रेललाइन की खामियों का पता लगाने को सर्वे
जागरण संवाददाता, गोहाना: रेलवे विभाग की टीम ने पानीपत-गोहाना-रोहतकरेल लाइन मार्ग की खामिया दूर करने
जागरण संवाददाता, गोहाना: रेलवे विभाग की टीम ने पानीपत-गोहाना-रोहतकरेल लाइन मार्ग की खामिया दूर करने के लिए अति आधुनिक मशीन (ट्रैक रिकार्डिग कार) से सर्वे किया। यह सर्वे विभाग के विशेषज्ञ अधिकारियों की निगरानी में किया गया है। इसमें मिली खामियों को दूर करने का काम जल्द शुरू किया जाएगा।
रेलवे के सीनियर सेक्शन इजीनियर (एसएसई) आईए खान और मंडलीय अभियंता आरके गोयल ने अपनी टीम के साथ रेल लाइन का अति आधुनिक मशीन से सर्वे किया। यह टीम रोहतक से झज्जार व रेवाड़ी तक की लाइन का सर्वे करेगी। कंप्यूटरीकृत मशीन से इस लाइन की खामियों को जाचा जा रहा है। यह टीम मशीन के साथ लाइन के सीधे, दोनों लाइन के बीच की दूरी, दोनों लाइन के ऊंचा व नीचा और दोनों लाइनों की लेवल आदि बिंदुओ को लेकर जाच कर रही है। जाच पूरी होने के बाद लाइन को मानकों के अनुरूप तैयार किया जाएगा।
305 किलोमीटर प्रति घटा की गति से हो सकती है जाच
एसएसई आईए खान ने बताया कि देश की सबसे आधुनिक मशीन ट्रैक रिकार्डिग कार से लाइन का सर्वे किया जा रहा है। यह टेक्नालाजी कुछ ही समय पहले तैयार हुई है। जिस ट्रैक रिकार्डिग कार से जाच की जा रही है वह 305 किलोमीटर प्रति घटा की रफ्तार से लाइन की जाच करने की क्षमता रखती है।
प्रति वर्ष होती है जाच
पानीपत-गोहाना-रोहतक रेल लाइन की प्रति वर्ष आधुनिक मशीन से जाच की जाती है। जहा कहीं भी खामिया मिलती है उनको जाच के बाद ही ठीक करवाने का काम शुरू हो जाता है। आईए खान ने बताया कि जिस रूट पर राजधानी या शताब्दी ट्रेन दौड़ती है उनकी दो से तीन माह में एक बार जाच की जाती है।
लाइन में हुआ है बदलाव
पानीपत-गोहाना-रोहतक लाइन पहले लोहे की स्लीपर से बनी हुई थी। अब पूरी लाइन में लोहे की स्लीपर बदले गए है। उनकी जगह सीमेंट के मजबूत स्लीपर लगाए गए है। नए स्लीपर लगाए जाने से लाइन में लेवल की जाच करना जरूरी है। इसी वजह से अब इस लाइन की जाच करवाई जा रही है।
ट्रैक रिकार्डिग कार में हैं दो कोच
ट्रैक रिकार्डिग कार में दो कोच हैं। इन कोचों में कंप्यूटर प्रयोगशाला है। कोच के पहियों के साथ में आधुनिक व उच्च क्षमता के मशीन व कैमरे लगे हुए है। जहा ये यह मशीन गुजरती है उस लाइन का पूरा रिकार्ड कोच में स्थापित कंप्यूटर प्रयोगशाला में दर्ज होता है। उसके बाद उस रिकार्ड का विशेषज्ञ अध्ययन करते है और फिर लाइन को ठीक करने का काम शुरू हो जाता है।