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लाखों की आबादी, पशुओं का आंतक, इलाज सिर्फ दो जगह

जागरण संवाददाता, सिरसा : सिरसा जिले में रेबीज रोगियों के इलाज की व्यवस्था महज दो ही जगह है। एक सिर

By Edited By: Published: Thu, 29 Sep 2016 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2016 01:00 AM (IST)
लाखों की आबादी, पशुओं का आंतक, इलाज सिर्फ दो जगह

जागरण संवाददाता, सिरसा :

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सिरसा जिले में रेबीज रोगियों के इलाज की व्यवस्था महज दो ही जगह है। एक सिरसा स्थित जिला सामान्य अस्पताल में जबकि दूसरी चौटाला के सामान्य अस्पताल में। पीएचसी व सीएचसी स्तर पर रेबीज का टीका उपलब्ध नहीं होने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। खास कर देहात के लोगों को 40 से 50 किलोमीटर की दूरी तय कर सिरसा आना पड़ता है। अगर दूरी से बचना हो तो निजी अस्पतालों से टीकाकरण करवाया जाता है। मगर सरकारी और निजी अस्पताल के दामों फर्क रहता है। सामान्य अस्पताल में जो टीका मात्र सौ रुपये में लगता है, उसी के लिए निजी अस्पतालों में 400 से 500 रुपये तक देने पड़ते हैं।

रेबीज के टीके का है पूरा स्टॉक

यह सुखद बात है कि जिले के सामान्य अस्पतालों में रेबीज के टीके का पूरा स्टॉक है। जिला अस्पताल में दवा काउंटर के सामने कमरे में टीकाकरण की व्यवस्था की गई है। जहां कुत्ते या बंदर के काटने के बाद आने वाले रोगियों को टीका सौ रुपये की रसीद कटवाने के बाद लगा दिया जाता है। अधिकारियों की मानें तो यहां औसतन तीन से पांच मरीज एक दिन में आते हैं। कुछ दिन ऐसे भी निकलते हैं, जब एक भी मरीज नहीं आता है। हालांकि छुट्टी के दिन सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण की कोई व्यवस्था नहीं रहती है। छुट्टी होने के दिन तो सीधा निजी अस्पतालों का ही रुख करना पड़ता है।

रेबीज के कारण व लक्षण

व्यक्ति के शरीर में रेबीज किसी जानवर के काटने के बाद उसकी लार या खुले घाव से पहुंचता है। रेबीज कुत्ता, बिल्ली या बंदर आदि से फैलता है। इसीलिए इन जानवरों से खासतौर पर आवारा जानवरों से सावधान रहना चाहिए। जानवरों के काटने को गंभीरता से लिया जाए। हालांकि यही बीमारी मनुष्यों की तरह पशुओं में भी हो जाती है।

रेबीज से ऐसे करें बचाव

सामान्य अस्पताल के डॉ.वीरेश भूषण के मुताबिक किसी जानवर द्वारा काटे जाने पर तुरंत प्राथमिक उपचार किया जाना चाहिए। कुछ रेबीज ग्रस्त जानवर दो महीने तक ¨जदा रह सकते हैं, इसीलिए उसके मरने का इंतजार नहीं करना चाहिए। इसीलिए तुरंत वेक्सीनेशन कराना चाहिए। इससे रेबीज होने का खतरा हर बार टाला जा सकता है। घाव को खूब सारे पानी से धोकर उस पर एंटीसेप्टिक या अल्कोहल लगाएं। घाव को ढकें नहीं बल्कि उस पर हल्दी या बाम जैसी चीज भी लगा सकते हैं। प्रत्येक पालतू जानवर को एंटी रेबीज का टीका लगवाना चाहिए। वहीं कुत्ते, बंदर या बिल्ली के काटने पर रेबीज का समय अनुसार टीकाकरण अवश्य करवाना चाहिए।

::::: रेबीज टीकाकरण के लिए सामान्य अस्पताल में पर्याप्त स्टॉक है। किसी भी मरीज के आने पर मात्र सौ रुपये के खर्च पर उसका टीकाकरण होता है। इसके लिए किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है।

डॉ.सूरजभान कंबोज, सीएमओ, सिरसा


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