गुटबाजी डूबा न दे भाजपा की 'लुटिया'
जागरण संवाददाता, रोहतक : कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाकर शहर की सीट जीतने में कामयाब भाजपा की लुटिया
जागरण संवाददाता, रोहतक : कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाकर शहर की सीट जीतने में कामयाब भाजपा की लुटिया कभी गुटबाजी के चलते डूब न जाए। यह हम नहीं कह रहे बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं में ही इसकी चर्चा खुलेआम शुरू हो गई है। इसका जीता जागता उदाहरण शहरी विधायक और पार्षदों के बीच देखने को मिल भी रहा है। विधायक और पार्षदों में सरकार बनने से ही 36 का आंकड़ा चल रहा है। दो दिन पहले भाजपा के प्रदेश प्रभारी अनिल जैन, प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और संगठन मंत्री सुरेश भट्ठ रोहतक में कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने पहुंचे तो भी कार्यकर्ताओं की नाराजगी सतह पर आ गई थी। कार्यकर्ताओं ने विधायक पर अप्रत्यक्ष रूप से खूब तीर चलाए थे।
विधायक के जनता दरबार से दूर रहे पार्षद
बिहार चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद शहरी विधायक मनीष ग्रोवर ने जनता दरबार लगाने शुरू किए। विधायक एक माह के दौरान सात जनता दरबार लगा चुके हैं। कई जनता दरबार तो वहां लगे, जहां पर भाजपा पार्टी से पार्षद निर्वाचित हैं, लेकिन एक भी पार्षद जनता दरबार में विधायक के साथ खड़े नजर नहीं आए। इतना ही नहीं कई पार्षदों ने तो विधायक के जनता दरबार को भी औचित्यहीन बता दिया। पार्षदों ने कहा कि जब जनता की समस्याओं का निपटारा ही नहीं होगा तो जनता दरबार का फायदा क्या है।
विधायक -पार्षदों की नहीं हुई एक भी बैठक
नगर निगम के चुनाव विधानसभा चुनाव से पहले हुए थे। ऐसे में भाजपा पार्टी से चार पार्षद चुनाव जीते थे। विधानसभा चुनाव के बाद तीन से चार पार्षद और भाजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने से लेकर आज तक एक भी बैठक विधायक और पार्षदों के बीच नहीं हुई है। इतना ही नहीं पार्षद तो सार्वजनिक मंच पर विधायक पर उनके वार्डों में विकास कार्यों में हस्तक्षेप करने के आरोप भी लगाते रहे हैं। ऐसे में खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्षदों और विधायक के बीच में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा।
चौक पर स्टेच्यू मामले में भी पार्षद रहे चुप
शहर के सोनीपत स्टैंड और अशोका चौक के सौंदर्यीकरण में नगर निगम प्रशासन द्वारा लगाए गए स्टेच्यू में भी नगर निगम मेयर और कांग्रेसी पार्षदों ने विधायक पर धांधली के आरोप को लेकर हमला बोला तो भाजपा पार्षद चुप रहे। अन्यथा सत्ता पक्ष के विधायक के बचाव में भाजपा पार्षदों को जवाबी हमला करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे स्पष्ट होता है कि अंदरखाने भाजपा पार्षद और विधायकों में अनबन है।