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बसों के इंतजार में भटकती रही बहनें

जागरण संवाददाता, सिरसा : रक्षाबंधन से पूर्व शुक्रवार को बहनें बसों के इंतजार में इधर से उधर भटकती

By Edited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 07:57 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 07:57 PM (IST)
बसों के इंतजार में भटकती रही बहनें

जागरण संवाददाता, सिरसा :

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रक्षाबंधन से पूर्व शुक्रवार को बहनें बसों के इंतजार में इधर से उधर भटकती रही। साथ ही रोडवेज बस स्टैंड पर रोजाना की तुलना में अधिक महिलाओं की भीड़ नजर आई। बसों के लिए बहनों को आधे घंटे तक इंतजार करना पड़ा। आते ही बसें फुल होती गई। कई बहनों को तो बसों में खड़ा होकर ही अपना गंतव्य करना पड़ा। साथ ही पेयजल के कारण भी बहनों को परेशानी हुई। दरअसल, सरकार द्वारा इस बार रक्षाबंधन से एक दिन पूर्व से ही बहनों के बसों में सफर की नि:शुल्क घोषणा की गई है। इस कारण शुक्रवार को अत्याधिक महिलाएं बसों में सफर करने के लिए दोपहर बाद निकली। बस स्टैंड पर महिलाओं को जमावड़ा नजर आया। बस के आते ही महिलाएं अपने बच्चों के साथ उस पर टूट पड़ी। साथ ही कई महिलाएं तो खिड़कियों में से उनके बच्चों को बस के अंदर भेजती देखी गई। बसों के अंदर भी महिलाओं की सीटों पर पुरूषों का कब्जा नजर आया। बता दें कि रोडवेज बस डिपो के पास कुल 184 बसें है। जिनका सुबह से ही विभिन्न शहरों के लिए संचालन किया गया।

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रोडवेज प्रबंधन के दावे नजर आए फेल

रक्षाबंधन से पूर्व बहनों को पर्याप्त बसें मुहैया करवाने के रोडवेज प्रबंधन के सभी दावे खोखले नजर आए, क्योंकि उन्हें बसों के लिए 20-20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। उमस और गर्मी के साथ-साथ व्यवस्था ने भी बहनों के पसीने छुड़वाए। हालाकि रोडवेज प्रबंधन ने रक्षाबंधन को लेकर अपनी कर्मचारियों की छुट्टियां रद की है। पर बसों की कमी के कारण बेटियों को दो चार होना पड़ा।

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सभी बसें जा रही है चलवाई : महाप्रबंधक

रोडवेज महाप्रबंधक सुरेश कस्वां का कहना है कि सभी बसें चलवाई जा रही है। कोई भी बस चालक एवं परिचालक की कमी के कारण खड़ी है। डिपो की तमाम बसों को बहनों के लिए चलाया गया। शनिवार अल सुबह से ही बसों का संचालन कर दिया जाएगा।

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निजी बसों ने कूटी चांदी

बस स्टैंड पर खुले में ही दोपहर बाद अत्याधिक बसें बूथ पर लगी नजर आई। साथ ही कुछ बहनें फ्री के चक्कर में इन बसों में चढ़ गई। पर उन्हें बीच रास्ते में ही मालूम हुआ कि ये बसें रोडवेज की नहीं, बल्कि प्राइवेट है। कई बहनों को इस कारण अपनी जेब ढीली करनी पड़ी। रोडवेज जैसे हमशक्ल निजी बसों ने जमकर चांदी कूटी।


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