साक्षी बोली, टोक्यो में बदल दूंगी मेडल का रंग
अरुण शर्मा, रोहतक साक्षी मलिक की रियो ओलंपिक से कांस्य पदक लाने के बाद देश और रोहतक में वापसी हो
अरुण शर्मा, रोहतक
साक्षी मलिक की रियो ओलंपिक से कांस्य पदक लाने के बाद देश और रोहतक में वापसी हो चुकी है। वतन वापसी की खुशी चेहरे पर साफ झलक रही थी। दैनिक जागरण संवाददाता ने कैनाल रेस्ट हाउस में साक्षी मलिक से रियो ओलंपिक में बिताए दिनों से लेकर उन्हें वहां आने वाली परेशानियों के संबंध में पूछा गया। रियो के वातावरण में फिट बैठाने में शुरुआती दो-चार दिन में परेशानी हुई। सबसे ज्यादा वजन नियंत्रित करने में थोड़ी परेशानी हुई। जीत से पहले कड़े अभ्यास के साथ ही ओलंपिक में जीतने को लेकर भी फिक्र थी। हालांकि साक्षी ने इस बात पर भी ¨चता जाहिर की कि सरकारों की तरफ से हर स्तर से मदद मिल रही है, फिर भी दो मेडल आना ¨चताजनक है। देश से वायदा करते हुए कहा कि टोक्यो में होने वाले अगले ओलंपिक में अपने मेडल का रंग बदलेंगी। साथ ही यह भी उम्मीद जताई कि अगली दफा हमारे मेडल की संख्या भी बढ़ेगी..
-क्या आपने देश में लौटने पर ऐसे भव्य स्वागत के बारे में सोचा था।
मुझे यह तो पता था कि स्वागत होगा, लेकिन इतना भव्य स्वागत और देश से प्यार मिलेगा मैंने सोचा ही नहीं था। इसलिए देश, हरियाणा और परिवार को धन्यवाद देती हैं, जोकि हर दम सहयोग किया। मैं देश, प्रदेश और यहां की जनता के इस स्वागत का आभार जताती हूं।
-खुद को लेकर आगे की क्या योजना तैयार की है।
अभी दो-चार दिन तो खुशी के इस पल को इन्जॉय करूंगी। इसके बाद अगले ओलंपिक की तैयारी में जुट जाउंगी। मैं टोक्यो (जापान) में अगले ओलंपिक में अपने मेडल का रंग गोल्ड में बदलूंगी।
-आपके परिवार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के साथ ही बेटी खिलाओ का नारा दिया है। आपके नजरिए में यह कैसे पूरा होगा।
प्रदेश और केंद्र सरकार की तरफ से खिलाड़ियों को तमाम सुविधाएं दी जा रही हैं। बेटियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार जुटी हुई है। यदि लड़िकयों को आगे आना है तो परिवार और खुद उस लड़की को भी जिम्मेदारी के साथ आगे आना होगा। यही नहीं कि वह कुश्ती लड़ेगी, कोई भी खेल हो एक ही भावना हो कि देश का नाम ऊंचा करना है। यदि बेटी खिलाओ कैंपेन देश में चले तो इससे भी बेटियों को खेलों के प्रति बढ़ावा मिलेगा।
-आपको प्रदेश सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एंबेसडर बनाकर नई जिम्मेदारी सौंपी है। क्या कहेंगी।
मैं इसके लिए सीएम मनोहर लाल जी का आभार जताती हूं कि मुझे उन्होंने जिम्मेदारी सौंपी है। अब मेरा भी प्रयास रहेगा कि बेटियों को खेलों ही नहीं हर क्षेत्र में अपनी ताकत पहचानने के लिए प्रोत्साहित करूंगी। मैं यह भी वादा करती हूं कि अगली दफा गोल्ड मेडल लाकर सरकार के इस फैसले को सही साबित करूंगी।
-आप अपनी जीत का श्रेय किसे देंगी।
मैं अपनी जीत का श्रेय उन सभी को दूंगी, जिन्होंने मेरा साथ और सहयोग दिया। इसमें मेरे परिवार के अलावा कोच से लेकर राज्य और केंद्र सरकार के अलावा कुश्ती फेडरेशन, रेलवे आदि के लिए मेरा धन्यवाद।
-आपके जीत से पहले और जीत के बाद रिओ में 20 दिन कैसे बीते।
यदि जीत से पहले की बात करूं तो हम 15 दिन पूर्व ही रिओ गए थे। सबसे ज्यादा मुझे मुश्किल अपना वजन कम करने में रही। दूसरा वहां पानी पचाने से लेकर डायट और दो से तीन समय ट्रे¨नग लेना। समय यूं ही बितता गया पता ही नहीं चला, लेकिन जीत के बाद एक-एक पल काटना मुश्किल था। क्योंकि मुझे अपने वतन और रोहतक पहुंचने की जल्दी थी।
-आप हर फाइट में शुरुआत में हारकर भी जीतती रहीं, इसकी वजह।
मुझे सीनियर मुकाबलों का कम अनुभव था और पहला ओलंपिक होने के कारण उत्साहित भी थी। सीनियर में कम अनुभव के कारण थोड़ा दबाव में भी थी। यदि मैं शुरुआती मुकाबलों की बात करूं तो छह मिनट में हारती तो मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ करने की याद आती और मैंने जो सीखा वह उन आखिरी छह मिनट में दांव पर लगाकर लड़ गई।
-पाकिस्तान में कमेंट चल रहे हैं कि इतने बड़े देश में सिर्फ दो मेडल।
इस दफा 10 से 12 मेडल आने की उम्मीद थी। सरकार का हर स्तर पर सहयोग मिल रहा है। आखिर इस दफा कहां कमी रही कि सिर्फ दो मेडल बेटियां ही जीतकर लाईं। मुझे उम्मीद कि अगले ओलंपिक में हमारे मेडल अधिक आएंगे।