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खाली रह गया रोहतक की उम्मीदों का कटौरा

- शहर के उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए नहीं हुई कोई विशेष घोषणा - न एमडीयू को मिला सेंट्रल य

By Edited By: Published: Sat, 28 Feb 2015 10:42 PM (IST)Updated: Sat, 28 Feb 2015 10:42 PM (IST)
खाली रह गया रोहतक की उम्मीदों का कटौरा

- शहर के उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए नहीं हुई कोई विशेष घोषणा

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- न एमडीयू को मिला सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा, ना पीजीआइ के विस्तार की जगी उम्मीद

- रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए नए उद्योग, कारखाने की संभावना नहीं चढ़ी परवान

जागरण संवाददाता, रोहतक : देश-प्रदेश में पूर्ण बहुमत से बनी भाजपा सरकार के बजट से शहर के लोगों को ढेरों उम्मीदें थीं। इनमें क्षेत्र के युवाओं को रोजगार के अवसर देने के लिएनए उद्योग, शिक्षा व स्वास्थ्य के विस्तार खासी संभावनाएं जताई जा रहीं थीं। शनिवार को बजट की घोषणा के दौरान लोग टकटकी लगाए टीवी सेट के सामने बैठे थे, लेकिन अरुण जेटली के पिटारे से शहर के लिए कोई विशेष घोषणा नहीं की गई। इससे शहर के बा¨शदों को निराशा हाथ लगी है।

उद्योग या कारखाना लगता तो बढ़ते रोजगार के अवसर

क्षेत्र के लोगों को उम्मीद थी कि भाजपा सरकार क्षेत्र के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए किसी बड़ा कारखाना या उद्योग लगाने की घोषणा कर सकती है। इससे क्षेत्र के युवाओं को दूसरे क्षेत्र में रोजगार तलाशने जाने से रोका जा सकता था। लेकिन बजट से लोगों की यह उम्मीद पूरी नहीं हो पाई। क्षेत्र में किसी कारखाने या उद्योग लगाने की वित मंत्री अरुण जेटली ने घोषणा नहीं की।

मदवि को नहीं मिल पाया सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिए जाने की मांग लंबे अर्से से चल रही है। आम बजट से क्षेत्र के लोगों को उम्मीद बंधी थी कि इस बार विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिए जाने की घोषणा की जा सकती है। लेकिन इस मामले में भी लोगों को निराशा हाथ लगी है।

पीजीआइएमएस के विस्तार की उम्मीद को भी झटका

पं. भगवत दयाल स्वास्थ्य एवं शिक्षण संस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की अहम आवश्यकता है। जिससे लोगों को पीजीआइएमएस में बेहतर उपचार और स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया हो सके। कई वर्षों से पीजीआइएमएस की स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की मांग उठती रही हैं। देश और प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार आने से इस उम्मीद को भी पंख लग गए थे। आम बजट 2014 से लोगों को पीजीआइएमएस के विस्तार की उम्मीद लगी हुई थी। लेकिन बजट में यह उम्मीद भी परवान नहीं चढ़ सकी।


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