न सुरक्षा की ¨चता, न नियमों की परवाह
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अधिकतर स्कूल बसों में सीसीटीव
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अधिकतर स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लग पाए हैं। महंगे होने के कारण स्कूल संचालक कैमरे लगवाने में रुचि नहीं दिखा रहे। प्रशासन के आदेश भी केवल मी¨टग तक सिमट कर रह गए।
व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए बने नियमों पर अमल नहीं किया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण स्कूलों बसों मे बरती जा रही अनदेखी हैं। इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की जा रही है। स्कूली वाहनों में होने वाली हरकतों और अमानवीय कृत्यों पर रोक लगाने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए थे।
इसके बावजूद न तो स्कूली बसों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और न ही अधिकारी इस ओर ध्यान दे रहे हैं। बच्चों के अभिभावक भी गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाए हुए हैं, जबकि स्कूल बसों में नियमों की अनदेखी की जा रही है। इसके अलावा अभिभावक भी अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति गैर जिम्मेदाराना रवैया अपना रहे हैं। अधिकतर स्कूल संचालक बसों, मैजिक और ऑटो में क्षमता से अधिक बच्चे बैठाते हैं। इसके बावजूद अभिभावक अपने बच्चों को इन वाहनों से स्कूल भेजकर बच्चों की फजीहत करने मे लगे हैं। उनमें से किसी एक बच्चे की भी यह सुरक्षा व्यवस्था नजर नहीं आती है। इसके साथ ही इससे बालिकाओं की सुरक्षा के प्रति भी लापरवाही भी साफ झलक रही है।
फिटनेस की भी नहीं होती जांच
स्कूली बस में सीसीटीवी कैमरे लगने की बात तो बहुत दूर है। आरटीओ इन स्कूली बसों मैजिक का फिटनेस भी नहीं देखते हैं। अधिकांश बसें खटारा चल रही हैं। उन पर रंग रोगन कर उन्हें चमकीला बनाकर सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है।
पुराने वाहनों का हो रहे इस्तेमाल
स्कूली बस में सीसीटीवी कैमरे लगने की बात तो बहुत दूर है। आरटीओ विभाग इन स्कूली बसों की फिटनेस जांच भी ठीक से नहीं की जाती। अधिकांश बसें तो ऐसी हैं, जिनको केवल रंग से चमकाया गया है। नए रंग के साथ इन बसों को सड़क पर दौड़ाया जाता है। उम्र पूरी करने के बाद भी बच्चों को स्कूल लाने और छोड़ने का काम किया जा रहा है।
यह दी गई गाइड लाइन
कोर्ट की गाइड लाइन के आधार पर कक्षा 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश हैं, जबकि वर्तमान में सैकड़ों स्कूल बसें ऐसे हीं चल रहीं हैं। इसके साथ ही इससे बालिकाओं की सुरक्षा के प्रति लापरवाही भी झलक रही है।
चे¨कग के दौरान हर चीज की जांच की जाती है। अधिकतर स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, अगर कहीं नहीं लगे हैं तो उनके संचालकों को दोबारा आगाह किया जाएगा।
देवेंद्र कौशिक, आरटीए यमुनानगर।