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महिला दिवस विशेष : हाथ में रही बागडोर, पैदा नहीं होने दिया तनाव

जागरण संवाददाता, सिरसा : जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान फैले जातीय तनाव से सिरसा जिला दूर ही रहा। मगर

By Edited By: Published: Tue, 08 Mar 2016 01:01 AM (IST)Updated: Tue, 08 Mar 2016 01:01 AM (IST)

जागरण संवाददाता, सिरसा :

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जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान फैले जातीय तनाव से सिरसा जिला दूर ही रहा। मगर उसके बाद फैले बिरादरी भेदभाव को रोकने के लिए भी पंचायतें अग्रसर है। खासकर उन गांवों में भाईचारा बनाए रखने को लेकर पंचायतें खास भूमिका निभा रही है, जहां सरपंच की कमान महिलाओं के जिम्मे हैं। उस दौरान भी हालात ना बिगड़े, इसके लिए पंचायतों ने पूरी सक्रियता दिखाई। सभी बिरादरियों को आपस में तालमेल बनाए रखने के लिए प्रेरित किया गया। अब भी समाज को 35 बनाम 1 बिरादरी में बांटने वालों का कड़ा विरोध जताकर ऐसी घटनाओं से गांवों को बचाए रखने पर जोर दिया जा रहा है।

हमने अपने गांव में शांति बनाए रखने के भरसक प्रयास किए। लोगों को समझाया ा कि राजनीतिज्ञ सिर्फ आरक्षण के नाम पर लोगों को बांटने का काम कर रहे हैं। अराजकता फैलने से बचा जाए। अब भी गांव में आपसी भाईचारा खराब ना हो, इसके लिए पूरी तरह सक्रिय है। गांव में 36 नहीं बल्कि 39 बिरादरियां रहती है। सभी में पूरा सौहार्द है।

गीता देवी, सरपंच, गांव कालुआना

हमारी सोच स्पष्ट है कि जातपात से बढ़कर मानवता है। हमें इंसानियत बनाए रखनी चाहिए। ऐसा ही आरक्षण आंदोलन के दौरान भी हुआ। गांव तो क्या आसपास भी कुछ गलत नहीं हुआ। अब भी किसी भी प्रकार का जातिवाद ना फैले, इसके लिए पंचायत की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। परिवार को संभालने के साथ-साथ गांव में आपसी भाईचारा बनाए रखने की जिम्मेवारी बखूबी निभा रहे हैं। जातपात के नाम पर बंटने से समाज के साथ-साथ राष्ट्र की भी क्षति होती है।

मंजीत कुल्हड़ीया, सरपंच, गांव फूलकां

भले ही पूरे प्रदेश में तनाव रहा हो, मगर जिले में ऐसी कोई घटना नहीं हुई। यह हमारे लिए गौरव की बात है। समाज को बांटने का प्रयास किया जा रहा है, उससे सभी को बचने की जरूरत है। हमें जिम्मेवार नागरिक की भूमिका निभानी चाहिए। गांव में आपसी भाईचारा बना रहना चाहिए। सभी धर्मों, जातियों के लोगों को आपस में मिल-जुलकर रहने का अधिकार है। हमारी पंचायत इस आपसी प्रेम भाव को बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इसमें ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है।

रीतू रानी, सरपंच, गांव बनसुधार

जातीय तनाव ने प्रदेश की छवि बिगाड़ने का काम किया है। मगर हमारे गांव में भाईचारे व आपसी तालमेल बनाए रखने के लिए पंचायत के साथ-साथ हर गांववासी प्रयास करता है। अभी तक ऐसी कोई समस्या नहीं आई है और ना ही आने दी जाएगी। गांव के लोग जाति को लेकर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करते हैं। गांव में पूरी तरह शांतिपूर्ण माहौल है और आगे भी ऐसा ही रखेंगे।

कौशल्या देवी, सरपंच, गांव गोरीवाला

हमारा गांव जातीय भेदभाव जैसी बातों से बिल्कुल दूर है। यहां सिर्फ भाईचारे की बात होती है। ¨लगानुपात के मामले में भी गांव ने पूरे प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है। ऐसा सभी ग्रामीणों के सहयोग व आपसी तालमेल की वजह से ही हो पाया है। गांव के विकास के लिए सभी बिरादरियों का सहयोग जरूरी होता है। इसलिए हम सभी मिलकर समाज में भाईचारा बनाए रखेंगे।

प्रदीप कौर, सरपंच, गांव मोडी


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