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खतरा बन रहे शहर के हिंसक सांड़

By Edited By: Published: Tue, 02 Sep 2014 10:31 PM (IST)Updated: Tue, 02 Sep 2014 10:31 PM (IST)
खतरा बन रहे शहर के हिंसक सांड़

जागरण संवाददाता, सिरसा : शहर की सड़कों पर घूम रहे सांड़ लोगों के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। झुंडों में घूम रहे ये सांड अब हिंसक हो रहे हैं और लोगों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतारने को तैयार हैं। पिछले दो दिनों में शहर में आवारा सांड़ों ने एक वृद्धा की जान ले ली तो वहीं दो मोटरसाइकिल सवारों को अपनी सीगों से अधमरा कर दिया। जिला प्रशासन व नगर परिषद भी इन लावारिस सांड़ों पर नकेल कसने में नाकाम साबित हो रही है तभी तो ये सांड़ आए दिन लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।

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जिलेभर में सड़कों पर लगभग 15 हजार आवारा पशु घूम रहे हैं। इनमें सर्वाधिक लावारिस गायों व सांड़ों की संख्या है। अकेले सिरसा शहर में घूम रहे लावारिस सांड़ों की संख्या दो हजार से अधिक है। शहर के बाजारों, खाली प्लॉटों, पार्को में सरेआम सांड घूमते नजर आते हैं। सांडों का यह झुंड हमेशा आपस में उलझता रहता है। आपस में भिड़ते सांड लोगों के लिए सबसे ज्यादा खतरा बनते हैं। अगर इन सांड़ों की लड़ाई में कोई में आ जाता है तो वह अपनी जान से हाथ धो बैठता है। अब तो शहर की सड़कों पर अकेले घूम रहे सांड़ अचानक लोगों पर अपने नुकीले सींगों से हमला कर देते हैं। लोगों के लिए दहशत बने इन आवारा सांड़ों को नियंत्रित करने के लिए न तो जिला प्रशासन के पास उपाय है और न ही नगर परिषद के पास। जिला प्रशासन भी इन सांड़ों को कहीं दूसरी जगह भेजने के नाम पर हाथ खड़े कर देता है। हालांकि जिलेभर में 75 गोशालाएं जहां हजारों की संख्या में गोधन रखा जाता है। अगर प्रशासन व नगर परिषद ठोस रणनीति बनाए तो इन लावारिस सांड़ों को गोशालाओं में शरण दी जा सकती है। अगर गोशालाओं में स्थान न मिले तो अलग से नंदीशाला बनाकर उनमें इन्हें छोड़ा जा सकता है।

हिसंक सांड़ करते हैं हमला

शहर में हिसंक सांड लगातार लोगों पर हमला कर रहे हैं। बीते रविवार को बाजार जाने के लिए घर से निकली कीर्ति नगर की प्रकाशवती को आवारा सांड ने जोरदार टक्कर मार दी जिसके कारण उसकी मौत हो गई। ठीक इसके अगले दिन गोबिंदपुरा निवासी निर्मल सिंह व कुलबीर सिंह को जोरदार टक्कर मार दी। इस टक्कर में दोनों बाइक सवार गंभीर रूप से घायल हो गए जिनमें से एक का निजी अस्पताल में ऑपरेशन हुआ तो दूसरे की गंभीर हालत देखते हुए हिसार रेफर कर दिया गया। यही नहीं इससे पहले भी दर्जनों वारदातों को ये हिंसक सांड अंजाम दे चुके हैं।

लावारिस पशुओं से बढ़ रहे सड़क हादसे

शहर में सड़कों पर घूम रहे लावारिस पशु रात को सड़कों के बीच की आराम करते हैं। रात के समय वाहनों की लाइटों में सड़क पर बैठे ये आवारा पशु नजर नहीं आते जिससे सड़क हादसे भी बढ़ते और ये पशु भी अकाल मौत का शिकार हो जाते हैं।

सामाजिक संस्थाएं भी नहीं उठाती कदम

जिलेभर में समाजसेवा के नाम पर ग्रांट लेने वाली सैकड़ों संस्थाएं हैं। ये संस्थाएं सामाजिक कार्यो के लिए ग्रांट तो ले लेती हैं लेकिन इन लावारिस पशुओं को लेकर कोई अभियान नहीं चलाती है।

जिले में सर्वाधिक गोशाला, लेकिन सांड़ों को जगह नहीं

जिले में 75 छोटी-बड़ी गोशालाएं हैं। इन गोशालाओं में हजारों गायों को आसरा दिया गया है। गोशाला प्रबंधन समिति किसी भी गोशाला में सड़कों पर घूम रहे लावारिस सांडों को रखने के लिए तैयार नहीं है। लावारिस सांडों की हिंसक वारदातों के बाद जिला प्रशासन व नगर परिषद फौरी तौर पर अभियान चलाती है उसके बाद इन सांड़ों को अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है।


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