कृषि के साथ मधुमक्खी पालन अपनाकर उन्नत हों किसान
संवाद सूत्र, ओढां : अंतर्राष्ट्रीय मृदा दिवस पर बड़ागुढ़ा खंड के गांव भीवां में सोमवार को जिला स्तर
संवाद सूत्र, ओढां :
अंतर्राष्ट्रीय मृदा दिवस पर बड़ागुढ़ा खंड के गांव भीवां में सोमवार को जिला स्तरीय किसान जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कृषि उपनिदेशक डॉ. बाबू लाल की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में अतिरिक्त उपायुक्त अजय तोमर ने विशेष रुप से शिरकत करते हुए किसानों को सोयल हेल्थ कार्ड वितरित किए। इस अवसर पर खंड के किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों से कृषि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की।
कृषि विभाग से कीट विशेषज्ञ डॉ. दलीप ¨सह ने कहा कि किसानों को बिजाई से पूर्व खेत की मिट्टी का परीक्षण करवाना आवश्यक है ताकि भूमि में पोषक तत्वों की कमी बारे पता चल सके। उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल में नीमोटोड बीमारी के उत्पन्न होने पर किसान बिना जानकारी के अंधाधूंध कीटनाशकों का छिड़काव न कर कृषि विशेषज्ञों से राय लेकर ही कीटनाशक का प्रयोग करें।
मिट्टी का परीक्षण करवाना अति आवश्यक
एडीसी अजय तोमर ने कहा कि जिस तरह हम अपने रक्त की रिपोर्ट करवाते हैं उसी तरह भूमि की मिट्टी का परीक्षण करवाना अति जरुरी है। उन्होंने कहा कि भूमि परीक्षण की रिर्पोट के मुताबिक ही किसान अपने खेत में खाद आदि का प्रयोग करें। उन्होंने सरकार द्वारा किसानों के हितार्थ चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं बारे जानकारी देते हुए कहा कि किसान इनका लाभ उठाकर उन्नत हो सकते हैं।
मधुमक्खी पालन से कमाएं लाभ
कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को विभाग द्वारा चलाई गई विभिन्न योजनाओं जैसे मधुमक्खी पालन, डेयरी फार्म, मशरूम की खेती, फूलों की खेती व मुर्गी पालन का व्यवसाय अपनाएं। क्योंकि विभाग द्वारा समय समय पर इस तरह के व्यवसायों बारे प्रशिक्षण दिया जाता है। किसान मधुमक्खी पालन में एक डिब्बे से 35 से 40 किलो शहद निकाल सकते हैं। इस व्यवसाय के लिए किसान को कोई बड़ा खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती। इसके लिए विभाग द्वारा किसान को 4 दिन का प्रशिक्षण देकर निपूण किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस व्यवसाय के लिए अक्तूबर से फरवरी तक का समय उचित है क्योंकि इस दौरान सरसों व अन्य फलदार पौधों के पराग से मक्खी आसानी से शहद तैयार कर सकती है।
बिना जानकारी न करें कीटनाशक व खाद का प्रयोग
उपनिदेशक डॉ. बाबू लाल ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान अच्छी पैदावार लेने के लिए अच्छी जानकारी से रुबरु होने चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि किसान फसलों में यूरिया को तरजीह देता है लेकिन मिट्टी परीक्षण करवाने में ढिलाई बरत जाता है। उन्होंने कहा कि फसली बीमारियों में किसान कीटनाशक विक्रेताओं पर आश्रित न रहकर कृषि विशेषज्ञों से राय लें।
इस अवसर पर पर एडीसी तोमर ने खंड के 65 किसानों को मिट्टी परीक्षण के हेल्थ रिपोर्ट कार्ड वितरित किए। इस मौके पर कृषि विभाग से डॉ. देवेन्द्र जाखड़, डॉ. विनोद मलिक, चेयरमैन गुरविन्द्र ¨सह, एडीओ सुखविन्द्र ¨सह, एडीओ मनोहर चौधरी मौजूद थे।