमर की स्थिति

का पता लगाया जाता है।

आधुनिक सॉफ्टवेयर के जरिये रोबोट वाली भुजा को इसकी जानकारी दी जाती है। यह भुजा

लचीली होने की वजह से अलग अलग कोणों पर मुड़ सकती है और ट्यूमर वाले स्थान पर रेडिएशन किरणें डाल सकती है।

बॉयो रेडियोथेरेपी के लाभ

- कैंसरस ट्यूमर की शुरुआती अवस्था में यह

थेरेपी काट-छांट के बगैर कैंसरग्रस्त भाग को

समूल नष्ट कर देती है।

- जो ट्यूमर ऑपरेशन के लिए उपयुक्त न हों,

उनमें रेडियोथेरेपी द्वारा उतना ही फायदा दिलाया

जा सकता है, जितना सर्जरी से होता है।

- पारंपरिक रेडियो थेरेपी से कैंसरग्रस्त अंगों की

स्वस्थ कोशिकाएं भी नष्ट हो जाती हैं जबकि

आधुनिक बॉयो रेडियो थेरेपी में इमेज गाइडेड

सिस्टम केवल उन्हीं कोशिकाओं को नष्ट करता है, जो कैंसरग्रस्त हैं।

डॉ.अंकिता सिंह कैंसर विशेषज्ञ


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