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चिकित्सा के पेशे में जरूरी है नैतिक बने रहना

जागरण संवाददाता, रोहतक : चिकित्सा पेशे में हुए नैतिकता अवमूल्यन पर पीजीआइ प्रशासन खासा गंभीर है। नैत

By Edited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 01:07 AM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 01:07 AM (IST)

जागरण संवाददाता, रोहतक : चिकित्सा पेशे में हुए नैतिकता अवमूल्यन पर पीजीआइ प्रशासन खासा गंभीर है। नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक भवन में भावी चिकित्सकों को नैतिकता का ज्ञान दिया जा रहा है। इसके तहत बुधवार को विशेष वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप में चिकित्सकों को पेशे की नैतिकता से रूबरू कराया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ओपी कालरा ने कहा कि यूरोपियन व अमेरिकन देशों में मेडिकल के क्षेत्र में पिछले करीब 15 सालों से बॉयोएथिक्स को जरूरी विषय के रूप मे शामिल किया हुआ है। बॉयोएथिक्स हमें क्लीनिकल एथिक्स, रिसर्च एथिक्स के साथ-साथ टी¨चग एथिक्स भी सिखाती है।

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इससे पहले वर्कशॉप का शुभारंभ कुलपति डॉ. ओपी कालरा ने किया। उन्होंने कहा कि हम इस चिकित्सकीय पेशे मे सिर्फ पैसे के लिए नहीं आए हैं, हम एक चिकित्सक के साथ अध्यापक भी हैं, इसलिए हमारा फर्ज है कि हम क्लीनिकल एथिक्स और मेडिकल एथिक्स को बढ़ावा दें।

वर्कशाप का शुभारंभ कुलपति डॉ. ओपी कालरा, कुलसचिव डॉ. एचके अग्रवाल, निदेशक डॉ. राकेश गुप्ता, डीन डॉ. एमसी गुप्ता, डेंटल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय तिवारी, डॉ. एनके मगगू ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित करके किया। वर्कशाप में डॉ. एमसी गुप्ता, डॉ. नलिन मेहता व डॉ. सविता वर्मा ने वर्कशाप में एथिक्स पर व्याख्यान दिया। वर्कशाप को आर्गेनाइज डॉ. सविता वर्मा व डॉ. अंबिका द्वारा किया गया।

विश्वविद्यालय में एथिक्स कमेटी का गठन

कुलपति डॉ. ओपी कालरा ने कहा कि पूर्व हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. एनके मगगू को पीजीआइएमएस की एथिक्स कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है जो एक चिकित्सक के साथ अच्छे रिसर्चर भी हैं। डॉ. कालरा ने कहा कि दो से तीन माह के अंतराल पर एथिक्स कमेटी की बैठक होनी चाहिए और एक बोर्ड बनाया जाना चाहिए जो पीजी थीसिस व पीएचडी थीसिस को रिव्यू कर सके। उन्होंने कहा कि थीसिस के लिए पीजी छात्रों को आइसीएमआर से 25 हजार रुपये मिलते हैं, जिसे विवि की ईसी व एसी ने भी मंजूर कर रखा है।

शोध पर भी ध्यान रखेगी कमेटी

इस अवसर पर डॉ. नलिन मेहता ने एथिक्स कमेटी के कार्य के बारे में बताया। उन्होंने समझाया कि मनुष्य पर शोध करते समय चिकित्सकों को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो सके। डॉ. सविता वर्मा ने अपने व्याख्यान मे बताया कि शोध के लिए कौन-कौन से दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने शेड्यूल वाई सिद्धांत के बारे मे भी विस्तार से जानकारी दी।

ये रहे उपस्थित

इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. एचके अग्रवाल, निदेशक डॉ. राकेश गुप्ता, डीन डॉ. एमसी गुप्ता, डेंटल कालेज के प्राचार्य डॉ. संजय तिवारी, डॉ. एनके मग्गू, एमडीयू से डॉ. रवि प्रकाश सहित दर्जनों एथिक्स कमेटी के सदस्य उपस्थित थे।

रिसर्च के लिए राशि कम रहे, तो बढ़ाएं

डॉ. कालरा ने डीन डॉ. एमसी गुप्ता को आदेश देते हुए कहा कि सभी विभागों के पीजी छात्रों से रिसर्च के लिए आवेदन मांगें और उन्हें रिसर्च किट खरीदने के लिए एडवांस मे 25 हजार रुपए उपलब्ध करवाएं। डॉ. कालरा ने कहा कि यदि रिसर्च के लिए यह राशि कम पड़ती है तो उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि वे छात्रों की इस राशि को बढ़वाएं। डॉ. ओपी कालरा ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि आज की इस एक दिवसीय वर्कशाप से एथिक्स कमेटी के सदस्यों को काफी कुछ सीखने को मिलेगा।


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