धान का उचित मूल्य नहीं मिलने से किसान मायूस
फोटो: 18 से 22 -बारिश कम होने के चलते धान की फसल तैयार करने में अधिक खर्च हुआ -धान का भाव पता लग
फोटो: 18 से 22
-बारिश कम होने के चलते धान की फसल तैयार करने में अधिक खर्च हुआ
-धान का भाव पता लगने पर काफी निराशा हुई
जागरण संवाददाता, गोहाना :
गोहाना की नई अनाज मंडी में इन दिनों धान लेकर पहुच रहे किसान उचित भाव न मिलने से मायूस है। किसानों की फसल पिछले साल की तुलना में 800 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल कम भाव पर बिक रही है। अच्छे भाव न मिलने से किसानों में निराशा है। किसान तर्क दे रहे है कि इस बार बारिश भी अच्छी नहीं हुई जिससे फसल तैयार करने में खर्च भी अधिक हुआ है। शनिवार को मंडी में पहुचकर किसानों की भावनाओं को जानने का प्रयास किया। किसानों से हुई बातचीत के अंश इस तरह से है।
नई अनाज मंडी में फसल लेकर पहुचे गाव खेड़ी दमकन के किसान रामफल ने कहा कि वह धान कि 1121 किस्म मंडी में लेकर पहुचा है। मंडी में पहुचने पर उसे पता चला कि यह धान इस समय 3150 से लेकर 35 सौ रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रहा है। जब भाव का पता लगा तो उसे निराशा हुई। रामफल ने कहा कि पिछले वर्ष 1121 धान 41 सौ से लेकर 47 सौ रुपये प्रति क्विंटल के भाव तक बिकी थी।
गाव रभड़ा के किसान बलराम ने कहा कि इस वर्ष बारिश भी बहुत कम हुई। बारिश कम होने के चलते किसानों को धान की फसल तैयार करने में अधिक खर्च हुआ। सिंचाई के लिए किसानों को पिछले साल की तुलना में प्रति एकड़ चार-पाच हजार रुपये अधिक डीजल पर खर्च करना पड़ा। खर्च अधिक होने से किसान पिछले साल की तुलना में अच्छे भाव की आस लगाए बैठे थे लेकिन अब जब मंडी में फसल पहुची तो उन्हे निराशा ही हाथ लग रही है।
गाव धामड़ के किसान कृष्ण का कहना है कि किसानों को धान की फसल तैयार करने पर न केवल डीजल पर अधिक खर्च करना पड़ा बल्कि लेबर ने भी अपने दाम बढ़ा दिए है। लेबर प्रति एकड़ धान की कटाई व झड़ाई पिछले साल से लगभग चार सौ रुपये अधिक ले रही है। कम बारिश के चलते किसानों को खाद व दवा में भी अधिक खर्च उठाना पड़ा। किसानों की खुशहाली के लिए सरकार को भी ध्यान देना चाहिए।
मार्केट कमेटी के सचिव देवेंद्र सिंह ढुल का कहना है कि धान की पूरी फसल की खरीद व्यापारी ही खरीद रहे है। व्यापारी अपने हिसाब से भाव तय करते है और उसी के अनुरूप ही खरीद करते है। किसानों को अच्छे भाव मिले इसके लिए प्रतिदिन बोली लगवाकर किसानों की फसल की खरीद करवाई जा रही है।