महज औपचारिकता तक सिमटी राहगीरी
जागरण संवाददाता, सोनीपत : शहरवासियों को एक मंच पर लाने के लिए नगर निगम की ओर से शुरू किया गया साप
जागरण संवाददाता, सोनीपत : शहरवासियों को एक मंच पर लाने के लिए नगर निगम की ओर से शुरू किया गया साप्ताहिक कार्यक्रम राहगीरी अब राह भटकता नजर आ रहा है। इसमें राहगीरों की संख्या तेजी से गिरती जा रही है। स्थिति अब बस रस्म अदायगी जैसी बन गई है। चिंता की बात तो यह है कि राहगीरों को कार्यक्रम से जोड़े रखने का प्रयास भी नहीं दिख रहा है। अधिकारियों की उदासीनता इसकी मुख्य वजह बताई जा रही है।
निगम आयुक्त के तबादले के बाद से राहगीरी का ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं हुआ, जिसे स्तरीय कहा जा सकता है। कार्यक्रम से जुड़े सामाजिक संगठन भी अब कदम पीछे खींचने लगे हैं। शहरवासी भी निराश हैं। रविवार को हुए कार्यक्रम की व्यवस्था शिरकत कर रहे लोगों ने ही संभाली। राहगीरी के शुरुआत की कई तरह के खेल और गीत संगीत के अच्छे कार्यक्रम होते थे, नृत्य और एरोबिक्स करवाने वाले ग्रुप ने भी आना ही बंद दिया है। इससे खासकर बच्चे और युवा निराश हैं।
राहगीरी लाइव
सुबह 6:00 बजे
सेक्टर-12 की सड़कों पर रविवार के दिन होने वाली चहल-पहल नहीं दिखी। आगे खड़े लोगों से जब कार्यक्रम के बारे में पूछा तो ,उनमें खड़े एक बुजुर्ग बोले, बेटा कार्यक्रम तो अभी शुरू नहीं हुआ है। निगम की ओर से अभी कोई आया ही नहीं है। हां कई लोग जरूर आगे कार्यक्रम की तैयारी कर रहे हैं। पास पहुंचने पर पता चला कई लोग अपने टाट बिछाकर योग कर रहे हैं। बातचीत में एक युवा बोला कार्यक्रम तो होता है, मगर अब पहले जैसी बात नहीं ।
सुबह 6:30 बजे
आयोजन स्थल पर मंच तैयार हुआ और धीरे-धीरे लोग जुटने लगे। एक तरफ भजन संगीत और दूसरी तरफ फिल्मी गीत गूंजने लगे। इसके बाद योग कक्षा शुरू हुई । इसमें पहले इक्का -दुक्का लोग ही शामिल हुए। योगाचार्य के बार-बार आह्वान करने पर इधर- उधर खड़े लोग योगस्थल पर पहुंचे । दूसरी ओर नृत्य के लिए तैयारी पूरी हो गई है, लेकिन भीड़ में से नृत्य करने के लिए कोई आगे नहीं आया। नृत्य करवाने वाले ग्रुप को बंद करवा दिया है।
सुबह 7:10 बजे
बहुत देर तक फिल्मी संगीत बजता रहा लेकिन कोई भी नृत्य करने के लिए आगे नहीं आया। इसके बाद एक प्रोफेसर आगे बढ़े और उन्होंने नृत्य शुरू किया। वह अकेले ही काफी देर तक नृत्य करते रहे और दूसरों को भी आमंत्रित कर रहे। बहुत देर बाद कुछ छात्राएं आगे बढ़ीं और उन्होंने नृत्य किया। इसके बाद कार्यक्रम ने थोड़ी रफ्तार पकड़ी और एक छात्र गीत सुनाने के लिए आगे आया।
सुबह 7:45 बजे
धीरे-धीरे लोगों ने वहां से निकलना शुरू कर दिया । कार्यक्रम में प्रति सप्ताह शिरकत करने वाले लोग चर्चा कर रहे थे। शुरुआत में तो कार्यक्रम अच्छा होता था, अब औपचारिकता बन कर रहा गया है। निगम से कोई भी कर्मचारी या अधिकारी नहीं आया है। व्यवस्था नाम की चीज नहीं है।
अब राहगीरी में पहले जैसी रौनक नहीं है, डांस का प्रशिक्षण देने के लिए पहले जो ग्रुप आता था, वह भी अब नहीं आता है। इससे भी सभी की रुचि खत्म हो गई है। अनुशासन भी नहीं है। निगरानी न होने से कई शरारती तत्व भी कार्यक्रम में घुस आते हैं,जिससे अव्यवस्था फैलती है। अधिकारी अब कार्यक्रम की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।
मुकेश गुप्ता, प्रोफेसर,मुरथल विश्वविद्यालय।
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अब कार्यक्रम में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है, मनोरंजन के लिए जो ग्रुप आता था वह भी नहीं आता है। यह आयोजन महज औपचारिकता बन कर रह गया है। एक -दो ऐसे आते हैं जो खुद ही परफॉर्म करते रहते हैं,कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है।
वजीर चंद्र, प्रबंधक, एसबीआइ बैंक।
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कार्यक्रम में बहुत अव्यवस्था हो गई है। मंच पर जब कोई गीत या नृत्य प्रस्तुत करता है तो सभी उसकी ओर खींचे चले जाते हैं। शांति से देखना चाहिए। अनुशासन जैसा कुछ भी नहीं रहा है। सोच रहा हूं अगली बार मैं ही व्यवस्था संभालूं।
संदीप शर्मा, एलडीसी, बिजली बोर्ड।
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जब से यह कार्यक्रम शुरु हुआ है तब से आ रहे हैं, पहले अच्छा होता था,अब न खेलकूद होते हैं और न ही कोई गीत संगीत का अच्छा कार्यक्रम होता है। व्यवस्था भी ठीक नहीं है। इससे अच्छा तो बंद ही कर दें।
संगीता, गृहणी, नरेंद्र नगर
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पूर्व आयुक्त ने शहर के लिए अच्छा काम किया था। अब उनके तबादले के बाद कोई अधिकारी यहां दिखाई ही नहीं देता है। वही कार्यक्रम में शिरकत करने वाले संगठन भी नदारद रहते हैं,वही आयोजक भी अब कदम पीछे खींच रहे हैं।
-मोहित शर्मा,प्रतिभागी।