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कुपोषित नौनिहालों का बनेगा डाटा

By Edited By: Published: Tue, 29 Jul 2014 04:09 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jul 2014 04:09 PM (IST)
कुपोषित नौनिहालों का बनेगा डाटा

- त्वरित डायरिया नियंत्रण अभियान में नौनिहालों का भी होगा वजन

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- दूसरे चरण के अभियान को लेकर दी जाएगी ट्रेनिंग

जागरण संवाददाता, सोनीपत :

कुपोषण के शिकार नौनिहालों का डाटा बैंक राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के त्वरित डायरिया नियंत्रण अभियान के दूसरे चरण में तैयार किया जाएगा। इसके लिए आशा वर्करों को दूसरे चरण के शुरू होने से पहले नौनिहालों के वजन लेने तथा उसके डाटा बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। मिशन के तहत दिए फार्मेट में आशा वर्कर अपने क्षेत्र की रिपोर्ट भेजेंगी।

दरअसल मां का दूध नहीं मिलने की वजह से नौनिहाल कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। विभाग की ओर से कई बार स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। मगर इस अभियान के बावजूद अभी भी स्तनपान करने की प्रवृति कम ही मां में देखी जा रही है। इसी वजह से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की ओर से सर्वे कराकर इसकी हकीकत की पड़ताल करने का प्रयास किया है।

क्या कहते हैं मिशन प्रभारी

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के प्रभारी डा. महेंद्र सिंह ने कहा कि चार से छह माह तक के बच्चों को स्तनपान कराना चाहिए। कई बार महिलाएं अपने 'स्टेटस सिंबल' की वजह से स्तनपान कराने के प्रति सतर्क नहीं होती है। इस वजह से डिब्बा वाला दूध बच्चों को पिलाती है। इस तरह नौनिहालों को सभी पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इससे नौनिहाल कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। इस अभियान के दूसरे चरण में सर्वे के माध्यम से स्तनपान के प्रति महिलाओं को प्रेरित किया जाएगा। सर्वे के दौरान कम वजन वाले नौनिहाल को आशा या आंगनबाड़ी वर्कर संबंधित स्वास्थ्य केंद्र रेफर करेंगे ताकि उनका सही इलाज संभव हो सके।

ऐसे होगा नौनिहालों का वजन

पहली बार बच्चा का वजन- 2.8 किलोग्राम

पांच माह के बाद वजन- दो गुणा।

एक साल के बाद वजन- तीन गुणा।

दो साल के बाद वजन- चार गुणा।

इसके बाद वे तीन अलग-अलग ग्रेडिंग करेंगे। इसमें मानक के अनुरूप वजन 80 फीसद तक रहने पर ग्रीन, 60 फीसद तक पाए जाने पर पीला तथा इससे नीचे को लाल ग्रेड देना है।


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