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शिक्षा-चिकित्सा के क्षेत्र में पिछड़ा अमादलपुर गांव

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : अमादलपुर गांव। प्राचीन सूरजकुंड मंदिर के नाम से प्रदेश में विख्या

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 03:00 AM (IST)
शिक्षा-चिकित्सा के क्षेत्र में पिछड़ा अमादलपुर गांव

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : अमादलपुर गांव। प्राचीन सूरजकुंड मंदिर के नाम से प्रदेश में विख्यात है। साफ-सफाई की व्यवस्था खूब है, लेकिन शिक्षा-चिकित्सा में गांव पिछड़ा हुआ है। हालांकि गांव में राजकीय उच्च विद्यालय है, लेकिन सीनियर सेकेंडरी तक न होने के कारण बच्चों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। अभिभावकों का कहना है कि यदि गांव में सीनियर सेकेंडरी स्कूल की व्यवस्था हो तो बड़ी परेशानी दूर हो जाएगी। इसके लिए ग्राम पंचायत जमीन देने के लिए भी तैयार है।

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गांव की कुल आबादी 3500 और वोट करीब 1800 है। 50 प्रति आबादी पढ़ी लिखी है और खेती बाड़ी ग्रामीणों का व्यवसाय है। सफाई व्यवस्था के लिए गांव में जगह-जगह डस्टबिन रखे हुए हैं। इसके अलावा बस स्टॉप है, लेकिन गांव में बस नहीं पहुंचती। सात वर्ष पहले गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हुआ करता था, लेकिन साबापुर में शिफ्ट कर दिया गया। अब गांव में स्वास्थ्य केंद्र न होने के कारण ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आपात स्थिति में जगाधरी या बूड़िया जाना पड़ता है।

इन स्थलों से गांव की पहचान

गांव में प्राचीन सूर्य कुंड मंदिर है। ऐसा भव्य मंदिर या तो ओड़ीशा के कोणार्क में है या फिर अमादलपुर में। मंदिर में सूरजकुंड है। वहां सूर्य ग्रहण का असर नहीं होता। दूसरा, गांव में प्राचीन सतियां जिसे पुरातत्व विभाग ने अपने अधिकार क्षेत्र में लिया हुआ है। यहां समय-समय पर यहां दूर दराज से लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। देखरेख के अभाव में यह स्थान जंगल में तब्दील हो रहा है। गांव पश्चिमी यमुना नहर के किनारे बसा हुआ है।

अब पंचायत का यह प्रयास

सरपंच रामचंद्र के मुताबिक स्कूल का दर्जा 12वीं तक बढ़ाने और गांव में स्वास्थ्य केंद्र के लिए प्रस्ताव डाला हुआ है। ग्रामीणों की यह मांग पूरी करवाने के लिए भरसक प्रयास किए जाएंगे। इसके अलावा सतियों के स्थान की पैमाइश कराकर चहारदीवारी करवाई जाएगी और पौधे लगाकर इस स्थल को साफ-सुथरा बनाया जाएगा, ताकि यह स्थान पर्यटन स्थल पर के रूप में उभर सके। गांव की आमदन के साधन सीमित होने के कारण सरकार की ओर से भेजी ग्रांट पर निर्भर रहना पड़ता है।

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गांव की सबसे बड़ी जरूरत स्कूल को अपग्रेड करने की है। ग्राम पंचायत जमीन देने के लिए तैयार है। ऐसा भी नहीं है कि स्कूल में बच्चों की संख्या कम हो। 10वीं तक के स्कूल में करीब चार सौ बच्चे हैं। यदि गांव में सीनियर सेकेंडरी स्कूल की व्यवस्था हो जाए तो आसपास के दर्जन भर गांवों को फायदा हो सकता है।

सुखबीर ¨सह

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गांव में बस स्टाप अवश्य है, लेकिन बस नहीं पहुंचतीं। कई वर्ष पहले एक बस आती थी, जो बंद कर दी गई। यमुनानगर-जगाधरी आने जाने के लिए ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। थ्री-व्हीलर के इंतजार में कई-कई घंटे सड़क पर ही कट जाते हैं। गांव में सफाई व पेयजल की व्यवस्था ठीक है।

अशोक कुमार

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गांव में 10वीं तक का स्कूल क्षेत्र में सबसे पुराना है। कई बार अपग्रेड किए जाने की मांग की जा चुकी है, लेकिन ग्रामीणों की यह मांग पूरी नहीं हुई। सरकार इस ओर ध्यान दे और क्षेत्र के बच्चों व अभिभावकों को राहत दिलवाने का काम करे। इसके अलावा गांव में स्वास्थ्य केंद्र व पशु चिकित्सालय की भी आवश्यकता है।

रघुवीर ¨सह

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खेल का मैदान व बारातघर की व्यवस्था भी जरूरी है। दोनों सुविधाओं की कमी ग्रामीणों का खल रही हैं। यदि गांव में खेल का मैदान हो तो खेल प्रतिभाओं को प्लेटफार्म मिल सकता है। गांव में बारातघर न होने के कारण भी शादी समारोहों के आयोजनों में दिक्कत आती है।

डॉ. सतपाल


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