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साइनस की समस्या को दें शिकस्त

बदलते मौसम में साइनस से सबधित स्वास्थ्य समस्या के मामले कहीं ज्यादा बढ़ जाते हैं, लेकिन आप अगर इस बीमारी से बचे रहने के लिए जरूरी सावधानिया बरतें या फिर लक्षणों को जानकर समुचित इलाज कराएं तो साइनस की समस्या आपके पास नहीं फटकेगी।

By Edited By: Published: Wed, 27 Feb 2013 12:03 PM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2013 12:03 PM (IST)
साइनस की समस्या को दें शिकस्त

बदलते मौसम में साइनस से सबधित स्वास्थ्य समस्या के मामले कहीं ज्यादा बढ़ जाते हैं, लेकिन आप अगर इस बीमारी से बचे रहने के लिए जरूरी सावधानिया बरतें या फिर लक्षणों को जानकर समुचित इलाज कराएं तो साइनस की समस्या आपके पास नहीं फटकेगी।

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लक्षण

- अगर आपकी नाक बद है और इसमें खुजली, छींक या दर्द की शिकायत है।

- सास लेने में तकलीफ हो रही है।

- गले के पिछले भाग में दर्द, जलन या खराश की शिकायत।

- सूंघने की क्षमता का घटना।

- जो लोग दमा से पीड़ित हैं, उनमें साइनस की समस्या से पीड़ित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

उपर्युक्त लक्षण साइनस की समस्या के होने का सकेत देते हैं। साइनस की समस्या ठंड लगने या एलर्जी की वजह से भी सभव है, लेकिन अगर आप उपर्युक्त लक्षणों से दस या इससे ज्यादा हफ्तों से लगातार जूझ रहे हैं तो तुरंत जाच कराना चाहिए।

जाच

शुरुआत में एक्स-रे या फिर सीटी स्कैन के जरिये पता लगाया जा सकता है कि साइनस किस अवस्था में है।

क्या है कारण

आमतौर पर साइनस की इस समस्या का मुख्य कारण धूल और प्रदूषण है। बच्चों या बुजुर्र्गो की अपेक्षा युवा ज्यादा गतिशील होते हैं। काम या नौकरी आदि कारणों से वे बार-बार घर से बाहर निकलते हैं। इसी दौरान धूल और वायुमडल में फैला प्रदूषण लोगों की नाक में चला जाता है, जो बाद में साइनस की बीमारी का कारण बन जाता है। इसके अलावा एलर्जी, नाक में ट्यूमर या नाक की हड्डी का टेढ़ा होना या चोट की वजह से भी साइनस की समस्या पैदा हो सकती है। यह बीमारी आनुवाशिक भी होती है। इसलिए कई बार लोग इस कारण से भी साइनस की चपेट में आ जाते हैं।

इलाज

अगर जाच सही समय पर हो गयी तो दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है, लेकिन जरा-सी लापरवाही आपको परेशान कर सकती है। रोग की गभीर अवस्था में फंक्शनल इंडोस्कोपिक साइनस सर्जरी के अलावा कोई ठोस विकल्प शेष नहींबचता।

कैसे करें बचाव

नाक हमारे शरीर के सवेदनशील अंगों में से एक है। इसलिए इसकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। खासकर ठंड या बदलते मौसम में चलने वाली हवाओं से इसे बचाना चाहिए। कुछ खाने से अगर नाक में एलर्जी हो रही हो, तो उससे बचना चाहिए। घर से बाहर निकलने पर कोशिश करनी चाहिए कि धूल के कण नाक में कम से कम जाएं।

साइनस क्या है ?

नाक, मस्तिष्क व आख के अंदरूनी भाग मे थोड़ी-सी जो खोखली जगह होती है, उसे साइनस कहते हैं। साइनस चार प्रकार के होते हैं।

ये कार्य है इनका

- मस्तिष्क को हल्का रखना।

-सास को शुद्ध करके उसे फेफड़ों में भेजना।

डॉ. राजीव नागिया

इंडोस्कोपिक साइनस सर्जन, नई दिल्ली

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