लीड---हार के बावजूद रहेगी सत्ता के गलियारे में धमक
----फोटो: 21 से 24 ---- -छह में से पाच सीटों पर हार के बाद भी जीत -हार के बाद भी उत्साहित हैं भा
----फोटो: 21 से 24 ----
-छह में से पाच सीटों पर हार के बाद भी जीत
-हार के बाद भी उत्साहित हैं भाजपाई
शांतिभूषण, सोनीपत:
जाटलैंड में शामिल सोनीपत जिले की छह में से पांच सीटों पर हार के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को जीत का स्वाद मिलेगा। विधानसभा चुनाव हार गए भाजपा प्रत्याशियों की सत्त्ता के गलियारे में धमक बनी रहेगी। जानकारी के अनुसार यहां से चुनाव हारने वालों में लगभग सभी हैवीवेट हैं और उनका प्रदेश की राजनीति में अपना जलवा रहा है। ऐसे में हार के बावजूद दरकिनार किया जाना संभव नहीं है। उन्हें सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के संकेत दिए जा रहे हैं।
सोनीपत जिले में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गन्नौर, राई, गोहाना, बरोदा व खरखौदा सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाए हैं। गन्नौर से पार्टी टिकट पर चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर आए पूर्व सांसद व पूर्व विधायक जितेंद्र मलिक कांग्रेस के कुलदीप शर्मा से चुनाव हार गए हैं। मलिक एक बार सांसद व दो बार विधायक रह चुके हैं। वह स्व. लहरी सिंह व स्व. राजेद्र ंिसह के वारिस हैं। इसलिए प्रशासनिक हल्कों में उनका दबदबा बना रहेगा। भाजपा नेतृत्व भी उन्हें तवज्जो देने के मूड में दिखता है। राई में पूर्व मंत्री कृष्णा गहलावत चुनाव हार गई हैं। उनको कई प्रबल दावेदारो को दरकिनार कर टिकट दिया गया था। चूकि वह कॉरपोरेट घराने से भी आती हैं ऐसे में उनकी अनदेखी करना भी भाजपा के लिए फायदेबंद नहीं होगा। हारने के बावजूद शासन-प्रशासन में उनका जलवा चल सकता है।
गोहाना में भाजपा प्रत्याशी के रूप में भाजपा का पिछड़ा चेहरा रहे रामचंद्र जांगड़ा की हार हुई है। उनके मुकाबले में कांग्रेस के जगबीर मलिक जीते हैं, मलिक चौथी बार विधायक चुने गए हैं। चूंकि कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई है ऐसे में गोहाना में जांगड़ा का जलवा बरकरार रहने की पूरी संभावना है। हार के बावजूद वह अभी से गोहाना में पूरी सक्रियता बनाए हुए हैं।
बरोदा में गठवाला खाप के दादा बलजीत सिंह मलिक ने भाजपा टिकट पर श्रीकृष्ण हुड्डा के खिलाफ ताल ठोंकी थी। हुड्डा के गढ़ में वह जीत दर्ज कराने में विफल रहे। वह गठवाला खाप के सर्वेसर्वा है तथा पश्चिमी उत्तरप्रदेश के मलिक गोत्र के जाटों में उनका विशेष रूतबा है, चूंकि उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में पार्टी उनके उपयोग को ध्यान में रखकर कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकती है। उनके समर्थन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी व पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह मलिक समेत कई भाजपा दिग्गज पहुंचे थे। उनकी प्रशासनिक हलकों में सक्रियता बनी रहेगी।
भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी चुनाव हारे इन प्रत्याशियों के कद को देखते हुए सरकार व संगठन में उनका उपयोग कर सकती है। ऐसे में इन नेताओं को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप मे शक्ति केंद्र के तौर पर स्थापित किया जा सकता है। पार्टी चुनाव जीतने वाले कांग्रेस विधायकों के मुकाबले इन हैवीवेट चुनाव हारे नेताओं को आगे कर जनाधार बढ़ाने की मुहिम चला सकती है।