्रशासन को भी नजर नहीं आते बाल मजदूरी
संवाद सूत्र, ऐलनाबाद : त्योहार के मद्देनजर बाजार में चहल-पहल शुरू हो गई है लेकिन हर कोई अपनी खरीदार
संवाद सूत्र, ऐलनाबाद : त्योहार के मद्देनजर बाजार में चहल-पहल शुरू हो गई है लेकिन हर कोई अपनी खरीदारी में इतना व्यस्त है कि उसे बाजार के प्रतिष्ठानों, दुकानों पर काम करते बाल मजदूरों की बेबसी नजर नहीं आती। दूसरी तरफ हर मुद्दे पर अपनी धौंस जमाने वाले प्रशासन को ये घटनाक्रम सामने होने के बाद भी नजर नहीं आ रहा है।
ये बाल मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए सुबह से देर रात तक कड़ी मेहनत करते है। काम करने वाले ज्यादातर बाल मजदूर दूसरे राज्यों के है जो अपने अभिभावकों से मिलने कुछ सालों में एक-दो बार ही जाते है। काम के बदले में उनको मेहनताना कम मिलता है जो कई बाल मजदूरों के नशेड़ी पिता वसूल लेते है। बाल श्रमिक जगह-जगह काम करते देखे जा सकते है। कुछ भी हो, बाल श्रमिकों के शोषण के खिलाफ सरकार, नेता व समाजसेवी जोर-शोर से भाषण देते है परतु इनकी तरफ ध्यान कोई देना नहीं चाहता। कभी-कभार पकड़े जाने की स्थिति में बाल श्रमिक कुछ हिदायतें देकर छोड़ दिए जाते है। इनकी पढ़ाई आदि का बंदोबस्त भी लगभग न के बराबर होता है। कुछ वक्त बीतने के बाद ये उसी जगह या अन्य किसी स्थान पर मजदूरी करने लगते है। बाल श्रमिकों की जाच के लिए सरकारी अमला भी है परतु कोई खास गौर नहीं करते, महज खानापूíत करते हैं। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध, केवल कागजी आदेशों में ही नजर आ रहा है।
यहा होती है बाल मजदूरी
बाल मजदूरों से मजदूरी करवाने का कार्य ज्यादातर मिठाई के मुख्य गोदामों, होटलों के ऊपर बने कमरों, थोक की दुकानों, चाय के ढाबों पर होता है। ये बाल मजदूर बिहार, यूपी सहित अन्य दूसरे राज्यों के होते है, जिनके मा-बाप इन्हे छोड़कर सिर्फ मजदूरी लेने के लिए यहा आते है। एक ही प्रतिष्ठान पर चार-पाच बाल श्रमिक काम करते देखे जा सकते हैं।
चुनावी प्रक्रिया के चलते पुलिस प्रशासन एक माह से चुनाव में व्यस्त थी। अब पुलिस ऐसे बाल श्रमिक रखने वाले दुकानदारों की खबर लेगी जो 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को श्रमिक के तौर पर अपने प्रतिष्ठानों पर रखे हुए है।
-कुलदीप बैनीवाल, डीएसपी।