जीवनसंगिनी बन कर्मसंगिनी बनी तीसरी अर्धागिनी
जेपी शर्मा, रोहतक पुरुष प्रधान मानसिकता वाले देश में नारी सशक्तीकरण और नारी समर्पण की मिसाल असाधा
जेपी शर्मा, रोहतक
पुरुष प्रधान मानसिकता वाले देश में नारी सशक्तीकरण और नारी समर्पण की मिसाल असाधारण ही कही जाएगी। रोहतक के दिल्ली रोड पर ऐसी ही एक मिसाल देखने को मिलती है, जो न केवल नारी सशक्तीकरण बल्कि नारी के समर्पण की भावना का भी जीता जागता उदाहरण है। आयु में 23 वर्ष बड़े पति की तीसरी
अर्धागिनी बनने के दौरान पंचायत आदि का विरोध झेलनी वाली मुकेश पहली पत्नी के बच्चों का पालन पोषण कर स्वावलंबी बना चुकी है। अब मुकेश पति के काम की बागडोर संभाल कर कर्मसंगिनी की भी भूमिका निभा रही है।
संगीनों के साए में लिए थे सात फेरे
मूलरूप से खरावड़ गांव निवासी 42 वर्षीय मुकेश ने दसवीं कक्षा की पढ़ाई भी पूरी नहीं की, लेकिन नैतिक संस्कारों में वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों को भी पीछे छोड़ती है। जब वह दसवीं कक्षा की पढ़ाई कर रही थी। इसी दौरान मुकेश के परिजनों ने उसका रिश्ता वर्ष 1988 में मूलरूप से गिरावड़ गांव निवासी जयभगवान से कर दिया था। इसका मुकेश के खानदानी परिवार के लोगों ने कड़ा विरोध किया। यहां तक की गांव में पंचायतों का आयोजन हुआ। जयभगवान आयु में मुकेश से 23 वर्ष बड़े हैं और उनकी दो पत्नियों की मृत्यु हो चुकी थी। जयभगवान का विवाह करने का मकसद पहली पत्नी के तीन बच्चों का भरण पोषण सही ढंग से करना और उन्हें मां का प्यार दिलाना था। यही बात मुकेश के खानदान के लोगों को अखर रही थी और वह पंचायत में विरोध जता रहे थे। मामला पुलिस तक पहुंचा और विवाह की तिथि भी आ गई। पंचायत और परिवार के विरोध के चलते मुकेश और जयभगवान को पुलिस की मौजूदगी में विवाह करना पड़ा।
जयभगवान के बच्चों को दिया मां का प्यार
जयभगवान का कहना है कि उसकी पहली पत्नी से बेटा प्रवीण और बेटी मीनू दो बच्चे थे। उसे सबसे अधिक ¨चता बच्चों की थी, वहीं मुकेश उनसे कैसा व्यवहार करेगी, यह सोचकर वह परेशान रहते थे। लेकिन विवाह के बाद मुकेश ने दोनों बच्चों को उनकी मां की कमी महसूस नहीं होने दी और अपने बच्चों की तरह प्यार दिया। मुकेश ने एक बेटे जन्म दिया जो आज भी बीएससी अंतिम वर्ष का छात्र है। मुकेश ने मां की जिम्मेदारी निभाते हुए प्रवीण और मीनू का विवाह किया।
रसोई संभालने के बाद संभालती है दुकान का काम
जयभगवान की आयु आज 65 वर्ष हो चुकी है और वह दिल्ली रोड मेडिकल मोड़ के पास जय ऑटोमोबाइल के नाम से दुकान चलाते हैं। जयभगवान बाइक, कार आदि में पंक्चर लगाने का काम करते हैं। मुकेश लगभग पांच साल से रसोई संभालने के बाद पति की दुकान पर पहुंच जाती है। वह अपने पति का सारा काम सीख चुकी है और ग्राहक आने पर अपने पति को रोककर खुद वाहनों के टायर उतारकर पंक्चर लगाने में जाती है। मुकेश का कहना है कि मेरे पति और मेरा परिवार ही मेरी ¨जदगी है। वो सब मेरे लिए समर्पित हैं और मैं उनके लिए समर्पित हूं।