बाजार की चमक-दमक में खोया युवा : रूपरेखा
जागरण संवाददाता, रोहतक : 'बाजार ने हमारे दिलो दिमाग को सुन्न कर दिया है और सोचने-समझने की शक्ति को नष्ट कर दिया है। इसकी वजह से आज का युवा बिना सोचे चमक-धमक के पीछे भाग रहा है। इस दौड़ ने धार्मिकता और सांप्रदायिकता के बाजार को विस्तार दिया है और राज्य के आत्मसमपर्ण ने इसको और ज्यादा बढ़ाया है।' ये शब्द डॉ. सूरजभान स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता पहुंची लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. रूपरेखा वर्मा ने कहे।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सांझी विरासत को महफूज रखने के लिए संघर्ष किया गया, इससे धर्मनिरपेक्षता के विचार ने हमारे दिलोदिमाग में पैठ बनानी भी शुरू की। धार्मिक संवदेना के नाम पर राज्य ने लगातार समझौते किए है, जिससे धर्मनिरपेक्षता का संकट बढ़ा है। उन्होंने कहा कि धर्म संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन संस्कृति में धर्म के बाहर भी बहुत सारी चीजें है। उन्होंने कहा कि जनता की सेक्यूलर मानसिकता के लिए काम किया जाना चाहिए, जो हमारे सामने बड़ी चुनौती है।
प्रो. केएल टुटेजा ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब है कि हमारे संबंध धर्म के द्वारा प्रभावित ना हों बेशक हम किसी भी धर्म के हों। गांधी ने सर्वधर्म संभाव की बात की है जिसका अर्थ है कि हम अपने धर्म को मानते हुए दूसरे के धर्म का आदर करें। उन्होंने कहा कि टैगोर ने धर्मनिरपेक्षता के लिए बहुत अधिक बौद्धिक काम किया है। समिति के राज्य अध्यक्ष डॉ. आरएस दहिया ने प्रतिभागियों, मुख्य वक्ता एवं सेमिनार के अध्यक्ष का आभार व्यक्त किया और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन समय समय पर किया जाता रहेगा। राज्य भर से ज्ञान विज्ञान आदोलन से जुड़े 120 कार्यकताओं, बुद्धिजीवियों एवं शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया। वहीं राज्य संसाधन केंद्र एवं भारत ज्ञान विज्ञान समिति के प्रकाशनों की पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई।