मौसम की मार किसानों पर पड़ रही भारी
संवाद सहयोगी, सांपला : मौसम की रूसवाई के बावजूद किसान इन दिनों धान फसल की रोपाई के काम में जुटे हुए
संवाद सहयोगी, सांपला : मौसम की रूसवाई के बावजूद किसान इन दिनों धान फसल की रोपाई के काम में जुटे हुए हैं। किसान किसी तरह पानी की व्यवस्था करके ¨सचाई का काम कर रहे हैं, लेकिन तेज धूप व गर्मी के कारण कुछ घंटो में ही पानी सूख रहा है। बरसात न होने व नहरों में पानी न आने के कारण किसानों द्वारा अभी तक रोपाई गई धान की फसल सूख रही है। पानी के अभाव में खेतों में दरारे आ गई हैं और फसलें खराब होने के कगार पर है। बरसात न होने और नहरों में पानी न आने के कारण किसानों की ¨चता बढ़ गई है। किसान बरसात के इंतजार में रोपाई के काम में जुटे हुए हैं।
किसानों की इन दिनों माली हालत बनी हुई है और वह धान की रोपाई को जुआ मानकर कर रहे हैं। कृषि विभाग ब्लाक में करीब सवा 11 हजार एकड़ भूमि में धान की रोपाई व बिजाई का लक्ष्य लेकर चल रहा है। किसान सैंकड़ो एकड़ भूमि में धान की रोपाई कर चुके हैं और किसी तरह ट्यूबवेल से पानी की व्यवस्था करके रोपाई के काम में जुटे हुए हैं। कृषि विभाग ने ब्लाक में सवा 11 हजार एकड़ भूमि में धान की रोपाई या सिधी बिजाई का लक्ष्य लिए हुए है, लेकिन मौसम की मार के कारण लक्ष्य को पूरा करना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। फिलहाल वही किसान धान की रोपाई का काम कर रहे हैं जिनके पास ¨सचाई के लिए संसाधन उपलब्ध हैं।
काफी किसानों ने पौध तो तैयार कर रखी हैं, लेकिन रोपाई का काम शुरू नहीं कर रहे हैं। धान का उत्पादन करने वाले किसान बरसात की बांट जोह रहे हैं। अगर अगले दिनों में बरसात शुरू हो जाती है तो किसान धान की रोपाई में दिलचस्पी दिखा सकते हैं, वरना इस बार किसान धान की फसल में रिस्क नहीं लेना चाहते। क्षेत्र में अभी तक तराई वाले क्षेत्र में ही कुछ किसान धान की रोपाई का काम कर रहे हैं। पिछले दिनों हुई बरसात के बाद नहरों से दूरी के क्षेत्र में किसानों ने धान की रोपाई का काम किया था, लेकिन इन दिनों उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। अधिकतर क्षेत्र में पानी की कमी के कारण धान की रोपाई का काम अधर में लटका हुआ है। कृषि विशेषज्ञ जुलाई माह में धान की रोपाई व बिजाई को सही समय बताते हैं। किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे है। सोमवार सुबह मौसम में बदलाव के बाद उन्हें थोड़ी आस भी बंधी थी, लेकिन मौसम ने एक बार फिर धोखा दे दिया।
इस बार मौसम विभाग की कम बरसात की घोषणा के सामने उनके हौंसले टूटते जा रहे हैं। खास बात यह है कि किसानों ने खासकर हाईवे के दोनों तरफ के गांवो सहित पश्चिमी दिशा के गांव में किसानों ने धान की रोपाई के लिए जमीन तैयार कर रखी है। किसान बरसात शुरू न होने तथा आने वाले दिनों में मौसम विभाग की घोषणा के कारण पौध तैयार करने के बाद भी रणनीति बदल रहे हैं। किसानों का कहना है कि अभी तो पौध तैयार करने में ही पैसा खर्च हुआ है, लेकिन वह रोपाई का काम कर देते हैं तो हजारों रूपये और खर्च करने पड़ेगें, जो ¨सचाई पानी के अभाव में मिट्टी में मिल जाएंगे। किसानों का कहना था कि अगर आने वाले दिनों में बरसात हो जाती है या फिर नहरों में ¨सचाई के लिए पूरा पानी मिलता है तो वह रोपाई का काम कर सकते हैं। वहीं मौसम की बेरूखी व किसानों के मोहभंग को देखते हुए कृषि विभाग की भी ड्क्षचता बढ़ी हुई है।
मजदूर भी काम के लिए तरसे
धान की रोपाई के समय प्रवासी मजदूरों की खासी भीड़ गांवों में लग जाती है। काम की तलाश में आए मजदूर इन दिनों मौसम की मार का शिकार होकर रह गए हैं। धान की रोपाई का काम अधर में लटकने के कारण मजदूर खाली बैठे हुए हैं तथा काम की बांट जोह रहे हैं। काफी गांव से तो मजदूर काम न मिलने के कारण वापिस भी लोटने लगे हैं।
कृषि विभाग से नहीं मिली राहत
कृषि विभाग धान की रोपाई के समय अक्सर योजनाओं के तहत खाद, बीज व दवा किसानों को देता रहा है, लेकिन इस बार विभाग की ओर से किसानों को कोई राहत नहीं मिली है। कृषि विभाग इस बार महज धान की सिधी बिजाई के प्रति किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए करीब तीन हजार रुपये की लागत से बीज व दवा की किट दे रहा है। विभाग इस बार उन्हीं किसानों को किट मुहैया करवा रहा है जिन्होंने आन लाइन आवेदन किया था और जिन्होंने अपने पास से सीधी बिजाई का काम किया है। विभाग की जांच में काफी संख्या में आन लाइन आवेदन करने वाले किसानों ने सीधी बिजाई का कार्य किया ही नहीं है। किसानों का कहना था कि अपने पास से ही बिजाई पर खर्च कर देगें तो बाद में बीज व दवा का क्या फायदा है। कृषि विभाग के अधिकारी विभाग की योजना का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते हैं।