Move to Jagran APP

लाइलाज नहीं है मिर्गी की बीमारी

By Edited By: Published: Sun, 17 Nov 2013 05:15 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2013 05:16 PM (IST)
लाइलाज नहीं है मिर्गी की बीमारी

वरिष्ठ संवाददाता, रोहतक : मिर्गी से ग्रस्त होना एक प्रकार की अपंगता जैसा लगता है? क्या मुझे बाकि जिंदगी मिर्गी के दौरों के डर से साए में गुजारनी होगी? क्या यह बीमारी मुझे जिंदगी में कुछ भी सार्थक करने से रोकती रहेगी। क्या मुझ पर किसी प्रेत, ओपरी हवा का साया है?

loksabha election banner

ये कुछ सवाल हैं जो मिर्गी रोग से ग्रस्त व्यक्ति के मन में आते हैं। लेकिन मिर्गी की बीमारी लाइलाज नहीं है, इसका इलाज संभव है, बस इसके लिए पूरी तरीके से इलाज लेना जरूरी है। मिर्गी रोगी कुछ सावधानियां तथा उचित उपचार के साथ बिलकुल सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। हताश न होकर, अंधविश्वास व अन्य भ्रांतियों को छोड़कर, किसी अच्छे मिर्गी रोह विशेषज्ञ से सलाह लें। यह जानकारी न्यूरो फिजिशियन व मिर्गी रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन शर्मा ने दी।

उन्होंने बताया कि मिर्गी एक मस्तिष्क रोग है, जिससे दुनियाभर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं। दुनिया में प्रति दस हजार में लगभग 50 व्यक्तियों को होती है। मिर्गी एक सार्वभौमिक बीमारी, है जो स्त्री या पुरुष किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। यह एक चिकित्सीय रोग है, जो मस्तिष्क में अत्यधिक और असामान्य विद्युतीय गतिविधि के कारण होता है। ओपरी हवा, प्रेतात्मा का साया, किया कराया यह भ्रांतियां हैं। आज के आधुनिक युग में इनका कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

बाक्स

कुछ साल तक रहता है मिर्गी का प्रभाव

डॉ. शर्मा ने बताया कि अधिकांश व्यक्तियों के लिए मिर्गी रोग आजीवन नहीं होता, इसका प्रभाव कुछ सालों तक रहता है। नियमित रूप से उचित इलाज करने से लगभग 80 प्रतिशत मिर्गी रोगियों के दौरों को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे बहुत से महान खिलाड़ी, कलाकार जैसे क्रिकेटर जोंटी रोड्स, सुकरात, सिकंदर जैसे महान लोगों को जिन्होंने मिर्गी में पीड़ित होने के बावजूद अपने क्षेत्र में शानदार बुलंदियों को छुआ है।

उन्होंने बताया कि एमआरआई ब्रेन, ईईजी आदि जांच में मिर्गी का कारण जानने में मदद मिलती है। मिर्गी रोग विशेषज्ञ या न्यूरोफिजिशियन की सलाह से नियमित दवाएं लेकर 80 प्रतिशत रोगी ठीक होते हैं।

बाक्स

क्या बरतें सावधानियां

डॉ. शर्मा ने बताया कि मिर्गी रोगी को ऐसी गतिविधि नहीं करनी चाहिए जिनके कारण नुकसान का डर हो, जैसे तैराकी क्या, ड्राइविंग करना, खतरनाक मशीनों पर काम करना। नियमित रूप से, नियमित समय पर दवाई का सेवन करें और जब तक डॉक्टर न कहे अपना उपचार बंद न करें। व्रत न रखें, शराब का सेवन न करें, देर रात तक न जागें।

बाक्स

दौरा हो तो क्या करें

मरीज के कपड़े, खास तौर पर गर्दन के आसपास मौजूद कपड़े ढीले का दें, सांस लेने में तकलीफ न हो। मरीज को धीर से उसकी बायी करवट लेटा दें। मरीज को चोट से बचाने के लिए आसपास मौजूद फर्नीचर या धारदार वस्तुएं हटा दें। मरीज को दौरा पड़ने पर जबरदस्ती पकड़ने या दौरा रोकने की या उसके मुंह में कुछ डालने की कोशिश न को यह खतरनाक हो सकता है। उसे बदबूदार जूत, सड़े प्याज न सुंघाएं। यह सब भ्रांतियां हैं। दौरा खत्म होने के बाद जब तक मरीज पूरी तरह से होश में न आए तब तक उसे अकेला न छोड़ें, न ही कुछ खिलाने की कोशिश करें। यदि मरीज का दौरा पांच मिनट से अधिक रहता है तो या पहले दौरे के तुरंत के बाद दूसरा दौरा शुरू हो जाए तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.