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विवादों में रही है मदवि की परीक्षा प्रणाली

जागरण संवाददाता, रोहतक : महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली लंबे समय से विवादों में है।

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 01:01 AM (IST)

जागरण संवाददाता, रोहतक : महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली लंबे समय से विवादों में है। उत्तर पुस्तिका चोरी और हाल ही में अंक बढ़ाकर विद्यार्थियों को पास कराने के मामले उजागर हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद विवि प्रशासन गंभीर कदम नहीं उठा रहा।

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महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय का विवादों के साथ चोली-दामन का संबंध रहा है। दो फरवरी 2013 की घटना ने तो विश्वविद्यालय की साख को भी कटघरे में खड़ा कर दिया था। मदवि की गोपनीय शाखा से 2169 उत्तरपुस्तिकाएं छत पर सीढि़यों में बरामद हुई थीं। उत्तरपुस्तिकाओं की जांच की गई तो सामने आया कि कर्मचारियों की मिलीभगत से विद्यार्थियों ने ही उत्तरपुस्तिकाओं को चोरी कराया गया था। उत्तरपुस्तिकाओं को दोबारा से हल करके वापस गोपनीय शाखा में भेजने के प्रयास में मामले में पटाक्षेप हो गया। इस मामले में पुलिस ने जांच की तो संलिप्त आरोपियों ने कबूला था कि 20-20 हजार रुपये लेकर विद्यार्थियों को को उत्तरपुस्तिकाएं दोबारा से हल करके पास किया गया था। 64 उत्तरपुस्तिकाओं को छोड़कर अन्य के परीक्षा परिणाम विवि प्रशासन ने घोषित कर दिया था। इस मामले में मदवि के 17 आरोपियों के अलावा करीब दो दर्जन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। यह मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है। इसी तरह इंजीनिय¨रग विभाग के ही 41 विद्यार्थियों चार से 74 अंक करके पास भी करने का सनसनीखेज मामला हाल ही में उजागर हुआ है। इस मामले में भी रिजल्ट ब्रांच के अधीक्षक सीताराम शर्मा सहित तीन लोगों को निलंबित करके पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई गई। इस मामले में भी पुलिस की जांच चल रही है। इसके अलावा यूआइईटी में ही एमटेक के विद्यार्थियों ने प्राध्यापकों पर भेदभाव करके अंक देने के आरोप भी लगाए थे। इस मामले में भी यूआइईटी विभाग ने कमेटी गठित करके जांच शुरू की। हालांकि बाद में कमेटी ने प्राध्यापकों को क्लीन चिट देकर मामला रफा-दफा कर दिया।

मदवि की विश्वसनीयता पर फिर उठे सवाल

वर्ष 2013 में बीटेक तीसरे सेमेस्टर मैथ की उत्तरपुस्तिकाएं एक बार फिर से सड़क पर मिलने से मदवि की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। सहायक प्रोफेसर ने जो उत्तरपुस्तिकाएं बरामद की हैं, वो चेक नहीं की गई। इतना ही नहीं 10 कापी पूरी तरह से खाली हैं और दो-तीन पर इनविजिलेटर के हस्ताक्षर नहीं हैं। बताया जाता है कि जो उत्तरपुस्तिकाएं मिलीं हैं, उनका परिणाम घोषित किया जा चुका है। अब यह जांच का विषय है कि मदवि ने किस आधार पर परीक्षा परिणाम घोषित किया। जिन विद्यार्थियों के रोल नंबर उत्तरपुस्तिकाओं पर अंकित हैं, उनमें से काफी उत्तीर्ण भी हैं।

जांच किए बिना कैसे घोषित किया परिणाम : जाखड़

एडवोकेट दिग्विजय जाखड़ का कहना है कि महिला सहायक प्रोफेसर ने जो उत्तरपुस्तिकाएं फल विक्रेता के पास मिली हैं, उनकी जांच नहीं की गई है। उन उत्तरपुस्तिकाओं के रोल नंबर मदवि की साइट पर डालकर चेक किए जो परिणाम घोषित पाया गया। इतना ही नहीं कई विद्यार्थी तो उत्तीर्ण भी हैं। इससे मामला गंभीर है। जिस तरह से उत्तरपुस्तिकाएं बरामद हुई, उससे आइपीसी की धारा 166, 166ए, 167, 420, 466, 467, 468 और 471 के तहत केस दर्ज होना चाहिए। उन्होंने मदवि के सुरक्षा नियंत्रक तरूण शर्मा की मौजूदगी में पीजीआइएमएस थाना पुलिस को उत्तरपुस्तिकाएं सौंप दी हैं।

मेरे संज्ञान नहीं यह मामला : अहलावत

मातूराम इंजीनिय¨रग एंड मैनेजमेंट कॉलेज के निदेशक डॉ. नवनीत अहलावत का कहना है कि मदवि से बाहर उत्तरपुस्तिकाएं बरामद होने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। उनके कॉलेज की उत्तरपुस्तिका होने की पुष्टि तो मदवि प्रशासन ही कर सकता है। वर्ष 2013 में गोपनीय शाखा से गायब उत्तरपुस्तिकाओं का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। परीक्षा केंद्र में पेपर खत्म होते ही सील लगाकर केंद्र अधीक्षक की मौजूदगी में मदवि में भेजा जाता है। कॉलेज का उत्तरपुस्तिकाएं से कोई लेना-देना नहीं रहता।


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