न्यायमूर्ति बनना चाहते थे डॉक्टर, प्रवेश नहीं मिला तो पिता के कहने पर की लॉ की पढ़ाई
जागरण संवाददाता, रोहतक महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के 16वें दीक्षांत समारोह में डी लिट की म
जागरण संवाददाता, रोहतक
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के 16वें दीक्षांत समारोह में डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित होने वाले केंद्रीय प्रशासनिक पंचाट के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन दाखिला नहीं मिला तो पिता के कहने पर लॉ की पढ़ाई की। डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित होने पर कहा कि उनके बचपन का सपना रविवार को पूरा हो गया। न्यायमूर्ति के अलावा माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीके कुठियाला ने दीक्षांत समारोह में डी.लिट की मानद उपाधि प्रदान करने पर कुलाधिपति प्रो. कप्तान ¨सह सोलंकी का आभार जताया।
न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली ने कहा कि वे मूल रूप से डॉक्टर बनना चाहते थे, परंतु उनकों मेडिकल साइंस में प्रवेश नहीं मिल पाया। अपने पिता के कहने पर विधि क्षेत्र में पदार्पण किया और फिर यहां तक पहुंच गए। माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. बीके कुठियाला ने अपने आभार भाषण में विश्वविद्यालय प्रशासन का आभार जताया। साथ ही कहा कि इस मानद उपाधि से उनमें एक विशेष दायित्व बोध जागृत हुआ है। प्रो. कुठियाला ने कहा कि उच्चतर शिक्षा के जरिए समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। बता दें कि मदवि की शैक्षणिक परिषद (एसी) व कार्यकारी परिषद (ईसी) की अनुशंसा और कुलाधिपति के अनुमोदन पर रविवार को दोनों ही अतिथियों को डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया गया।