जीएसटी पर एकमत नहीं प्लाईवुड व्यापारी, बोले- दाल वाले स्लैब में रखे तो ही बेहतर
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जीएसटी पर प्लाईवुड व्यापारी एक मत नहीं है। कुछ व्यापारियों न
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जीएसटी पर प्लाईवुड व्यापारी एक मत नहीं है। कुछ व्यापारियों ने जहां इसे सरकार का अच्छा कदम बताया, वहीं कई ने महंगाई बढ़ने की आशंका जताई। व्यापारियों का कहना है कि पहले ही उद्योग मंदी की चपेट में है। इसके लागू होने से महंगाई और बढ़ेगी, जिससे प्लाईबोर्ड की मांग भी कम हो जाएगी। सरकार को इस पर पुन: विचार करना चाहिए। इसको दाल वाले स्लैब में रखा जाए तो बेहतर होगा।
व्यापारियों के मुताबिक प्लाईवुड संचालक पहले ही टैक्स दे रहे हैं। अब सरकार ने प्लाईवुड पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया है। अभी तो व्यापारी माल पर दो प्रतिशत जीएसटी कर सरकार को दे रहे थे। इसके अतिरिक्त राज्यों के अलग-अलग कर लगते थे। अब जीएसटी के कारण उत्पादन से लेकर बाजार तक माल महंगे दामों में पहुंचेगा। इसका सीधा असर आम लोगों पर ही पड़ेगा। नए नियम को लेकर व्यापारियों ने शहर के एक होटल में बैठक कर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का निर्णय लिया।
भविष्य में अच्छे आएंगे परिणाम
प्लाइवुड संचालक रजनीश छाबड़ा का कहना है कि शुरुआत में समस्या आएगी। 28 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है। इससे प्लाई महंगे दामों में तैयार होगी, जिससे एक बार तो उद्योग पर मंदी के बादल छाएंगे। करीब छह माह बाद गाड़ी ट्रैक पर वापस आएगी। वर्तमान समय में भी मांग ज्यादा अच्छी नहीं है। उनको उम्मीद है कि भविष्य में अच्छे परिणाम इसके सामने आएंगे।
नए नियम से बढ़ेगी महंगाई
पंजाब प्लाईवुड के संचालक प्रवीण गर्ग कहते हैं कि अभी तक व्यापारी 18 प्रतिशत टैक्स जमा कर रहे थे। दूसरे राज्यों में माल भेजने का अलग से टैक्स चुका रहे थे। सरकार के नए नियम में तो महंगाई बढ़ेगी, कम नहीं होगी। इसका असर सभी पर पड़ेगा।
महंगाई से मांग होगी कम
गैलेक्सी प्लाइवुड के मालिक जेके बिहानी का कहना है कि जीएसटी से महंगाई बढ़ेगी और प्लाईबोर्ड की मांग घटेगी। इसका असर रोजगार तक पड़ेगा। कुल मिलाकर यह व्यापारी हित में नहीं है। उद्योग ने लाखों लोगों को रोजगार दे रखा है।
जीरो प्रतिशत स्लैब में रखा जाए
पीलिंग एसोसिएशन के प्रधान बल¨वद्र नरवाल का कहते हैं कि प्लाईवुड के साथ किसान जुड़े हैं। इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। किसानों की फसल पापुलर की सबसे ज्यादा खपत उद्योग में है। उनकी सरकार से मांग है कि जीएसटी में इस उद्योग जीरो प्रतिशत स्लैब में रखा जाए। क्योंकि जितने भी कर लगते हैं वह अतिरिक्त भार ही होता है।