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किराये पर चल रहे 235 आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं शौचालय

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : शहरी क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग के 265 आंगनबाड़ी कें

By Edited By: Published: Fri, 20 Jan 2017 11:22 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jan 2017 11:22 PM (IST)
किराये पर चल रहे 235 आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं शौचालय
किराये पर चल रहे 235 आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं शौचालय

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : शहरी क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग के 265 आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे हैं, लेकिन 235 केंद्रों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। वह भी तब, जब केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर स्वच्छता अभियान चला रखा है। ग्रामीण क्षेत्रों के बाद अब शहर को खुले में शौचमुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है।

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आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को खाने की चीजें तो मिलता ही हैं। इसके साथ ही उन्हें प्रारंभिक शिक्षा भी दी जाती है। इन केंद्रों में हजारों बच्चे आते हैं, लेकिन किसी को भी शौचालय की सुविधा नहीं मिलती। बच्चे छह माह लेकर से छह साल तक के होते हैं, इसलिए बार-बार शौच कर देते हैं। शौच के वक्त इन बच्चों को घर भी नहीं ले जा सकते, इसलिए मजबूरी में इन्हें खुले में ही शौच कराना पड़ता है।

किराये के भवनों में चल रहे केंद्र

जिले में कुल 1281 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। शहरी क्षेत्र में 265 केंद्र हैं, लेकिन उनमें से केवल 30 केंद्रों के पास ही अपना भवन है, जबकि 235 किराये के भवन में संचालित हैं। उनमें शौचालय नहीं है। केंद्रों के लिए जिन लोगों से भवन किराये पर ले रखा है, उन्होंने शौचालय बनाकर नहीं दिया है। किराये के भवन में विभाग द्वारा शौचालय बनाने का कोई प्रावधान नहीं है।

निगम से नहीं मिली एनओसी

गत वर्ष नगर निगम हाउस की बैठक में महिला एवं बाल विभाग को पांच आंगनबाड़ी केंद्रों को जमीन देने का प्रस्ताव पार्षदों ने सर्वसम्मति से पास किया था। प्रस्ताव तो पास हो गया, लेकिन एक साल से नगर निगम विभाग को एनओसी नहीं दे सका। एक आंगनबाड़ी केंद्र का भवन बनाने के लिए विभाग 9.95 लाख रुपये देता है। यदि एनओसी मिल जाती तो अब तक किराये के भवन में चल रहे पांच आंगनबाड़ी केंद्रों को तो अपना भवन मिल ही जाता। यह मामला इसी माह हुई जिला विकास समन्वयक एवं निगरानी कमेटी की बैठक में भी उठाया गया था। तब नगर निगम कमिश्नर गिरीश अरोड़ा ने इसकी जांच कर जल्द ही एनओसी देने की बात कही थी।

वर्कर करती हैं जागरूक

जिले को खुले में शौचमुक्त करने के लिए निगरानी कमेटियां बनाई गई हैं। इन कमेटियों में आंगनबाड़ी वर्करों को भी शामिल किया जाता है। ये कमेटियां लोगों को खुले में शौच न जाने के लिए प्रेरित करती हैं। यह अभियान अब शहरी क्षेत्र में चल रहा है। वर्करों का कहना है कि हमें सर्वे में या लोगों को जागरूक करने के लिए भेजते हैं, लेकिन खुद हमारे केंद्रों में ही शौचालय नहीं है। कई बार लोग बातों बातों में तंज भी कस देते हैं। ऐसे में उन्हें क्या जवाब दें।

कई बार लिख चुके हैं : रेखा

आंगनबाड़ी वर्कर एवं हेल्पर यूनियन की जिला प्रधान रेखा सैनी का कहना है कि शहरी क्षेत्र में जो आंगनबाड़ी केंद्र किराये के भवन में चल रहे हैं, उनमें किसी में भी शौचालय की सुविधा नहीं है। भवन के मालिक बच्चों को अपना शौचालय प्रयोग नहीं करने देते। शौचालय के लिए कई बार विभाग को लिखा भी है, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

शिफ्ट करने का प्रयास : सरिता

महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी सरिता चौहान का कहना है कि जो आंगनबाड़ी किराये के भवन में चल रहे हैं, वहां शौचालय बनाने का प्रावधान नहीं है। केंद्रों को किराये के भवन से निकाल कर अपनी जगह में शिफ्ट करने का प्रयास कर रहे हैं।


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